देहरादून, ढंढेरा में बैलगाड़ी पर तिरंगा यात्रा निकालने पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत सहित अन्य दो सौ लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने पर पूर्व सीएम ने सोशल मीडिया पर कटाक्ष किया है। उन्होंने यह भी फेसबुक वॉल से स्पष्ट किया है कि भाजपा और सरकार को छूट रहेगी तो कांग्रेस भी अपने सार्वजनिक कार्यक्रम करेगी। उन्होंने भाजपा द्वारा सार्वजनिक कार्यक्रमों में सोशल डिस्टेंस का पालन नहीं करने के बावजूद कोई केस दर्ज नहीं किए जाने पर प्रशासन पर भी निशाना साधा है।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत अपने चुटीले अंदाज के चलते एक बार फिर फेसबुक वॉल पर छा गये हैं। उन्होंने लिखा है कि सूचना मिली है कि ढंढेरा से लंढौरा तक तिरंगा यात्रा बैलगाड़ी पर निकालने के जुर्म में मेरे खिलाफ और मेरे कुछ साथियों के खिलाफ वाद कायम कर दिया गया है। मुकदमा लगा दिया गया। बैलगाड़ी में मैं हूं। मेरे साथ चार-पांच लोग जो प्रॉपर्ली सैनिटाइजड हैं और मास्क पहनकर के बैठे हुये हैं, मगर लोग तो आएंगे, अभिवादन भी करेंगे, जै-जै कार भी करेंगे। हमने कोशिश की और अपनी कोशिश में हम सफल भी हुये कि लोगों ने मास्क धारण किये, कुछ लोगों ने जिन्होंने कभी मास्क धारण नहीं किया था उन्होंने कि मेरी अपील पर मास्क धारण किया। हमने यात्रा के प्रारंभ में भी, बीच में भी लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग से लेकर मास्क धारण करने आदि कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करने की अपील भी की।
उन्होंने कहा है कि देश के अंदर तो नहीं लेकिन उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड में, मैं पहला सामाजिक कार्यकर्ता हूं जो अपनी फेसबुक का इस्तेमाल लगभग आधा दर्जन बार से ज्यादा कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करने, सोशल डिस्टेंसिंग से लेकर मास्क पहनने आदि धारण करने, सैनिटाइजड वे में सार्वजनिक व्यवहार करने की अपील कर चुका हूं। आज भी मैं अपनी अपील को दोहरा रहा हूं, प्रशासन की भी मजबूरी है। हम राजनीतिक कार्यकर्ता हैं हमारी भी मजबूरी है। यदि प्रतिद्वंदी पार्टी सार्वजनिक आयोजन करेगी। चाहे वो सत्तारूढ़ दल ही क्यों न हो, चाहे वो मुख्यमंत्री और मंत्रीगण ही क्यों न हो, तो फिर कांग्रेस कैसे चुप रह सकती है। एक बड़ा यक्ष प्रश्न है कि -प्रशासन को चाहिये कि सख्ती से 50, 60 कोई संख्या निर्धारित कर दें, इतनी ही संख्या उनके उसमें भी आये और हमारी व दूसरे राजनैतिक दलों के उसमें भी आये हर कोई मास्क धारण करे और सैनिटाइज रहें, यदि  भाजपा  को छूट रहेगी, सरकार को छूट रहेगी, तो फिर मजबूरन विपक्ष को भी अपने सार्वजनिक कार्यक्रम करने ही पड़ेंगे और फिर क्या करें! जंगे आजादी की लड़ाई में, अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन में देघाट, जैंती, चनौदा और खुमाड़, सकलाना, ये ऐसे स्थल हैं जहां मैं गया ही गया हूं और लोग आते ही आते हैं। हमारे सामाजिक दायित्व हैं। हम संतुलन रखना चाहते हैं मगर प्रशासन को कुछ चीजें तय करनी पड़ेंगी। क्या फायदा आप मुकदमे लगाएं। हमको जेल डालें व हम कहें लोकतंत्र की हत्या हो रही है और हमारे पास उदाहरण होंगे। लोगों को बताने के लिये, दिखाने के लिये कि भाजपा के नेता किस तरीके से झुण्ड बनाकर के खड़े हैं, लेकिन उन पर मुकदमे नहीं है और हम सार्वजनिक स्थलों पर, सड़कों पर निकल रहे हैं। दूरी भी बनाने की कोशिश कर रहे हैं। मास्क भी पहन रहे हैं, सैनिटाइज भी कर रहे एरियाज का, तब भी मुकदमे झेलने पड़ रहे हैं। कम ऑन एडमिनिस्ट्रेशन, साहस करिये, एक नियम घोषित कर दीजिये। 50, 60, 100 जो भी सत्तारूढ़ दल कहे, वो दोनों पर सख्ती के साथ। दोनों पर ही नहीं सभी राजनीतिक दलों पर। सामाजिक कार्यक्रमों पर, धार्मिक कार्यक्रमों पर सख्ती से लागू करिये, हम पालन करेंगे।