तीन कृषि कानूनों को लेकर किसान पिछले ढाई महीने से किसान दिल्ली के सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर धरने पर बैठे हैं. अब इस मामले में कई अंतरराष्ट्रीय सेलेब्रिटीज के भी ट्वीट करने के बाद मामले पर अंतरराष्ट्रीय बहस छिड़ गई है. इसी बीच एक टूल किट को लेकर भी विवाद शुरू हो गया है. सोशल मीडिया पर एक टूलकिट वायरल हो रही है जिसे लेकर बहस जारी है कि इससे जरिए लोकतंत्र को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है.

मौजूदा दौर में दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में जो भी आंदोलन होते हैं, चाहे वो ‘ब्लैक लाइव्स मैटर’ हो, अमेरिका का ‘एंटी-लॉकडाउन प्रोटेस्ट’ हो, पर्यावरण से जुड़ा ‘क्लाइमेट स्ट्राइक कैंपेन’ हो या फ़िर कोई दूसरा आंदोलन हो, सभी जगह आंदोलन से जुड़े लोग कुछ ‘एक्शन पॉइंट्स’ तैयार करते हैं, यानी कुछ ऐसी चीज़ें प्लान करते हैं जो आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए की जा सकती हैं.जिस दस्तावेज़ में इन ‘एक्शन पॉइंट्स’ को दर्ज किया जाता है, उसे टूलकिट कहते हैं.

इसके सामने आने के बाद से ही बॉलीवुड से लेकर राजनेता और क्रिकेटर सभी टूलकिट पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं. टूलकिट पर विवाद बढ़ने के बाद अब सुरक्षा एजेंसियों ने इस पर शिकंजा कस दिया है. तो आइए जानते हैं कि यह टूलकिट क्या होती है और आखिर इसका किसान आंदोलन से क्या कनेक्शन है.

क्यों चर्चा में आया टूलकिट
दरअसल इस टूलकिट की शुरूआत तब हुई तब पिछले दिनों चाइल्ड एक्टिविस्ट के तौर पर चर्चित रहीं ग्रेटा थनबर्ग के एक ट्वीट से हुई. ग्रेटा ने किसान आंदोलन के समर्थन में ट्वीट किया. इसके साथ ही उन्होंने एक टूलकिट भी शेयर की. इसके सामने आने के बाद से ही सोशल मीडिया पर हंगामा शुरू हो गया. इसी बीच ग्रेटा ने ट्वीट डिलीट किया और दूसरा ट्वीट कर दूसरा टूलकिट डॉक्यूमेंट शेयर कर दिया. ग्रेटा थनबर्ग ने जो टूलकिट शेयर की उसमें किसान आंदोलन के बारे में जानकारी जुटाने और आंदोलन का साथ कैसे करना है इसकी पूरी डिटेल दी गई है.

ग्रेटा थनबर्ग की ओर से शेयर की गई टूलकिट में इस बाद की जानकारी दी गई है भारत में चल रहे किसान आंदोलन को लेकर कैसे सोशल मीडिया पर फैलाया जाए. अगर कोई किसान आंदोलन के पक्ष में ट्वीट कर रहा है तो उसे कौन से हैशटैग लगाने हैं. किसी तरह की तकनीकि दिक्कत सामने आए तो कैसे उसे दूर करें. इन सभी बातों की जानकारी इस टूल किट में दी गई है.

क्या होती है टूलकिट?

टूलकिट का नाम पहली बार तब सामने आया था जब अमेरिका में ब्लैक लाइफ मैटर नाम का आंदोलन शुरू हुआ था. इसके बाद अमेरिका में बड़े स्तर पर आंदोलन शुरू किया गया. जिन लोगों ने आंदोलन शुरू किया उन्होंने एक टूलकिट भी दी कि कैसे किसान आंदोलन को आगे बढ़ाया जाएगा. इसमें जानकारी दी गई कि अगर किसी को आंदोलन में शामिल होना है तो वह क्या करें. पुलिस अगर कोई एक्शन लेती है तो ऐसी स्थिति में क्या किया जाए. सोशल मीडिया पर पोस्ट डालते समय किन हैशटैग का इस्तेमाल करें आदि

‘टूलकिट’ शब्द इस दस्तावेज़ के लिए सोशल मीडिया के संदर्भ में ज़्यादा इस्तेमाल होता है, लेकिन इसमें सोशल मीडिया की रणनीति के अलावा भौतिक रूप से सामूहिक प्रदर्शन करने की जानकारी भी दे दी जाती है. टूलकिट को अक्सर उन लोगों के बीच शेयर किया जाता है, जिनकी मौजूदगी आंदोलन के प्रभाव को बढ़ाने में मददगार साबित हो सकती है. ऐसे में टूलकिट को किसी आंदोलन की रणनीति का अहम हिस्सा कहना ग़लत नहीं होगा.

टूलकिट को आप दीवारों पर लगाये जाने वाले उन पोस्टरों का परिष्कृत और आधुनिक रूप कह सकते हैं, जिनका इस्तेमाल वर्षों से आंदोलन करने वाले लोग अपील या आह्वान करने के लिए करते रहे हैं. सोशल मीडिया और मार्केटिंग के विशेषज्ञों के अनुसार, इस दस्तावेज़ का मुख्य मक़सद लोगों (आंदोलन के समर्थकों) में समन्वय स्थापित करना होता है. टूलकिट में आमतौर पर यह बताया जाता है कि लोग क्या लिख सकते हैं, कौन से हैशटैग इस्तेमाल कर सकते हैं, किस वक़्त से किस वक़्त के बीच ट्वीट या पोस्ट करने से फ़ायदा होगा और किन्हें ट्वीट्स या फ़ेसबुक पोस्ट्स में शामिल करने से फ़ायदा होगा. जानकारों के अनुसार, इसका असर ये होता है कि एक ही वक्त पर लोगों के एक्शन से किसी आंदोलन या अभियान की मौजूदगी दर्ज होती है, यानी सोशल मीडिया के ट्रेंड्स में और फिर उनके ज़रिये लोगों की नज़र में आने के लिए इस तरह की रणनीति बनायी जाती है.

आंदोलनकारी ही नहीं, बल्कि तमाम राजनीतिक पार्टियाँ, बड़ी कंपनियाँ और अन्य सामाजिक समूह भी कई अवसरों पर ऐसी ‘टूलकिट’ इस्तेमाल करते हैं.

कहीं आप भी अनजाने में अपने राष्ट्रीय ध्वज (तिरंगे ) का अपमान तो नहीं कर रहे

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