देहरादून, सामाजिक, साहित्यिक संस्था अपनत्व फाउंडेशन की ओर से आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में कवियों ने राष्ट्रप्रेम, सामाजिक सरोकार, पर्यावरण से जुड़ी कविताओं से श्रोताओं को जागृत करने का प्रयास किया। संचालन नीरज नैथानी व वीरेन्द्र डंगवाल पार्थ ने किया। आरोग्यधाम सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल के सहयोग से सर्वे चैक स्थित तकनीकी शिक्षा सभागार में आयोजित कवि सम्मेलन का शुभारंभ ग्राफिक एरा विवि के चेयरमैन कमल घनसाला ने किया। अध्यक्षता कर रहे पंडित सुरेश नीरव और कमल घनसाला ने आयोजन की सराहना की।
कवि सम्मेलन में आज के माहौल पर तंज कसते हुए जनकवि अतुल शर्मा ने कहा कि, जिस जगह पानी बहुत हो कम और पानीदार होते हम, जहां झूठा व्याकरण शब्दार्थ बिकते हो.., यूपी के अनपरा सोनभद्र से आए ओजस्वी कवि कमलेश राजहंस ने विकृत सोच को उजागर करते हुए ‘खादी के जिस लिबास पर दिखते लहू के दाग, उस लिबास में बापू नहीं रहते..’ प्रस्तुत की। पटना से आए कवि आईपीएस ध्रुव गुप्त ने कहा कि, प्यार से भी हम मर जाते हैं, आपने क्यों हथियार खरीदा..,लखनऊ से आए श्यामल मजूमदार ने राजनीति का असली चेहरा दिखाते हुए कहा कि, सियासत में अंधी कमाई न होती, तो चेहरे पर उनकी लुनाई न होती, अगर कुत्ता उनका गटर में ना गिरता, तो सीवर की जल्दी सफाई न होती.., ग्लोबल वार्मिंग पर गजल पढ़ते हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पंडित सुरेश नीरव ने कहा कि, गलते हुए ग्लेशियर हैं, सूखते मुहाने हैं, हांफती सी नदियों के लापता ठिकाने हैं, टूटती ओजोन परतें रोज आसमानों में, पांव बूढ़ी पृथ्वी के अब तो डगमगाने हैं..। कवि राकेश जुगरान ने आस्था पर सुनाया, जलाकर चंद पुतले हमने समझा मर गया रावण, हमारी आस्था के आगे यूं डर गया रावण.., वीरेन डंगवाल पार्थ ने देश गान सुनाया, धड़के है दिल मां भारती के नाम से ही, देश भावना का यश गान लिख दीजिए..। कीर्ति नगर से आए कवि जेके माटी ने सुनाया, जिसने खामोशी से जिंदगी के दिन गुजारे हैं, उनसे पूछना कि फलक में कितने तारे हैं, इस खुले देश में हम सिर्फ जिस्म ढकते रहे, यहां कौन गांधी हुआ किसने कपड़े उतारे हैं।
अन्य कवियों में नीरज नैथानी, राकेश जुगरान, श्रीकांत श्री, जयकृष्ण पैन्यूली, डा.रिचा सूद ने भी कविताएं सुनाईं। अपनत्व फाउंडेशन की संस्थापक प्रतिभा नैथानी, दीपशिखा गुसाईं, आरोग्यधाम के संस्थापक डा.विपुल कंडवाल, ने सभी कवियों का स्वागत किया।