देहरादून, 30 सितंबर: विभिन्न सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों ने सोमवार को कचहरी स्थित शहीद स्मारक पर उत्तराखंड क्रांति दल के दिवंगत नेता स्व. बीडी रतूड़ी को श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर अलग राज्य आंदोलन में उनके योगदान को याद किया गया और दो मिनट का मौन रखकर उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गई।
स्व. बीडी रतूड़ी के निकट सहयोगी रहे लताफत हुसैन ने राज्य आंदोलन में उनके योगदान को याद किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड आंदोलन की शुरुआत बेशक स्व. इंद्रमणि बडोनी ने पौड़ी से की थी। लेकिन आंदोलन का दूसरा और सबसे सशक्त चरण देहरादून में शुरू हुआ। स्व. बीडी रतूड़ी के आह्वान पर इसी जगह पर जहां अब यह शहीद स्थल है, आंदोलन का दूसरा चरण शुरू हुआ था, जिसने पूरे राज्य में उत्तराखंड राज्य आंदोलन को गति दी।
लताफत हुसैन ने स्व. बीडी रतूड़ी से जुड़े कई संस्मरण सुनाये और कहा कि किस तरह से न सिर्फ उत्तराखंड आंदोलन में बल्कि उसके बाद भी रतूड़ी लगातार उत्तराखंड के जन मानस के लिए लड़ाई लड़ते रहे। बीमारी के कारण जब तक उन्होंने बिस्तर नहीं पकड़ लिया, जब तक जन मुद्दों को लेकर होने वाले आंदोलनों में लगातार हिस्सेदारी करते रहे।
उत्तराखंड महिला मंच की निर्मला बिष्ट ने कहा कि बेशक स्व. रतूड़ी ने उत्तराखंड राज्य के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित किया, लेकिन राज्य की मौजूदा स्थिति से वे बेहद निराश थे। गाहे-बगाहे उनका यह दर्द उनकी जुबान पर आ जाता था। वे राज्य में बेराजगारी, अव्यवस्थित विकास, बढ़ती साम्प्रदायिकता जैसे मसलों को लेकर चिन्तित रहते थे और कहते थे कि उत्तराखंड के लोगों को इनसे बाहर निकालने की जरूरत है।
शोकसभा में उत्तराखंड इंसानियत मंच के डॉ. रवि चोपड़ा, नन्द नन्दन पांडेय, परमजीत सिंह कक्कड़, उत्तराखंड महिला मंच की कमला पंत, सर्वोदय मंडल के बिज्जू नेगी, चेतना आंदोलन के शंकर गोपालन, उत्तराखंड मसीह समाज के एसएस चौहान, भारत ज्ञान विज्ञान समिति के विजय भट्ट, इंद्रेश नौटियाल और उमा भट्ट, एनएपीएसआर के आरिफ खान, मैड के आशीष, सीपीआई के समर भंडारी, सीपीएम के सुरेन्द्र सिंह सजवाण, सीपीआई-एमएल के इंद्रेश मैखुरी, कांग्रेस के याकूब खान, एडवोकेट रजिया बेग, स्वतंत्र पत्रकार त्रिलोचन भट्ट, खुर्शीद अहमद, जगदीश कुकरेती, तुषार रावत, नत्था सिंह पंवार, इंद्रजीत आदि मौजूद थे।