07.06.20 दिन रविवार को उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच द्वरा जूम-ऐप के माध्यम से एक ऑन लाइन बैठक का आयोजन किया गया जिसमे प्रदेश के विभिन्न मुद्दों जैसे कोराना महामारी तथा उसके बाद उठने वाले रोजगार, पलायन,, रिवर्स पलायन कर वापस आए प्रवासी और उनको उत्तराखंड में ही रोके रखने के लिए,उनके लिए सरकार द्वारा किए जा रहे उनके रोजगार , स्वरोजगार की व्यवस्था , गैरसैंण स्थाई राजधानी, विभिन्न स्तरों पर सरकारी व्यस्थाओं में ताल मेल की कमी जैसे विषयों पर चर्चा कर इनके समाधान पर चर्चा की गई . समस्त साथियों से सुझाव आमंत्रित किए गए ताकि सरकार को सुझाव पत्र के माध्यम से इसे प्रेषित किया जा सके। बैठक 12 बजे से शुरू होकर लगभग डेढ़ बजे तक चली , जिसमें ऋषिकेश हरिद्वार- देहरादून व आसपास के क्षेत्र से जुड़े वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारियों ने प्रतिभाग कर अपने विचार एवम् सुझाव व्यक्त किए । इस डिजिटल (ऑन लाईन)बैठक का संचालन आंदोलनकारी मंच के प्रदेश अध्यक्ष जगमोहन सिंह नेगी ने किया। बैठक में शुरुआती संबोधन करते हुए वरिष्ठ आंदोलनकारी ललित जोशी ने कहा कि इस समय सभी सरकारी कर्मचरियों को कोई भी योजना का पालन करने हेतु आपसी तालमेल बहुत जरूरी है । प्रदेश वापस लौट रहे प्रवासियों को इस वजह से काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है । उन्होंने अपने घर लौट रहे लोगो से सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करने की अपील भी लोगों से की क्योंकि कई जगह इनसे बुरे बर्ताव की खबरें आ रही हैं। ऋषिकेश से संघर्ष समिति के अध्यक्ष वेद प्रकाश शर्मा ने गैरसैंण को स्थाई राजधानी घोषित करने के मांग के साथ ही राज्य आंदोलनकारियों की पेंशन समेत अन्य मुद्दे उठाए जिन पर सरकार का ध्यान नहीं दे रही है।

हरिद्वार से जुड़े देवेन्द्र रावत ने आंदोलनकारियों के 10% आरक्षण का मुद्दा उठाते हुए सरकार से इसके शीघ्र समाधान कर इसे पुनः लागू करने की मांग की ताकि जिनकी नियुक्तियां इस वजह से लटकी हुई हैं उनको नियुक्ति मिल सके । आंदोलनकारी कर्मचारी परिषद के अध्यक्ष यशवंत रावत ने पर्वतीय छेत्र मै रोजगार स्वरोजगार को बढ़ावा देने हेतु सरकार को पहल करने हेतु मदद करने के साथ साथ खाली पड़े सरकारी पदो को भी भरने कि मांग की। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड का उद्योग विभाग एवम् सरकार ने इस दिशा मै अनेकों प्रयास किए हैं पर इसमें और तेज़ी लाकर इसे धरातल पर उतारने की आवश्यकता है।

मंच के महासचिव राम लाल खण्डूरी ने सुझाव दिया कि सरकार दिल्ली आदि क्षेत्रों से सब्जी ना मंगा कर पर्वतीय इलाकों में किसानों द्वारा उगाई जा रही सब्जी दालो आदि उत्पादों को मंडियों में बेचा जाए जिससे एक तो करोना का खतरा कम होगा व दूसरे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा । जो प्रवासी लौट कर आए हैं वो भी इसकी खेती करने को प्रेरित होंगे और दुबारा पलायन नहीं करेंगे। यदि उन्हें बाज़ार मिलेगा या सरकारी मंडी समितियां उनके माल को खरीदेंगी तो बड़ी समस्या का समाधान होगा। उन्होंने उच्च शिक्षा संस्थान भी जैसे बी टेक, बीएड कॉलेज, टेक्निकल कालेज , लॉ कालेज पर्वतीय छेत्र में खोलने की भी मांग की इससे एक तो पहाड़ से युवा उच्च शिक्षा के नाम पलायन नहीं करेगा और इनके खुलने से स्थानीय युवाओं- व्यापारियों को भी रोजगार वहीं मिल जाएगा।

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संचालन कर रहे  मंच के अध्यक्ष जगनमोहन नेगी ने सरकार को सुझाव दिया कि सरकार को हर एक ब्लॉक स्तर पर एक कम्युनिटी सेंटर खोला जाए ताकि भविष्य मै आने वाली आपदाओं मै कई लोगों को यहां रखा जा सके । जिससे आपदा के समय घर बह जाने अथवा  टूट जाने या कोरोना जैसे संकट के समय लोगों को होने वाली समस्याओं का सामना ना करना पड़े । उन्होंने सीएम के स्कूलों मै आपदा विषय को पढ़ाने का आदेश देने का स्वागत किया। उन्होंने कोराना के आपदा काल में राज्य आंदोलनकारियों द्वारा कोराना आपदा काल में गरीबों और प्रवासियों की बढ़ चढ़ कर यथा संभव मदद करने हेतु सराहना की। उन्होंने कहा कि जितने भी सुझाव आए हैं वो लिखित रूप में सरकार को आंदोलनकारी मंच के माध्यम से दिए जाएंगे ,जिसमें आंदोलनकारी एवम् प्रदेश हित से जुड़े सभी मुद्दे शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हम लगातार ऑन लाईन मीटिंगों के माध्यम से अपने बाते और सुझाव रखते रहेंगे। बैठक में ऋषिकेश से विक्रम भंडारी, कर्मचारी नेता और राज्य आंदोलनकारी विनोद चमोली,राकेश नौटियाल , नवीन कुकरेती, दीपक बड़थ्वाल आदि ने भी अपने सुझाव व्यक्त किए।