इतिहास गवाह है कि उत्तराखंड की महिलाओं ने हर काल – हर हाल में उत्पन्न हुई चुनौतियों का मुकाबला कर जन आंदोलनों को मुकाम तक पहुंचाया। बात चाहे स्वतंत्रता आंदोलन की हो या राज्य गठन के आंदोलन की। महिलाओं ने अपने संघर्ष से इन आंदोलन को कामयाबी दिलाई है। इसके अलावा वर्ष 1974 का पेड़ को कटाने को रोकने के तहत चमोली जिले के रैणी गांव की गौरा देवी का चिपको आंदोलन रहा हो या नशे बढ़ती प्रवृत्ति के खिलाफ 1960 के दशक में गढ़वाल के पौड़ी, श्रीनगर कोटद्वार, लैंसडान, टिहरी में टिंचरी और कुमाऊं में कच्ची शराब के खिलाफ़ श्रीनगर गढ़वाल की रेवती उनियाल सामाजिक बुराई शराब के विरुद्ध आंदोलन या फिर 1968 में जाजल (टिहरी) निवासी श्रीमती हेमा देवी का नशा नहीं रोजगार दो नारों के साथ उत्तराखंड संघर्ष वाहनी ने आंदोलन । उत्तराखंडी महिलाएं अपने सीमित दायरे और सामाजिक रूढ़िवादिता के बावजूद हर समस्या के समाधान के लिए लड़ाई लड़ने में अग्रिम पंक्ति रह कर अपने वजूद का अहसास कराते हुए अपने आंचल को हमेशा इंकलाबी परचम बनाने में देर नहीं करी ।

1994 में उत्तराखंड राज्य निर्माण की मांग को लेकर सड़कों पर उतरी महिलाओं की अहम भूमिका रही। उत्तराखंड को अलग राज्य का दर्जा दिलाने में जितना योगदान यहां के पुरुष वर्ग ने दिया उससे कई गुना अधिक योगदान यहां की महिलाओं ने दिया। इस आंदोलन के दौरान घटित मुजफ्फरनगर कांड महिलाओं की सक्रिय भागीदारी की याद दिलाता है। इस आंदोलन के दौरान आंदोलनकारी महिलाएं हंसा धनाई एवं बेलमती चौहान शहीद हो गई थीं। वह सन 1994 का वर्ष ही था जिसने उत्तराखंड की मातृशक्ति को घर-बार चूल्हा-चौका छोड़ हाथों में दराती लिए सड़कों पर उतार दिया था। आंदोलन में स्व. कौशल्या डबराल समेत सुशीला बलूनी, द्वारिका बिष्ट, कमलापंत, धनेश्वरी देवी, निर्मला बिष्ट, जगदंबा रतूड़ी, शकुंतला गुसाई, स्व. शकुंतला मैठानी, कलावती जोशी, यशोदा रावत, उषा नेगी, विमला कोठियाल विमला नौटियाल समेत तमाम उत्तराखंड की महिलाओं के संघर्षों की बदौलत नौ नवंबर 2000 को देश के 27वें राज्य के रूप में उत्तरांचल राज्य का गठन हुआ और वर्ष 2007 में इसका नाम बदलकर उत्तराखंड किया गया। लेकिन इसे दुर्भाग्य ही कहा जायेगा कि राज्य गठन के 22 वर्षों के बाद भी इस आधी आबादी के उत्थान के लिए भाषणों में काफी कुछ कहा कहा गया मगर , राजनीति हो या अन्य क्षेत्र वास्तव में इनके लिए भी कोई नीति नहीं बन पाई है।

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राज्य प्राप्ति के २२ सालों के बाद भी जो कार्य उत्तराखंड की किसी भी सरकार ने नहीं किया वह आज राज्य आन्दोलनकारियों ने अपने दम पर कर दिखाया । राज्य आंदोलनकारी मंच द्वारा अपने पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत जिस मातृ शक्ति के त्याग और बलिदान से पृथक राज्य की प्राप्ति हुई, उन्हें आज दिनांक 06–मार्च को उत्तराखण्ड के गढ़ रत्न प्रसिद्ध गीतकार संगीतकार एवम साहित्यकार डाo श्री नरेन्द्र सिंह नेगी, जो कि कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे के हाथों अस्थयी राजधानी देहरादून के रेसकोर्स स्थित ट्रांजिट हास्टल के हाल में लगभग 80 महिलाओं को उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया।

गीतकार नरेन्द्र सिंह नेगी द्वारा राज्य आंदोलन के साथ ही महिलाओ की पीड़ा व योगदान पर जो अतुलनीय गीत लिखे व गाए गए जिसके चलते मातृ शक्ति को उनके हाथों सम्मान लेकर अपने आप को बेहद उत्साहित व गौरान्वित महसूस किया। आंदोलनकारी मंच के पदाधिकारियों द्वारा गढ़ रत्न नरेन्द्र सिंह व् पाडी-पाडी मत बोलो ,मै देहरादुन वाला हूं गाने वाले उनके पुत्र कविलाश नेगी को भी प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।

सम्मान समारोह के पश्चात् नरेन्द्र सिंह नेगी द्वारा राज्य आंदोलन के दौरान लिखा गीत- उठा-जागा उत्तराखण्डियों ! सौं उठाणु बगत एगे…. जयदीप सकलानी व मोहन रावत ने उनके साथ गाया । इस सम्मान समारोह के दौरान कई आंदोलनकारी महिलाएं भावुक भी हुई और उस पुराने दौर को याद किया।

उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी गौरव सम्मान में मुख्य रूप से शहीद राजेश रावत की माता आंनदी रावत व सुशीला बलूनी , उषा नेगी , निर्मला बिष्ट , सरोज डिमरी , सरोज पंवार , सरिता गोड, उषा रावत , भुवनेश्वरी कठेत , पुष्पलता सिलमाना , सत्या पोखरियाल , द्वारिका बिष्ट , शकुन्तला रावत , कमला भट्ट , प्रभा बहुगुणा , कुसुमलता शर्मा, देवेस्वरी रावत , राजेश्वरी रावत , शकुन्तला बामराड़ा , लक्ष्मी बिष्ट, राजेश्वरी परमार , सुशीला चंदोला , सरोजनी चौहान , रामेश्वरी बर्थवाल, बीना बहुगुणा , माला रावत , पुष्पा सकलानी आदि प्रमुख रूप से शामिल थे ।

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राज्य आन्दोलन मंच की ओर से ओमी उनियाल,रविन्द्र जुगरान, पृथ्वी सिंह नेगी, जगमोहन सिंह नेगी चयन समिति के जयदीप सकलानी, केशव उनियाल, रामलाल खंडूड़ी , प्रदीप कुकरेती , कुलदीप कुमार, महेन्द्र रावत (बब्बी) सतेन्द्र भण्डारी, गौरव खण्डूरी, नरेन्द्र नेगी, नरेंद्र कठेत, मोहन सिंह रावत, सुरेश नेगी, वेदा नन्द कोठारी , पुष्कर बहुगुणा , सुमन भण्डारी, लुशुन टोडरिया, मनोज ज्याडा, नवीन रमोला, राजेश पांथरी, चन्द्र किरण राणा , विक्रम भण्डारी, रूकम पोखरियाल , युद्धवीर सिंह चौहान , मोहन खत्री ,सूर्यकान्त बमराडा, प्रभात डंडरियाल, सुमित थापा आदि मौजूद रहे।