चंपावत से गहतोड़ी व कपकोट से गड़िया ने धामी के लिए सीट खाली करने की पेशकश ! तो..
डोईवाला से जीते गैरोला ने भी त्रिवेंद्र रावत के लिए सीट छोड़ने की घोषणा।
कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, गणेश जोशी, धनसिंह रावत, बिशन सिंह चुफाल का नाम चर्चाओं में।
महिला दावेदारों में कोटद्वार से जीती ऋतु खंडूडी चर्चाएं शुरू हो गयी है।
देहरादून, 11 मार्च : उत्त्तराखण्ड की जनता ने एक बार फिर से भाजपा के पक्ष में जनादेश दे दिया है, इस बार भी जीत का सेहरा कमोवेश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सर पर ही रहा और एक बार फिर मोदी मैजिक के सहारे उत्तराखंड में भाजपा की नैया पर हो गई। स्थानीय स्तर पर कोई भी नेता जन-नायक बन कर नहीं उभर सका । स्पष्ट जनादेश मिलने के बाद अब भाजपा में नये सीएम को लेकर जोड़तोड़ शुरू हो गयी है। पुष्कर सिंह धामी के खटीमा से चुनाव हारने के बावजूद पार्टी का एक गुट उन्हें फिर से सीएम बनाने की उधेड़-बुन में जुट गया उनका तर्क है कि धामी के मात्र छह महीने के कार्यकाल में लिए गए जनहित फैसलों की वजह से जनता ने भाजपा पर फिर से विश्वास जताया।
इधर धामी के अलावा नये सीएम की चर्चा में सतपाल महाराज ,धनसिंह रावत, बिशन सिंह चुफाल के अलावा मसूरी से चौथी बार चुनाव जीते गणेश जोशी का नाम भी प्रमुखता से लिया जा रहा है। महिला दावेदारों में कोटद्वार से जीती ऋतु खंडूडी को लेकर भी चर्चाएं शुरू हो गयी है। सूत्रों का कहना है कि कुछ दिन पूर्व गणेश जोशी ने संघ व पार्टी के केंद्रीय नेताओं से बात की थी। यही नहीं, भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजय वर्गीय से मध्य प्रदेश में भी गणेश जोशी ने मुलाकात की भी खबर है। इसके बाद ही कैलाश विजयवर्गीय मतगणना से पहले देहरादून में पार्टी नेताओं से मिले थे। सूत्रों के कहना है कि पार्टी हाईकमान बंपर मतों से जीते गणेश जोशी के नाम पर कुमाऊँ व गढ़वाल को एक साथ साधना चाहता है। वैसे भी सैनिक बाहुल्य प्रदेश होने के कारण और गणेश जोशी का पूर्व सैनिक होना, उनकी महिलाओं और युवाओं के बीच लोकप्रियता के साथ अफसरशाही में उनकी पकड़ बाक़ी दावेदारों से उन्हें 20 ही साबित करती है बाक़ी ये पार्टी का विवेक है कि वह किस पर दांव लगाती है
वैसे तो भाजपा के मंत्री धनसिंह रावत भी जैसे-तैसे श्रीनगर से चुनाव जीत गए। हालांकि, लेकिन संघ व केंद्रीय नेताओं के बीच गहरी पैठ होने के कारण वह भी नये सीएम के दावेदारों में शुमार है। इधर, 2014 में कांग्रेस छोड़ भाजपा में आये सतपाल महाराज भी चौबट्टाखाल से चुनाव जीत चुकें हैं और कई मौकों पर सीएम पद के प्रबल दावेदार माने जाते रहे हैं त्रिवेंद्र रावत व तीरथ सिंह रावत के सीएम पद से हटने के बाद व इस बार धामी के चुनाव हारने के बाद पुनः महाराज का दावा मजबूत माना जा रहा है । अब देखना है कि क्या हाईकमान उन पर भरोसा जतायेगा या इस बार फिर से निराशा ही हाथ लगेगी। । इधर, पार्टी सूत्रों का कहना है कि विधायकों के अलावा कुछ अन्य नामों पर भी उच्च स्तर पर मंथन चल रहा है। वैसे समर्थक तो रमेश पोखरियाल और अनिल बलूनी को भी मुख्य मंत्री की दौड़ में शामिल मान रहें हैं । इन सब क़यासबाजी के बीच सेहरा किस के सर पर सजेगा देख़ना अभी बाकि है ।