देहरादून,29 फरवरी: ” विधानसभा बैकडोर भर्ती में भ्रष्टाचार व अनियमितता ” के विषय में देहरादून निवासी कांग्रेस नेता व सामाजिक कार्यकर्ता अभिनव थापर की जनहित याचिका हाईकोर्ट में विचाराधीन है जिसपर आज माननीय हाईकोर्ट नैनीताल में सुनवाई हुई । इस विषय पर विधानसभा ने एक जाँच समीति बनाकर 2016 से भर्तियों को निरस्त कर दिया, किंतु यह घोटाला राज्य 2000 में राज्य बनने से लेकर आज तक चल रहा था जिसपर सरकार ने अनदेखी करी। इस विषय पर अबतक अपने करीबियों को भ्रष्टाचार से नौकरी लगाने में शामिल सभी विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्रियों पर भी सरकार ने चुप्पी साधी हुई है , अतः विधानसभा भर्ती में भ्रष्टाचार से नौकरियों को लगाने वाले ताकतवर लोगों पर हाईकोर्ट के सिटिंग जज की निगरानी में जांच कराने हेतु व लूट मचाने वालों से ” सरकारी धन की रिकवरी ” हेतु अभिनव थापर ने माननीय हाईकोर्ट नैनीताल में जनहित याचिका दायर करी । इस याचिका का माननीय हाईकोर्ट ने गंभीरता से संज्ञान लिया था और 07.07.2023 को माननीय हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता व विधानसभा दोनों पक्षों को आदेश दिए थे की जो भी “माननीय” इसमें दोषी है, इस विषय में उत्तराखंड विधानसभा बैकडोर भर्ती घोटाले से संबंधित अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करे।
याचिकाकर्ता अभिनव थापर ने माननीय हाईकोर्ट के समक्ष मुख्य बिंदु में सरकार के 6 फरवरी के 2003 शासनादेश जिसमें तदर्थ नियुक्ति पर रोक, सरकारी धन के दुरुपयोग की वसूली, संविधान की आर्टिकल 14, 16 व 187 का उल्लंघन जिसमें हर नागरिक को नौकरियों के समान अधिकार व नियमानुसार भर्ती का प्रावधान है, उत्तर प्रदेश विधानसभा की 1974 व उत्तराखंड विधानसभा की 2011 नियमवलयों का उल्लंघन किया गया है ।
याचिकाकर्ता अभिनव थापर ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेशों के क्रम में सभी तथ्यों सहित रिपोर्ट माननीय हाईकोर्ट के कार्यवाही हेतु दाखिल कर दी गई है क्योंकि हम प्रदेश के 12 लाख से अधिक बेरोजगार युवाओं को उनका हक दिलवाने की लड़ाई लड़ रहे है। याचिका में हमारी मांग को मान लिया गया है की राज्य निर्माण के वर्ष 2000 से 2022 तक विधानसभा में बैकडोर में भ्रष्टाचार से नियुक्तियों करी गयी है। अतः हमारी मांग है कि गलत प्रक्रिया से नौकरी देने वाले अफसरों, विधानसभा अध्यक्षों व मुख्यमंत्रियों भ्रष्टाचारियों से सरकारी धन के लूट को वसूला जाय और युवाओं की नौकरियों की लूट करवाने वाले “माननीयों” के खिलाफ कानूनी कार्यवाही हो । सरकार ने पक्षपातपूर्ण कार्य कर अपने करीबियों को नियमों को दरकिनार करते हुए नौकरियां दी है जिससे प्रदेश के लाखों बेरोजगार व शिक्षित युवाओं के साथ धोखा किया है, यह सरकारों द्वारा जघन्य किस्म का भ्रष्टाचार है।”
जनहित याचिका के माननीय हाईकोर्ट के अधिवक्ता अभिजय नेगी ने बताया कि हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी व न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा युक्त पीठ ने इस याचिका के विधानसभा बैकडोर नियुक्तियों में हुई अनियमितता व भ्रष्टाचार विषय पर विधानसभा और याचिकाकर्ता को तथ्यों और रिकॉर्ड से भर्तियों में हुए भ्रष्टाचार पर सहमत हुए और माना की विधानसभा भर्तीयों में बड़ा घोटाला हुआ है। माननीय हाईकोर्ट ने ‘ बड़ा फैसला ” लेते हुये विधानसभा स्पीकर को 6 फरवरी के 2023 शासनादेश के अनुरूप कार्यवाही हेतु निर्देश दिए, जिसमें “माननीयों से रिकवरी ” व अन्य प्रावधानों का स्पष्ट उल्लेख है । अगली सुनवाई 20 जून 2024 को तय की गई है।