उत्तराखंड सरकार के पूर्व मंत्री और कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप ने राज्य आंदोलनकारियों की भारी उपेक्षा को देखते हुए आंदोलनकारी शक्तियों के मन में अपनी उपेक्षा से आ रहे इस भाव का समर्थन दिया है जिसमें उन्होंने भविष्य में गांधीवादी आंदोलनों की बजाए छापामार प्रणाली को अपनाने का निश्चय किया है। धीरेंद्र प्रताप ने कहा है कि यह दुख का विषय है कि गांधीवादी तरीके से बने राज्य के राज्य निर्माण आंदोलन कार्यों को अब छापामार आंदोलन प्रणाली को अपना कर अपनी समस्याएं हल करने के लिए निर्णय लेना पड़ रहा है ।

उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार के जो मुख्यमंत्री हैं वह गूंगे बहरे और अंधे धृतराष्ट्र बने हुए हैं ।यही कारण है कि आज शहीद स्मारक पर हुई बैठक में अधिकांश लोगों ने अब सरकार की नींद हराम आंदोलन चलाने का फैसला किया है। उन्होंने कहा है कि चिन्हित राज्य आंदोलनकारी संयुक्त समिति  की ओर से तो पहले ही 18, 19,20 जुलाई को राज्य के तमाम जिलों में निकम्मी भाजपा सरकार के पुतले जलाने का फैसला किया गया  है और आज देहरादून में एस्ले हाल चौराहे पर पहला पुतला फूंक दिया गया। उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को नया मुख्यमंत्री बताते हुए कहा कि हम पुष्कर सिंह धामी को समय देना चाहते हैं और उम्मीद है कि 15 अगस्त से पहले वह कोई ना कोई घोषणा राज्य आंदोलनकारियों के पक्ष में करेंगे और सबसे पहले जो हमारे राज्य निर्माण आंदोलनकारियों की नौकरियों से निरस्त कर दिया गया हैं उनकी नौकरियां बहाल किए जाने, आंदोलनकारी पेंशन 15000 प्रति मास किए जाने  , क्षैतीज आरक्षण किए जाने जैसे सवालों पर वे फैसला देंगे।