प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही है। सड़क दुर्घटनाओं के कई कारण सामने आए हैं। इनमें तेज गति, लापरवाही, तेज मोड़ व टूटी सड़कें तो शामिल हैं ही मगर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित सड़क सुरक्षा समिति के रोड आडिट में यह बात सामने आई है कि राष्ट्रीय, राज्य व जिला स्तरीय मार्गों पर अनधिकृत तरीके से लगाए गए होर्डिंग भी दुर्घटना का कारण बन रहे हैं। समिति ने प्रदेश के चार मैदानी जिलों में 31 स्थानों में से 19 स्थानों पर लगे होर्डिंग को दुर्घटना के लिहाज से खतरनाक करार दिया है। अब इन्हें हटाने के लिए संबंधित नगर निगम व नगर पालिकाओं को पत्र भेजे जा रहे हैं।

उत्तराखंड में कुछ प्रमुख शहर तेजी से विकसित हो रहे हैं। यहां नामी कंपनियां व ब्रांड अपने होटल, माल, स्टोर व रेस्टोरेंट की चेन खोल रहे हैं। इनका खूब प्रचार व प्रसार भी किया जा रहा है। दूसरे राज्यों से आने वाले पर्यटकों को इनके बारे में जानकारी देने के लिए प्रचार के कई माध्यम अपनाए जा रहे हैं। इनमें से एक माध्यम होर्डिंग लगाया जाना भी है। ये होर्डिंग अब काफी आकर्षक बनाए जाने लगे हैं। रात को ये दूर से ही नजर आएं, इसके लिए इनमें बल्ब व ट्यूबलाइट भी लगाई जा रही हैं। प्रचार का यह तरीका कई स्थानों पर दुर्घटना के लिहाज से काफी खतरनाक साबित हो रहा है।

दरअसल, प्रमुख मार्गों पर ये होर्डिंग तेज मोड़, प्रमुख चौराहों व तिराहों पर लगे हैं। वाहन चालकों की नजर सीधे इन पर पडऩे के कारण वाहन चलाते समय उनकी एकाग्रता प्रभावित होती है, जिससे वाहन दुर्घटना की संभावना बढ़ जाती है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित सड़क सुरक्षा समिति ने उत्तराखंड में रोड आडिट किया। समिति ने देहरादून में 10 में से चार स्थानों पर खतरनाक होर्डिंग, हरिद्वार में पांच में से तीन स्थानों पर हल्द्वानी में आठ में से छह स्थानों पर और रुड़की में आठ में से छह स्थानों पर खतरनाक होर्डिंग चिह्नित किए।

समिति ने राष्ट्रीय राजमार्ग में आठ में से छह स्थान, राज्य राजमार्ग में नौ में से आठ स्थान और मुख्य जिला मार्गों में नौ में से छह स्थानों पर इस तरह के होर्डिंग चिह्नित किए हैं। समिति ने इसकी सूची राज्य सुरक्षा सड़क परिषद को भी उपयुक्त कार्यवाही के लिए उपलब्ध कराई है। परिवहन मंत्री के समक्ष भी इस विषय को लाया गया। उन्होंने ऐसे खतरनाक होर्डिंग हटाने के लिए संबंधित निकायों से पत्राचार करने के निर्देश भी दिए हैं। शहर की मुख्य सड़कों और चौराहों पर लगे अवैध होर्डिंग शहर की सुंदरता को बिगाड़ रहे हैं। इससे नगर परिषद को हर वर्ष लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है। क्योंकि नगर परिषद ने शहर में होर्डिंग व फ्लैक्स आदि लगाने के लिए स्थान निर्धारित किए हुए हैं। यहां पर होर्डिंग और फ्लैक्स लगाने पर नगर परिषद को हर वर्ष लाखों रुपये का राजस्व मिलता है, मगर विभिन्न शिक्षण संस्थानों सहित राजनीतिक पार्टियों के लोगों ने अपने होर्डिंग व फ्लैक्स को डिवाइडरों के बीच लगे खंभों और मुख्य चौराहों पर लगवा रखा है। इससे जहां शहर की सुंदरता खराब हो रही है, वहीं नगर परिषद को लाखों रुपये राजस्व का नुकसान हो रहा है।

हाईकोर्ट के नियम के मुताबिक शहर में चयनित जगहों पर ही होर्डिंग लगाए जा सकते हैं, लेकिन त्योहार या अन्य किसी विशेष अवसर पर शिक्षण संस्थान सहित विभिन्न पार्टियों के नेता अपनी राजनीति चमकाने के लिए शहर के मुख्य मार्गों पर अपने होर्डिंग लगवा देते हैं। निशुल्क प्रचार करने वालों पर नगर परिषद भी कोई कार्रवाई नहीं होती है। जिससे शहर में अवैध होर्डिंग और फ्लैक्स की भरमार बढ़ती जा रही है। हालांकि नगर परिषद द्वारा अवैध होर्डिंग और फ्लैक्स को हटाने के लिए विशेष अभियान चलाया जाता है, मगर नियमित कार्रवाई नहीं होने के चलते दोबारा से शहर में होर्डिंग और फ्लैक्स की भरमार हो जाती है जिससे दुर्घटनाओं का अंदेशा बना रहता है।

न्यायालय का मुख्य मार्गों पर बड़े होर्डिंग व फ्लैक्स पर रोक लगाने का एक कारण यह भी था इनके लगने बहार से आने वाले भारी वाहनों को किसी शैक्षणिक संस्थान/अस्पताल/ सरकारी कार्यालय के कोई संकेत नहीं दिख पाते। इसके चलते स्कूलों, कॉलेजों व सरकारी दफ्तरों आदि जहां पर लोगों का पैदल आना जाना अधिक रहता है, जिससे हादसा होने का अंदेशा एक दम से बढ़ जाता है। इसलिए प्रशासन को जहां अपने सूचना-बोर्ड की हालत सुधारनी चाहिए, वहीं सड़कों पर बिना मंजूरी लगे ऐसे होर्डिंग को हटाने के साथ ही उनके खिलाफ कठोर दंडात्मक कार्रवाई भी करनी पड़ेगी अन्यथा महानगरों में शुरू होने वाला यह दृश्य प्रदूषण ( visual pollution) कब गाँव और कस्बों में फ़ैल जाये कुछ कहा नहीं जा सकता ।

ये लेखक के निजी विचार हैं

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला दून विश्वविद्यालय

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