नई दिल्ली : जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में देश विरोधी नारे लगाने के मामले में शुक्रवार को दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने 13 माह (400 दिन) बाद जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार समेत दस अन्य के खिलाफ देशद्रोह का मामला चलाने के लिए पुलिस को अनुमति दे दी है। पुलिस की स्पेशल सेल ने मामले की जांच की थी, लेकिन राज्य सरकार के अनुमति नहीं देने के कारण वह चार्जशीट दाखिल नहीं कर पा रही थी।
9 फरवरी 2016 को जेएनयू में देश विरोधी नारे लगाने के वीडियो सामने आए थे, इसके बाद मामले की जांच की गई। कन्हैया कुमार, उमर खालिद, अनिर्बान भट्टाचार्या, आकिब हुसैन, मुजीब हुसैन, मुनीब हुसैन, उतर गुल, रईस रसूल, बसरत अली व खालिद बशीर भट के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। इनमें सात जम्मू कश्मीर के रहने वाले हैं। 1200 पन्नों के आरोप पत्र में संदिग्धों में रामा नागा, आशुतोष, शैहला राशिद, डी राजा की बेटी अपराजिता राजा, रुबैना सैफी, समर खान समेत 36 छात्रों को रखा गया था। कोर्ट के आदेश पर इन्हें भी आरोपित बनाया जा सकता है। 12 लोगों को चश्मदीद बनाया गया है। धारा 164 के तहत 24 से ज्यादा लोगों के बयान कराए गए। अदालत में 14 जनवरी 2019 को आरोपपत्र भी दाखिल किया गया, मगर दिल्ली सरकार ने देश द्रोह के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं दी थी। सरकार ने उस समय कहा था कि दिल्ली पुलिस ने नियमों का उल्लंघन किया है। उससे बगैर अनुमति के आरोपपत्र दाखिल किया गया है।