थे मसीहा  उत्तराखंड के जो कभी,डूब गये वो आज की तारिख में

विवेकानंद खंडूड़ी

आज से ठीक 7 साल पहले आज ही के दिन तत्कालीन कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के आवास पर “डिनर डिप्लोमेसी” के दौरान गोली चलने से सनसनी फैल गई। घटना में दो कांग्रेसी नेता घायल हो गए थे। पता चला है कि ये गोलियां उत्तराखंड को अपने “अंग विशेष” पर रखने वाले खानपुर (हरिद्वार) के विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन ने अपनी पिस्टल से चलाई थीं। मंत्री डॉ. रावत के यमुना कॉलोनी स्थित आवास पर मंगलवार को कांग्रेसी विधायकों का डिनर आयोजित किया गया था। इसी दौरान विधायक चैंपियन वहां पहुंचे और अपनी पिस्टल से एक फायर हवा में व तीन फायर जमीन की ओर नली का रुख करके किए थे जिसके फस्वरूप शेर-ए-उत्तराखंड कहे जाने वाले विवेकानंद खंडूड़ी और हरिद्वार के रवींद्र सैनी घायल हो गए थे । विधायक ने फायरिंग क्यों की, इसका पता तो आज तक भी आम जनता न चल सका। लेकिन घटना के बाद मंत्री के आवास पर हड़कंप मच गया था। उक्त घटना के बाद कांग्रेस के सभी छोटे बड़े नेताओं का जमावड़ा लग गया था मगर इस मामले में पूछने पर सभी को सांप सूंघ जाता था। विवेकानंद डीएवी कॉलेज के अध्यक्ष रह चुके थे इसलिए अगले ही दिन इस घटना के विरोध में एबीवीपी और पट्टू ग्रुप ने मिलकर डीएवी पीजी कॉलेज भी बंद करवाया था. यही वह पहली घटना थी जो पर्वतीय मूल के राजनितिक  अस्तित्व व मान -सम्मान पर पहली चोट थी.

#कुंवरप्रवणसिंहचैम्पियन

खैर उस दावत में शरीक अधिकतर ‘शरीफ लोग’ अब राष्ट्रवादी दल में सम्मिलित हो चुके हैं और मामले के मुख्य अभियुक्त कहे जाने वाले  आज भी भी देवभूमि को अपने अंग विशेष पर रखने का दंभ रखने के चलते राष्ट्रवादी दल सख्त “जरूरत” बन चुके हैं।

इससे पहले भी चैम्पियन  पर कभी हरिद्वार गंगा नदी में मगरमच्छ को मारने का आरोप तो कभी मौके-बेमौके अपने बाहुबल का प्रदर्शन करने का, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष यशपाल आर्य की ताजपोशी के जुलूस में भी वे खुले में हवाई फायर कर फंसे थे तो हरिद्वार में अपने बेटे के जन्मदिन के मौके पर हवाई फायर करने का मामला भी चर्चा में रहा था।

वीरेंद्र मोहन उनियाल

उत्तराखंड के निर्बल वर्ग जन कल्याण समिति के संस्थापक अध्यक्ष और वरिष्ठ कांग्रेस नेता वीरेंद्र मोहन उनियाल का लंबी बीमारी के बाद आज ही की तारीख में 67 वर्ष की आयु में निधन हुआ था। उन्होंने मसूरी रोड स्थित मैक्स अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर मिलते ही बड़ी संख्या में लोग अपनी संवेदना व्यक्त करने उनके झंडा मोहल्ला स्थित उनके आवास पर पहुंच गये थे ।

छात्र जीवन के बाद से वीरेंद्र मोहन उनियाल राजनीति में सक्रिय हो गये थे। वर्ष 1987 में पहली बार उन्होंने डालनवाला और रेसकोर्स दो जगहों से वार्ड मेंबर का चुनाव लड़ा और नगर पालिका देहरादून में निर्वाचित होकर आए। वर्ष 2002 में उत्तराखंड विधानसभा के लिए हुए प्रथम चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर डोईवाला सीट से चुनाव लड़े उनको पराजय का सामना करना पड़ा था। वर्ष 2007 में फिर उन्होंने इसी सीट से चुनाव लड़ा लेकिन इस बार भी करीबी मुकाबले में वह हार गए थे। देहरादून की बहुत सी पुरानी और नियमित 75 बस्तियों को बसाने का श्रेय उनियाल जी को ही जाता है। उनके समय में राजपुर रोड, रेसकोर्स, डालनवाला, जाखन, विवेक विहार, राजेश रावत कॉलोनी, वीर गबर सिंह बस्ती समेत तमाम अन्य बस्तियां बसी। वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अशोक वर्मा बताते हैं कि अविभाजित उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ हुआ करती थी।तब उनियाल अक्सर लखनऊ जाकर इन बस्तियों के लिए सड़क, बिजली, पानी की मांग को लेकर पहुंचा करते थे। उन्हीं के समय में इन बस्तियों को तमाम सुविधाएं मिली। वह लखनऊ सचिवालय में पहाड़ी मूल के कर्मचारियों के बीच भी खासे लोकप्रिय थे। पूर्व विधायक और कांग्रेसी नेता राजकुमार ने बताया कि उनके साथ काम करने का उनका लंबा अनुभव रहा है। पुराने दिनों को याद करते हुए वे कहते हैं कि उनसे काफी कुछ सीखने को मिला है। आज उन्हें भी गुजरे १ साल हो गया मगर शहर के किसी कोने से उनको याद करने वाला न दिखा .