मायूस तो हूँ उनके वादों से कुछ आस नहीं, कुछ आस भी है…
गैरसैंण तेरे ख़्यालों के सदके, तू पास नहीं और पास भी है !

गत 8 -9 फरवरी 23′ को विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी अल्मोड़ा के दौरे पर थीं। इस दौरान उन्होंने बयान दिया था कि भविष्य में स्थायी राजधानी गैरसैंण बननी चाहिए। राज्य के लोगों और उनकी खुद की यह भावना है। उनके इस बयान के बहाने सियासत शुरू हो गई थी । गैरसैंण को स्थायी राजधानी का मुद्दा किसी दुखती रग से कम नहीं है।

देहरादून, 11 मार्च : तीन साल बाद गैरसैंण में सरकार एक बार बजट सत्र का आयोजन करने जा रही है। 13 मार्च से शुरू होने वाले इस बजट सत्र से पूर्व एक बार फिर राजधानी के मुद्दे पर राजनीतिक माहौल गरमा रहा है, मुद्दा है गैरसैंण की उपेक्षा का। भाजपा ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी तो घोषित कर दिया लेकिन सालों तक यहां सत्र का आयोजन न कराने और विकास कार्य न कराने को लेकर विपक्ष भाजपा सरकार पर निशाना साध रहा है, वही पहाड़ के लोगों में सरकार के इस रवैया को लेकर नाराजगी है

भाजपा नेताओं के बयानों से इस तरह के संकेत जरूर मिल रहे हैं कि इस बार सीएम धामी गैरसैंण राजधानी को लेकर कोई बड़ी घोषणा कर सकते हैं। यह घोषणा क्या होगी? यह समय ही बताएगा। लेकिन कांग्रेसी नेताओं का कहना है कि भाजपा घोषणाओं की राजनीति बंद करें और गैरसैंण को राज्य की स्थाई राजधानी घोषित करें तथा यहीं से सरकार के सर्वकालिक कार्यों का संचालन करें जैसे अब तक देहरादून से होते आए हैं। कांग्रेस नेता प्रीतम सिंह का कहना है कि घोषणाएं तो पहले भी होती रही हैं, ग्रीष्मकालीन राजधानी और कमिश्नरी बनाने की घोषणा भाजपा ने ही की थी। ऐसी ग्रीष्मकालीन राजधानी का क्या फायदा जहां सालों से विधानसभा भवन में ताले लटके हुए हैं।
यूं तो राजधानी गैरसैंण का नाम राज्य गठन से पूर्व ही चर्चाओं के केंद्र में आ गया था लेकिन दो दशक तक राज्य का राजकाज अस्थाई राजधानी देहरादून से ही संचालित होता रहा है। तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने गैरसैंण में भूमि पूजन कर गैरसैंण राजधानी की नींव तो रख दी गयी थी, लेकिन बीते 10 सालों में यह भवन निर्माण और चंद दिनों के कुछ गिनती के विधानसभा सत्रों के आयोजनों की महज एक औपचारिकता ही पूरी की जाती रही है। जिसे लेकर पहाड़ के लोगों की नाराजगी स्वाभाविक ही है। लोग चाहते हैं कि प्रतीक और दिखावे की राजनीति जो गैरसैंण राजधानी को लेकर अब तक होती रही है वह बंद होनी चाहिए और सरकार कोई ठोस फैसला करें।
गैरसैंण राजधानी को लेकर सरकार यहां अवस्थापना कार्यों पर ढाई से तीन सौै करोड़ का खर्चा कर चुकी है अगर यहां से शासकीय कार्यों का 6 महीने भी संचालन नहीं होता है तो यह खर्च बेकार ही है। सवाल यह है कि क्या धामी सरकार 2024 से पहले गैरसैंण को राज्य की स्थाई राजधानी बनाने जैसा कोई बड़ा फैसला कर पाएगी या फिर जिस तरह की राजनीति अब तक गैरसैण और राजधानी को लेकर होती रही है यही आगे भी जारी रहेगी। राज्य सरकार 6 महीने ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण से अपने कार्यों का संचालन करें इसे लेकर कांग्रेस 13 मार्च को गैरसैंण में विधानसभा मार्च का आयोजन करने जा रही है।