विधायिका के अधिकारों पर लगाये प्रश्नचिन्ह
देहरादून, 9 अगस्त: उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी संयुक्त मंच के तत्वावधान में राज्य आंदोलनकारियों को राज्याधीन सेवाओं में 10% क्षैतिज आरक्षण और चिन्हीकरण की लंबित माँग को लेकर जारी अनिश्चितकालीन धरना नवें दिन भी जारी रहा।
अपने पूर्व घोषित कार्यक्रम को मूर्त रूप देते हुए आज उत्तरकाशी, प्रताप नगर, टिहरी,पौड़ी व चमोली जिलों से पहुंचे आंदोलनकारियों ने सयुंक्त बैठक कर आंदोलन के दूसरे चरण की रूपरेखा तैयार की जिसके तहत
- 01 अगस्त से शुरू किया गया धरना, कल दिनाँक 11 अगस्त से क्रमिक-अनशन में तब्दील करने का निर्णय लिया गया जिसके तहत प्रतिदिन 3 आंदोलनकारी क्रमिक अनशन पर व अन्य उनके समर्थन में धरने पर बैठेंगे।
- आगामी 1- 2 दिन में सर्वसम्मति से प्रदेश स्तर की एक संयुक्त समन्वयक समिति का गठन करने का निर्णय लिया गया।
- अब इस आंदोलन को जिला स्तर पर ले जाने पर सहमति बनी।
- प्रवर समिति में शामिल विधायकों समेत स्वयं को आंदोलनकारियों का हितैषी बताने वाले सभी दलों के विधायकों/नेताओं का घेराव किये जाने पर भी सहमति बनी।
आज की बैठक में सुझाव देने वाले लोगों में आंदोलनकारी मंच के सलाहकार केशव चंद्र उनियाल, जिला अध्य्क्ष प्रदीप कुकरेती, चिन्हित आंदोलनकारी संगठन के अध्यक्ष बाल गोविंद डोभाल, रामचंद्र नौटियाल, नरेंद्र राणा, वीपी रावत, मोहन सिंह रावत, सुरेंद्र सिंह पवार,खुशपाल सिंह परमार, दिनेश भारद्वाज, भानु रावत, गणेश डंगवाल,अंबुज शर्मा, वीरेंद्र(वीरी)रावत,संजय थापा, राधा तिवारी,आशीष उनियाल, तारा पांडे, रेनू नेगी, शेर सिंह रावत, डॉ0 सोनिया आनंद रावत, मुरारीलाल खंडेलवाल, सुधीर नारायण शर्मा, दुर्गा बहादुर क्षेत्री आदि थे।
इसके अलावा आज धरने में दमयंती, भावना, शैलेंद्र सिंह सुनीता ठाकुर, रामकिशन, प्रभात डंडरीयाल, क्रांति अभिषेक बिष्ट, गीता नेगी, आशीष चौहान, धर्मानंद भट्ट, पुष्पा बहुगुणा, दुर्गा रतुड़ी, सुरेंद्र सिंह पवार, सुशील घिल्डियाल, हरि प्रकाश शर्मा, नरेश नेगी, विनोद असवाल,अनीता रावत, हरीमनी भट्ट, प्रेमलता चौहान, सुशील विरमानी, सुनील कुमार जुयाल, सुनील नेगी आदि लोगों ने शिरकत करी।
आज के कार्यक्रम की व अध्यक्षता उत्तरकाशी से आये वरिष्ठ आंदोलनकारी शिवराज सिंह रावत व संचालन धरने के मुख्य संयोजक क्रांति कुकरेती द्वारा किया गया।
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कार्यक्रम के पश्चात सभी आंदोलनकारीयों ने विधायक आवास कूच किया जहाँ मौजूद एक मात्र विधायक बृज मोहन गैरोला (डोईवाला) से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन सौंपते हुए पूछा क्या कारण है कि उनके बाद राजभवन भेजे गए एक्ट तो साइन हो कर वापस आ गए मगर जो एक्ट विधानसभा में सर्वसम्मति से पास हो कर भेजा गया है वह 5 महीने बाद भी लटका हुआ क्यों है। एक तरफ तो माननीय मुख्यमंत्री अपने सूचना विभाग के माध्यम से अपनी व प्रधानमंत्री कि फोटो लगा कर पूरे प्रदेश में प्रचारित करने में लगे हैं कि उक्त एक्ट पास हो गया, मगर अपनी विधानसभा पटल में सर्वसम्मति से पारित एक्ट को आज तक राजभवन से साइन नहीं करवा पाये यह तो विधायिका के अधिकारों पर ही प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है।
सयुंक्त मंच के सह संयोजक अम्बुज शर्मा ने विभिन्न दलों से जुड़े आंदोलनकारी साथियों से आह्वान किया कि मात्र पद के लालच में किसी पार्टी से ना जुड़े। अगर वह स्वयं को पहले आंदोलनकारी मानते है तो अपने-अपने क्षेत्र के विधायकों से अपने सम्मान से जुड़ी इस मांग पर चर्चा करना शुरू करें। अगर हम ऐसा करने में सफल हो पाए तो यक़ीन मानिये इस राज्य के निर्माण की मूल भावनाओं से अन्य मुद्दे भी आपसी सद्भाव से हल करवा पाएंगे।
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