देहरादून। स्मार्ट कलक्ट्रेट प्रोजेक्ट के चलते शहीद स्मारक को तोड़े जाने की बात से नाराज उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी मंच ने आज जिलाधिकारी से वार्ता की। जिलाधिकारी की ओर से राज्य आंदोलनकारियों को आश्वस्त किया गया है कि आंदोलनकारियों की सहमति के बिना स्मारक को नहीं तोड़ा जाएगा। वहीं आंदोलनकारियों ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर स्मारक को छेड़ा भी गया तो इसका पूर्ण विरोध किया जाएगा और इसके लिए वे लाठीकृगोली खाने के लिए तैयार हैं।
इस प्रकरण में पूर्व में राज्य आंदोलनकारी मंच की अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) अरविंद पाण्डेय से वार्ता हुई थी। जिस पर सहमति नहीं बनने के बाद राज्य आंदोलनकारियों की मुख्य सचिव से वार्ता हुई। राज्य आंदोलनकारियों ने इस दौरान कहा कि पृथक उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन के केन्द्र बिन्दु रहे शहीद स्मारक से हर आंदोलनकारी की भावनाएं जुड़ी हैं। इसे तोड़ने के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता है। जबकि प्रशासन इसे तोड़कर अन्यत्र शिफ्ट करने की बात कह रहा है। इस पर मुख्य सचिव ने आंदोलनकारियों को स्पष्ट किया है बिना राज्य आंदोलनकारियों की सहमति के इस स्मारक को नहीं तोड़ा जाएगा। वहीं उन्होंने इस संबंध में जिलाधिकारी को इस संबंध में वार्ता किए जाने के निर्देश दिए थे।
जिसके बाद आंदोलनकारियों की कलेक्ट्रेट में जिलाधिकारी डा. आशीष श्रीवास्तव से वार्ता हुई। इस दौरान संगठन के पदाधिकारियों ने कहा कि शहीद स्मारक ऐतिहसिक स्थल है। यहां न जाने कितनी भूखकृहड़ताल व धरने प्रदर्शन किए गये। आंदोलनकारियों के खूनकृपसीने से सींच कर यह धरना स्थल से शहीद स्मारक बना है। जगमोहन सिंह नेगी ने कहा कि यह हमारी अस्मिता से जुड़ा स्थान है और हम इसे किसी भी कीमत पर नहीं टूटने देंगे।
प्रदीप कुकरेती ने कहा कि हमने तम्बू और तख्त बचाने के लिए एक बड़ा लाठी चार्ज झेला है। जिसमे पूर्व विधायक व संयुक्त संघर्ष समिति के अध्यक्ष रहे स्व.रणजीत सिंह वर्मा के साथ कई राज्य आंदोलनकारी घायल हुए थे। हमने दिए जलाकर रातें काटकर इस धरना स्थल पर लड़ाई लड़ी। सुशीला बलूनी ने कहा कि यहां जो मर्जी बने परन्तु शहीद स्मारक पर किसी को हाथ नहीं लगाने देंगे। शहीद स्मारक पर तोड़ने के बजाय संरक्षण पर जोर दें।
जिलाधिकारी ने कहा कि शहीद स्मारक को तोड़े जाने से पहले राज्य आंदोलनकारियों की सहमति ली जाएगी। उन्होेंने स्पष्ट किया कि दूसरे स्थान पर भव्य शहीद स्मारक बनाया जाएगा और उसके बाद ही इसे तोड़ा जाएगा। इस पर आंदोलनकारियों ने स्पष्ट कहा कि यदि भव्य ही बनाना है तो इसी स्मारक को भव्य किया जाए लेकिन इसे तोड़ने नहीं दिया जाएगा। हालांकि डीएम की ओर से सकारात्मक वार्ता के बाद राज्य आंदोलनकारी आश्वस्त हैं कि स्मारक को छेड़ा नहीं जाएगा फिर भी उन्होनें चेतावनी दी है कि यदि स्मारक को हाथ भी लगाया गया तो वे इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। राज्य प्राप्ति आंदोलन की तरह ही शहीद स्मारक को बचाने के लिए लाठी-गोली खाने के लिए वे तैयार हैं। इस दौरान वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी सुशील बलूनी, जगमोहन सिंह नेगी, रविन्द्र जुगरान, प्रदीप कुकरेती व सुरेश नेगी शामिल रहे।