प्रवर समिति की 9 बैठकों के बाद विधानसभा से पारित यह विधेयक 5 माह से राजभवन में लंबित है। यदि विधेयक में कोई खामी है तो राजभवन को वह कमी उजागर करनी चाहिए इस तरह से रोक के रखने से तो सरकार की मंशा पर संदेह पैदा होता है : सुरेंद्र कुकरेती
देहरादून, 2 अगस्त: उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी संयुक्त मंच ने राज्य आंदोलनकारियों को राज्याधीन सेवाओं में 10% क्षैतिज आरक्षण और, चिन्हीकरण के लंबित प्रकरणों के निस्तारण की माँग को लेकर जारी अनिश्चितकालीन धरना आज दूसरे दिवस भी जारी रहा।
आज धरनास्थल पर पहुंचे उक्रांद के संरक्षक और वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी सुरेंद्र कुकरेती ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रवर समिति की 9 बैठकों के बाद विधानसभा से पारित यह विधेयक 5 माह से राजभवन में लंबित है। यदि विधेयक में कोई खामी है तो राजभवन को कमी उजागर करनी चाहिए इस तरह से रोक के रखने से तो सरकार की मंशा पर संदेह पैदा होता है। उन्होंने सभी आंदोलनकारी शक्तियों से एकजुट होने की अपील करते हुए कहा कि एकजुट रहोगे तभी सरकारें बात सुनेगी नहीं तो सिवाय आश्वासनों के कुछ नहीं मिलने वाला।
राज्य आंदोलनकारी मंच के जिलाध्यक्ष प्रदीप कुकरेती ने कहा कि कई बार आश्वासन देने के बाद मुख्यमंत्री अपने वचन पर खरे नहीं उतरे, इससे प्रदेश में मुखिया की साख कम होती है। उन्होंने कहा कि अबकी बार जब तक 10% का विधेयक राजभवन से पास हो कर लागू नहीं ही जाता आंदोलनकारी यहां से उठने वाले नहीं हैं।
आज धरने पर बैठने वाले में टिहरी से हरिओम ओमी,जबर सिंह पावेल, बलबीर सिंह नेगी, उक्रांद से प्रमिला रावत, शिवराज सिंह रावत, दिनेश भारद्वाज,प्रेम नगर से लोक बहादुर थापा, प्रभात डंडरियाल, कौलागढ़ से विपुल नौटियाल, मूल निवास भू कानून के संयोजक मोहित डिमरी, प्रांजल नौडियाल, प्रमोद काला, विकास नगर से रामकिशन, अम्बुज शर्मा, क्रान्ति कुकरेती आदि मुख्य रूप से उपस्थित रहे।