पुरानी टिहरी की यादें…….
हे बेटा ! डाम कु औफ़िस कख म ,घंटाघर की चढ़ाई चढ़दा – चढ़दा वीं बुढ़ड़ी जनानिन नियाज बेग तैं पुछी ?
बड़जी कख बिटि आया तुम, कै गौं बिटी ? बेटा, मै डोब कु अर तु कख कु, बुढ़ड़ी न पुछी ? अजी मै तो यहीं का बड़ी, टेहरी का . डोबवालों की यख दुकान नी, सुंदरु कौंकी ,अर वा हैक्की जित्तू लाला की .
हाँ किले नी, छंदे बेटा छंदे अर तु कख रंदु ? मै, मुस्लिम मोहल्ला म . क्या तु—- मुसलमान ? हाँ बड़ी, अर मुसलमान क्या अच्छा नि होंदा ? किलै नी छोरा ,वु भी त मनखी ही छन ,अर ऐंसू कैन लिनी होलु हमारा गौं कु आम बगीचा ?
पता नि बड़ी, परारके साल तो मेरे ताऊ ने लिया था बगीचा, मै भौत रा डोब . अर सुणदौं बेटा, व नि थै एक बुढ़ड़ी तुमारी,क्य नौ थौ वींकु, जु धोत्यों कु रंग भी देंदी थै, खूब खड़खड़ी ? अच्छा वो, वो तो हमारी दादी लगती थी,वो तो गुजर गई ऐंसू ह्युंद का मैना.
हला, कनि भली मनखींण थै बिचारी ! भारी मजबूत चूड़ी रंदी थै वींकि. मै,वीं कई बखत देंदु थौ मट्ठा . बग्वाल्यों म वा फुलझड़ी –चकाचुंदरी भी लौंदी थै. अरे बड़ी,तुमने तो बोला नी कि, कौन से औफ़िस में जाणा तुमने, यख तो कई औफ़िस छन ?
क्य बोल्दा बेटा वै तईं, जख फ़ाईल बंणदिन ? अच्छा, पुनर्वास, चलो ठीक है, मै भी वक्खी जांणु . व्हेगी तुमारा गौं की पैमाईश बड़ी ? अरे बेटा, यनि आफ़त छ कि, डोखरा कैका, नौ कैका अर दावेदार कुई हौर ? बड़ी कागज़ –पत्तर ठीक नि बणाई होला पिछल्योंन, तभी यनि गड़बड़ ?
मै त बुढ़या मनखींण, मै बेटा कखी दौड़ी भी नि सकदु ? दफ़्तरु का नौ भी माच्दु का इना धरयां कि बोलेंदा भी मुश्किल से ही. अरे बड़ी, तुमारा गौं कु सरोपु भी त वई दफ्तर म ? हाँ पर कै कु पछाणदु अचकालु बेटा, वनु नौन्याल भौत भलु वु . मैंन वै मंग ही जांण बेटा .
बड़ी, बिना लिन्या –दिन्या कुछ काम नि होंण . अरे फंडू दी करला बेटा, पर पैली काम त हो कुछ ? यि त सुद्धि माचु चक्कर पर चक्कर कटोणा — भोळ आ ,परसेक आ, आज त साब नी, आज बाबु छुट्टी पर ? बड़ी, सरकारी दफ्तरु का बड़ा बुरा हाल छन पर क्या कन्न, मौका पर त गधा क भी बाप बोल्न ही पड़दु ?
टीरी का मुसलमान कख होला जाणा बेटा , भैर बसला कि, कखी देस ? अरे वक्खी जौला बड़ी, जख सैडा शहरवाला जाला,भैर हमारा बस कु नी. सही बात बेटा, पर सरकार क्या जु बल , भौं कखी जमीन देंणी. अठूर वालों तैं कनि दिनि भानियावाला अर हम संणी पथरी-बाग़ ? कनै रौला हम वख छोरा, भैर परदेस ? अर यि पंजाबी कख होला जांणा बेटा , लाला लोग ? मेरा मंती ऋषिकेश फंडु बसला कखी ?
अर यु हल्ला केकु बेटा होणु , क्यांकू जलुस होलु बेटा आज ? आज बड़ी, चक्काजाम छ. बाजारवालों की , डूबक्षेत्रवालों की हड़ताल छ कि, डाम नि बणु बळ. सच्ची बेटा, रुकजांदु थौ यु डाम, त भौत ही बढ़िया बात होंदी थै छोरा. कनु सुंदर पहाड़ हमारू , भले ही यख लांण –खांणक न हो पर कै चीज की डर –भौ नी . सुद्दी रा भौं कखि म भी पड़यां ?
भैर देस म त दिन –दुफेरा ही लुटे जांदु मनखी ? एकदां, तेरु बडा गई दिल्ली, छोरा कैन दिन मंग ही खिस्सा काट ढोली बुढया कु ,त कखि हाथ परंन ही झोला छिनिक भाग जांदा, बीच बजार म ?
क्य होला बेटा, यि जलूसवाला बोल्ना ? “ हमारी मांगें पूरी करो —- बांध बंद करे सरकार; बाँध— विकास नी, विनाश छ ;विस्थापित एकता—जिंदाबाद ”. बेटा, ये चक्का-जाम कि कखी सुणवाई भी होलि बळ, मै नि लगदु कि,सरकार अब डाम बंद कर देली ?
बड़ी पैली बात त या कि, डूब क्षेत्रवालों म कुई एकता नी .सब अपणी ही रंदा ठोकणा, नेता लोग भी अपणि- अपणी रंदा चलौणा ? कांग्रेस एक बोलु त कम्युनिस्ट हैक्की त भाजपा सुद्दी लगाऊ लाहोरी –काहोरी ? यनि बातु न सच्ची रुकदु डाम ?
अब त सुणि बेटा,सुरंगु कु काम भी पूरु व्हेगी ? जे.पी कंपनी की टनल पर त बड़ी, गंगाजी कु पाणी डाल भी याली. अरे छोरा सच्ची तु बोल्नों कि, मजाक करनु ? कबरी की छुईं या ? ऐंसू बग्वाल्यों की छुईं बड़ी.अर जु धरना पर बैठयाँ ,लोग वख, अर बहुगुणाजी भी,वांकु क्य व्हे ?
अजि, धरना –परदर्शन त चल्दी रंदु .धरनावाला तन्नि बैठयां अर जे.पी कंपनीवाला अपणु काम कर्रन लग्याँ ? यना धरना –प्रदर्शन से कुछ नि होंदु बड़ी. य सरकार त केवल पैसावालों कि सुणदि, नंगा –भुक्कों न त डाम बणदा- बणदा बरबाद व्हेजांण . लोकु न त प्लोट सरेंडर करिक ,पैसा लीक कबरी खै –पचे भी यालिन?
राकेश मोहन थपलियाल,