ब्रिटेन :
UK की संसद 1016 ईसवी में बनी थी , उसमें आग लग गयी और उसे फिर से 1840 ईसवी में बनाया गया । दुनिया के सबसे विकसित देशों में से एक UK को अपनी संसद फिर से बनाने का विचार नहीं आता क्यूँकि उनकी सरकार के लिए नयी संसद ज़रूरी नहीं है बल्कि ज़रूरी है जनता की शिक्षा , स्वास्थ्य जैसी चीजें ।
अमेरिका:
अमेरिका को दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र कहा जाता है । विश्व के सबसे ताकतवर देश की संसद Capitol Building 1800 ईसवी में बनी थी । आज तक वहीं पर अमेरिका की संसद चल रही है और देश- दुनिया पर राज कर रही है । वाइट हाउस जहां दुनिया का सबसे ताक़तवर आदमी ( अमेरिकी राष्ट्रपति ) रहता है वो बिल्डिंग भी 1792 में बनी थी ।
फ़्रान्स :
फ़्रान्स के लिए आजकल भारत में कुछ लोगों का दिल बहुत धड़कता है और उसकी बहुत चिंता रहती है । वहाँ की संसद भी 1728 ईसवी में बनी थी । फ़्रान्स एक विकसित देश है , फिर भी पुरानी संसद से काम चला रहा है ।
नार्वे:
नार्वे को लोकतांत्रिक देशों में नम्बर एक पर माना जाता है , उनकी संसद भी 1882 ईसवी में बनी थी । पुरानी संसद होने के बाद भी इनका लोकतंत्र कमज़ोर नहीं हुआ ।
भारत:
दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत की संसद की इमारत 1927 ईसवी में बनी थी । हंगर इंडेक्स में दुनिया के 107 देशों में भारत का स्थान 94वाँ है । दुनिया में सबसे ज़्यादा कुपोषण से बच्चे भारत में मरते है । भारत की कुल जनसंख्या का 60% हिस्सा ग़रीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहा है । भारत में 50 करोड़ से ज़्यादा लोगों को रोज़ दो वक़्त का खाना नसीब नहीं होता । भारत में बेरोज़गारी अपने चरम पर है । क़ानून व्यवस्था में भारत दुनिया के सबसे बुरे देशों की लिस्ट में विराजमान है । महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध में भी भारत शीर्ष पर है । भारत पर विदेशी क़र्ज़ ( लगभग 101 लाख करोड़ ) पिछले 6 साल में दुगुणा हो चुका है। भारत दुनिया का शायद अकेला देश है जिसने कोरोना से लड़ने के लिए पीएम केयर फंड बनाया और इसका हिसाब तक नहीं दिया । इतने सरकारी संस्थान शायद पूरी दुनिया में नहीं बिके होंगे जितने मोदी जी ने पिछले 6 साल में बेच दिए ।
अगर इसके बाद भी आपको यह लगता है कि भारत में नयी संसद की नींव रखकर मोदी जी ने कोई एतिहासिक कार्य किया है तो आपको एक अच्छे से डॉक्टर की सख़्त ज़रूरत है । अगर प्रधानमंत्री को देश और देश की जनता की रत्ती भर भी चिंता होती तो वो इन हालात में अपने लिए 8500 करोड़ के हवाई जहाज़ और नयी संसद बनाने का विचार दिमाग़ में भी ना लाते ।