उत्तराखंड , विश्व प्रसिद्ध धाम केदारनाथ व यमुनोत्री मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। पौराणिक परंपराओं के अनुसार भैयादूज के मौके पर सुबह साढ़े आठ बजे केदारनाथ मंदिर के कपाट शीतकाल के छह महीनो के लिए बंद हुए। अब आने वाले शीतकाल के छह महीनो तक पंचकेदारो की गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में भक्त भोले बाबा के दर्शन कर सकेंगे। वहीं, यमुनोत्री मंदिर के कपाट दोपहर डेढ़ बजे बंद किए गए। बदरीनाथ धाम के कपाट 17 नवंबर को को बंद होंगे। इसके साथ ही चारधाम यात्रा का समापन हो जाएगा।
केदारनाथ धाम में कपाट बंद होने के मौके पर डेढ़ हजार से अधिक श्रद्धालु इस शुभ अवसर के साक्षी बनें। केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद करने की प्रक्रिया गत दिवस से ही शुरू हो गई थी। उत्सव डोली को मंदिर में रखा गया था। मंगलवार सुबह तीन बजे से ही समाधि पूजा शुरू कर दी गई थी। लगभग दो घंटे तक पूजा की गई। मुख्य पुजारी, वेदपाठियों ने पूजाएं संपन्न कराई। इसके बाद भोले बाबा की पंचमुखी मूर्ति को उत्सव डोली को मंदिर के अंदर स्वयं भू लिंग वाले गर्भ गृह से ठीक सुबह 6.30 पर बाहर लाया गया। साथ ही गर्भ गृह के कपाट बंद कर दिए गए। इसके पश्चात उत्सव डोली को भक्तो के दर्शनार्थ गर्भ गृह के बाहर में रखा गया। ठीक आठ बजकर 30 मिनट पर उत्सव डोली को मंदिर से बाहर लाने के बाद केदारनाथ मंदिर के मुख्य कपाट बंद कर दिए गए। इस मौके पर यहां मौजूद भक्तो के जयकारों से पूरी केदारपुरी भक्तमय हो गई। जम्मू-कश्मीर आर्मी की बैंड टीम की धुनों ने भी माहौल को भक्तिमय बना दिया। मंदिर से उत्सव डोली के बाहर आने के बाद मंदिर की परिक्रमा की गई। साथ ही डोली सीधे अपने गद्दीस्थल के लिए रवाना हो गई। इस मौके पर मंदिर समिति के मुख्य पुजारी केदार लिंग, मुख्य कार्याधिकारी बीडी सिंह, कार्याधिकारी एमपी जमलोकी, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी आरएम नौटियाल भी मौजूद रहे। पौराणिक रीति रिवाजों, वेदपाठियों, मंदिर समिति के पदाधिकारियों के साथ ही उत्सव डोली रात्रि विश्राम रामपुर में करेगी। 30 अक्टूबर को केदारनाथ की उत्सव डोली रामपुर से प्रस्थान कर फाटा, नारायणकोटी होते हुए रात्रि विश्राम के लिए विश्वनाथ मन्दिर गुप्तकाशी पहुंचेगी। 31 अक्टूबर को केदारनाथ की उत्सव डोली गुप्तकाशी से प्रस्थान कर लगभग सुबह ठीक 11 बजे पंचकेदार गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में प्रवेश करेगी। जहां डोली का फूल व अक्षतों से जोरदार स्वागत होगा। वहीं, डोली को ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान किया जाएगा। इसके बाद से शीतकाल में बाबा केदारनाथ की पूजा इसी मंदिर में होगी।
विश्व प्रसिद्ध यमुनोत्री धाम के कपाट भैया दूज के पावन पर्व पर दोपहर 1.30 बजे शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। यमुना की डोली के मंदिर से बाहर निकलते ही यमुना के जयकारों से यमुनोत्री धाम का पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा। इसके बाद शनिदेव की अगुआई में पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ यमुना की डोली शीतकालीन प्रवास खरसाली पहुंची। अब छह माह तक देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु मां यमुना के दर्शन खुशीमठ (खरसाली) में ही कर सकेंगे। मंगलवार को भाई दूज के अवसर पर यमुनोत्री धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रिया के तहत सुबह से ही पूजा अर्चना की गई। ठीक आठ बजे खरसाली से अपनी बहन यमुना को लेने के लिए शनि देव की डोली यमुनोत्री के लिए रवाना हुई। जो सुबह साढ़े दस बजे यमुनोत्री पहुँची। यमुनोत्री धाम में सुबह से लेकर दोपहर तक यहां पहुंचे श्रद्धालुओं ने यमुना के दर्शन किए। जिसके बाद वैदिक मंत्रोचार के साथ विधिविधान व पूजा अर्चना की गई। अभिजीत मुहूर्त के शुभ अवसर पर दोपहर 1.30 बजे धाम के कपाट बंद किए गए। इसके बाद पारंपरिक बाध्य यंत्रों के साथ मंदिर से शनिदेव की डोली की अगुआई में यमुना की डोली खरसाली के लिए रवाना हुई। यमुनोत्री धाम में पहुंचे बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने रांसों एवं तांदी नृत्य का भी लुत्फ उठाया तथा इन अविस्मरणी क्षेत्रों के गवाह बने। दोपहर बाद मां यमुना की डोली खरसाली पहुंची जहां ग्रामीणों ने यमुना भव्य स्वागत किया। इसके बाद यमुना की उत्सव मूर्ति मंदिर में प्रतिष्ठित किया गया। इस मौके पर डीएम डा. आशीष चैहान, एसडीएम सोहन सिंह सैनी, एसओ बडकोट डीएस कोहली, यमुनोत्री मंदिर समिति के सचिव कीर्तेश्वर, उपाध्यक्ष जगमोहन उनियाल, पूर्व उपाध्यक्ष पवन उनियाल के अलावा बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।