एक हिन्दू को जानिए मेरी नज़र से…

बनारस में रोज़ा रखते हुए दिनभर शॉपिंग किया। धूप कड़ी थी। पारा 40 के पार। भाग दौड़ में एकदम थक गया था। शाम के 4 बजते बजते हालत खराब होने लगी। एक-एक मिनट काटना मुश्किल लग रहा था। फिर भी हिम्मत करके भैय्या के साथ काम को निपटाने में लगा था।आखिरी में 6:15 बजे एक जूते की दुकान पर पहुंचे। भैया को जूते लेने थे।

दुकान में घूसते ही दुकानदार ने पहले पानी ऑफर किया। हमलोगों ने शुक्रिया कहते हुए इनकार किया कि हमारा रोज़ा है। दुकानदार सॉरी बोलकर जूते दिखाने लगा।जूते देखते-दिखाते, पसंद करते करते इफ्तारी का वक्त हो चला था। मैंने दुकानदार से एक बोतल ठंडा पानी मांगा ताकी रोजा खोला जा सके। फिर हम अपनी बातों में व्यस्त हो गए।

थोड़ी देर बात दुकानदार का कर्मचारी शरबत, पकौड़ी, ब्रेड पकौड़ा लाकर हमारे सामने रख दिया। हम हैरान थे कि तभी दुकानदार बोला कि हमारे इज्ज़त की बात है कि रोज़ेदार हमारे यहां रोज़ा खोले। हमलोगों ने दुकानदार को शुक्रिया कहा। इतने में दो रोज़दार और उनकी दुकान पर आ गए। फिर क्या था। सबने मिलकर इफ्तारी किया।

जाते जाते मैंने दुकानदार से बोला कि शुक्रिया तो आपका बनता है कि आपने हम रोज़ेदारों को इफ्तार करवाया। अल्लाह आपको तरक्की दे। इसके बाद उनके दुकान के मंदिर पर नज़र पड़ी। जिसपर बड़े बड़े अक्षरों में लिखा था

…………………………………….“सबका मालिक एक है”

 

Nisar Z Siddiqui की पोस्ट