भाई, मोदी जी भी कमाल करते हैं ! इतनी दूर की देखते हैं, इतनी दूर की देखते हैं कि वहां तक कोई और टेलिस्कोप से भी क्या देख पाएगा। बेशक, जलने वाले उन पर इल्जाम सा लगाते हैं कि वो तो बहुत दूर की फेंकते हैं। लेकिन, यह इल्जाम लगाने वाले इस बात को छुपा जाते हैं कि दूर की फेंकने के लिए, दूर तक देखने की भी तो जरूरत होती है। मोदी जी दूर तक इसीलिए तो फेंक पाते हैं कि वह दूर तक देख पाते हैं।
पचहत्तर साल बाद मोदी जी इतनी दूर फेंकते हैं, क्योंकि पचहत्तर साल में राज करने वालों ने जितनी दूर तक नहीं देखा, मोदी जी उतनी दूर देखते हैं। मोदी जी ने बहुत दूर तक देखा और नोटबंदी कर दी। आस-पास तक ही देखने वालों ने बड़ी हाय-हाय की, पर मोदी जी ने सबसे दूर की देखी और चार घंटे के नोटिस पर नोटबंदी कर दी। क्या हुआ कि बाकी सब अब तक वह दिखाई देने का इंतजार ही कर रहे हैं, जिसे देखकर मोदी जी ने नोटबंदी की थी। मोदी जी ने नोटबंदी की भी तो, कई प्रकाश वर्ष आगे देखकर की थी।
ऐसे ही मोदी जी ने फिर आगे की देखी और जीएसटी चालू कर दी। दो साल, चार साल, सात साल, दस साल की सोचकर राज्य हाय-हाय करते रहे, पर मोदी ने जीएसटी चालू कर दी। फिर मोदी जी ने थाली, बर्तन पिटवाए, दिए-टार्च वगैरह जलवाए और देश भर में तालाबंदी कर दी। हर रोज की रोटी की सोचने वालों ने बहुत कांय-कांय की, लाखों मजदूरों ने पैदल-पैदल गांवों के लिए वापसी के लिए शहरों को बाय-बाय की, पर मोदी जी ने दूर तक देखा और तालाबंदी कर दी और अब अग्निपथ।
अश्रु स्वेद रक्त से / लथपथ, लथपथ, लथपथ / अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ।
थैंक यू मोदी जी, इतनी दूर की सोचने के लिए।
जी हां मोदी जी ने जो आधे देश में हर पथ को अग्निपथ बनाया है, बहुत ही दूर की सोच कर बनाया है। बेशक, यह कहने वाले फौजी-वौजी भी दूर की सोच रहे हैं कि पेंशन-वेंशन के पैसे बचेंगे, तो देश-विदेश से और हथियार खरीदेंगे। या यह कहने वाले भी दूर की ही सोच रहे हैं कि चार-चार साल में लडक़े घर भेज दिए जाएंगे, तो फौज में काले बाल वाले बढ़ जाएंगे। या यह कहने वाले कि हथियार चलाने का कौशल लेकर चार साल में जब लडक़े वापस आएंगे, तो हथियारों की खपत में अमरीका-वमरीका भी हमसे पीछे छूट जाएंगे। पर ये सब दूर की सोच तो रहे हैं, लेकिन मोदी जी जितनी दूर की नहीं।
मोदी जी की दूरंदेशी का ही कमाल है कि अग्निपथ योजना अभी चालू भी नहीं हुई है, ट्रेनिंग तो छोडि़ए, अग्निवीरों की भर्ती तक शुरू नहीं हुई है, यानी मोदी जी की सरकार ने अभी अग्निवीर तैयार करने का एलान करने के सिवा और कुछ किया तक नहीं है, पर अमृत वर्ष में देश की सीमाएं इतनी सुरक्षित हो गयी हैं, जितनी पचहत्तर साल में नहीं हुई थीं।
अग्निपथ का ऐलान होते ही, हमारे दुश्मन थर-थर कांपने लगे हैं। देश भर में संभावित अग्निवीरों की आग ही आग जो नजर आ रही है! और इतनी आग तो बिना ट्रेनिंग के बल्कि भर्ती के भी बिना है। बल्कि अब तो भर्ती की उम्मीद के भी बिना है। छह महीने की ट्रेनिंग के बाद, ये अग्निवीर कैसी आग लगाएंगे, यह सोचकर ही ऐसे-वैसे पड़ोसियों के नहीं, महाशक्तियों के भी छक्के छूट रहे हैं।
यही मोदी जी के अग्निपथ का कमाल है। इसे एक तरह से एटम बम ही समझिए, एटम बम। और एटम बम की तो खासियत ही यह है कि उसका इस्तेमाल करने की जरूरत ही नहीं पड़ती है। बस पास में उसके होने का विश्वास दिलाना ही काफी होता है, दुश्मनों को होश में लाने के लिए। उसके पास होने का एक डिमोन्स्टे्रशन भर – जैसे पोखरण का परीक्षण। जंगल में मोर नाचा, तब भी सारी दुनिया ने देख लिया। और यहां तो मोर शहर-शहर, राज्य दर राज्य नाच रहा है। गुस्से की आग से रेलगाडिय़ों से लेकर, भगवा पार्टी के दफ्तरों तक को जला रहा है। कमाल की आग भरी है इन अग्निवीरों में। इस आग को देखने के बाद, अब कोई भारत की तरफ आंख टेढ़ी करने की भी जुर्रत नहीं करेगा।
और यहीं आता है मोदी जी का असली मास्टर स्ट्रोक। अग्निवीर नाम के इस एटम बम के सार्वजनिक डिमोन्स्ट्रेशन के बाद, संख्या-वंख्या के सारे सवाल बेमानी हैं। दूसरे हथियार-वथियारों की ताकत के सवाल भी बेमानी हैं। अब इन्हें चाहे कितना भी घटा लो। फौज को चाहे कितना ही दुबला बना लो। पांच लाख, दस लाख, कितना ही घटा लो। हथियार चाहे कितने ही कम करा लो। चाहे तो आत्मनिर्भरता की खातिर, छोटे अंबानी की कंपनी से लड़ाकू विमान बनवा लो। फर्क नहीं पड़ता है। बाकी कुछ भी होने न होने से फर्क नहीं पड़ता है।
अमिताभ बच्चन की दीवार फिल्म के डॉयलाग, ‘‘मेरे पास मां है’’ की तरह, नये इंडिया के पास अग्निवीर होगा ! वैसे होने को हमारे पास भारत माता भी है, पर भारत माता के पास अग्निवीर है।
सो एक बार फिर थैंक यू मोदी जी। बेशक, देश के युवाओं की सुध लेने के लिए भी थैंक यू। दो साल बाद नौजवानों को फौज में जाकर देश की सेवा करने का मौका देने के लिए थैंक यू। कम से कम एक बार तो इक्कीस साल से बढ़ाकर तेईस साल तक की उम्र वालों को देश की सेवा करने का मौका देने के लिए थैंक-यू। थैंक यू, शाह साहब, राजनाथ सिंह, निर्मला जी वगैरह- वगैरह से थैंक यू कराने के लिए और थैंक यू, एक और मास्टरस्ट्रोक के लिए और थैंक यू नये इंडिया में फौज, भर्ती, तनख्वाह, पेंशन जैसे कानों में चुभने वाले शब्दों की जगह, अग्निपथ और अग्निवीर जैसे सुंदर शब्द चलवाने के लिए और हां बड़े बच्चन की कविता और छोटे बच्चन की फिल्म से राष्ट्र की रक्षा कराने के लिए भी थैंक यू।
व्यंग्यकर : राजेंद्र शर्मा
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