आल इंडिया सेंट्रल कॉउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस “ऐक्टू” का दसवां राष्ट्रीय सम्मेलन 2-4 मार्च, 2020 को नैहाटी, पश्चिम बंगाल में होने जा रहा है। उत्तराखंड की ऐक्टू से संबद्ध विभिन्न यूनियनों के चुने हुए 14 प्रतिनिधि ऐक्टू राष्ट्रीय सम्मेलन के लिए ऐक्टू प्रदेश महामंत्री के. के. बोरा के नेतृत्व में रवाना हुए। रवानगी से पूर्व ऐक्टू प्रदेश महामंत्री के के बोरा ने कहा कि, “मोदी सरकार की श्रमिक विरोधी,जन विरोधी,राष्ट्र विरोधी नीतियों के विरुद्ध ऐक्टू के दसवें राष्ट्रीय सम्मेलन में मजदूर वर्ग के प्रतिरोध की रणनीति तैयार की जायेगी।”
उन्होंने कहा कि, “केंद्र सरकार आज एलआईसी, रेलवे, बैंक जैसे राष्ट्रीय महत्व के सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण कर रही है उन्हें बेच रही है यह देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। सभी देशभक्त नागरिकों को पुरजोर तरीके से इसका विरोध करना चाहिए।”उन्होंने कहा कि, “मजदूर वर्ग ही वह वर्ग है जो पूजीपतियों की सत्ता को उखाड़ फेंकने की क्षमता रखता है। मोदी सरकार इस मुगालते में न रहे कि उसकी सत्ता मजदूरों के खिलाफ काम करते हुए भी सुरक्षित रहेगी।”
ऐक्टू नेता ने कहा कि, “आम लोगों की बीमा कंपनी एलआईसी और सरकारी बैंकों को निजीकरण के हवाले करने की तरफ धकेल कर मोदी सरकार एलआईसी और बैंकों को आम गरीब लोगों से दूर कर रही है औऱ उनकी मेहनत की कमाई को चंद पूंजीपतियों के हवाले करने पर आमादा है।”
ऐक्टू से संबद्ध उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन के प्रदेश महामंत्री डॉ कैलाश पाण्डेय ने कहा कि, “आशा वर्कर्स घोर शोषण का शिकार हैं। सरकार खुलेआम आशा और अन्य महिला कामगारों के श्रम का शोषण कर न्यूनतम वेतन तक देने को तैयार नहीं है। जो कि शर्मनाक है। आशाओं को सरकारी कर्मचारियों का दर्जा देने की बात को आगे बढ़ाने के बजाय मोदी सरकार राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का निजीकरण और एनजीओ-करण पर आमादा है जो आशाओं को बंधुवा मजदूर बनाने की ओर धकेल देगा। इसीलिए पूरे देश की आशा वर्कर्स ऐक्टू के राष्ट्रीय सम्मेलन में सक्रिय भागीदारी कर रही हैं।”
https://jansamvadonline.com/bhrashtaachaar/case-filed-against-parents-for-availing-scholarship-by-showing-false-income-certificate/
ऐक्टू का दसवां राष्ट्रीय सम्मेलन “एकजुट हो, संघर्ष करो” के नारे के साथ सभी को 26,000 रू. मासिक न्यूनतम मजदूरी और 10,000रू. मासिक पेंशन दो. तय न्यूनतम मजदूरी लागू करो. नई पेंशन योजना वापस लो और पुरानी पेंशन बहाल करो, श्रम कानूनों में मजदूर-विरोधी संशोधन और मालिकों की गुलामी के चारों ‘‘श्रम कोड’’ रद्द करो, सभी स्कीम कर्मियों- आशा, भोजनमाता, आंगनबाड़ी को ‘‘श्रमिक’’ का दर्जा दो. इन स्कीमों के निजीकरण एवं एनजीओ-करण पर रोक लगाओ, बीमार व बंद उद्योगों और बागानों को चालू करो. सभी ग्रामीण एवं शहरी परिवारों के लिये कारगर रोजगार गारंटी कानून बनाओ. नरेगा को मजबूत बनाओ, रोजगार का स्थायीकरण, ठेका मजदूरों का नियमितिकरण करो. ठेका/आउटसोर्सिंग प्रथा खत्म करो, समान काम के लिये समान वेतन एवं लाभ दो, रेल, बैंक, बीमा,बीएसएनएल, डिफेंस, कोयला, इस्पात समेत सार्वजनिक क्षेत्र कंपनियों और शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सेवाओं का निजीकरण बंद करो, राष्ट्रीय संपत्ति बेचना बंद करो, निजीकरण बंद करो, 100 प्रतिशत एफडीआई वापस लो, मंदी, छंटनी,बेरोजगारी और महंगाई पर रोक लगाओ, किसानों के लिये स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करो, किसानों के ऋण माफ करो. बटाईदारों को किसान का दर्जा प्रदान करो, आन्दोलनों पर राज्य दमन बंद करो, संविधान विरोधी, गरीब विरोधी CAA-NPR-NRC पैकेज वापस लो मांगो पर हो रहा है।
ऐक्टू के राष्ट्रीय सम्मेलन में उत्तराखंड से जा रहे प्रतिनिधियों में के के बोरा, डॉ कैलाश पाण्डेय, के पी चंदोला, रीता कश्यप, सरस्वती पुनेठा, कुलविंदर कौर, पदमा प्रथोली, ज्योति उपाध्याय, उदय राम, धना कत्यूरा, उमा रावत, पूजा रावत, ललित मटियाली, विनोद आदि शामिल हैं।
https://jansamvadonline.com/in-context/treason-case-approved-on-kanhaiya/