फ़िराक़ गोरखपुरी : एक मुद्दत से तेरी याद भी न आई हमें
गालिब के बाद सबसे बड़े शायर के जन्मदिन पर बचपन में एक शेर सुना था. ‘पाल ले एक रोग नादां…
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गालिब के बाद सबसे बड़े शायर के जन्मदिन पर बचपन में एक शेर सुना था. ‘पाल ले एक रोग नादां…
सर सीवी रामन के छात्र, प्रख्यात भौतिकविद, कुमायु विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति एवं उत्तराखंड क्रांतिदल के संस्थापक अध्यक्ष प्रोफ. डी…
कल्हण कश्मीरी इतिहासकार तथा विश्वविख्यात ग्रंथ राजतरंगिनी (1148-50 ई.) के रचयिता थे। कल्हण (1150 ई.) कश्मीर के महाराज हर्षदेव (1068-1101)…
कश्मीर के प्राचीन इतिहास को समझने के लिए जो मिथकीय स्रोत उपलब्ध हैं उनमें छठी से आठवीं शताब्दी के बीच…
जनकवि वीरेन डंगवाल की मृत्यु के बाद उनकी सम्पूर्ण कविताओं का संकलन नवारुण प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया गया -‘कविता वीरेन’।…
13 मार्च 1940 की उस शाम लंदन का कैक्सटन हॉल लोगों से खचाखच भरा हुआ था. मौका था ईस्ट इंडिया…
हिटलर के प्रचार मंत्री डॉक्टर गोयबल्स द्वारा वर्ष 1933 में फोल्क्ससफैनर नाम के एक रेडियो का वृहद् स्तर पर उत्पादन…
वैसे तो आज देश अँग्रेजों से आज़ाद है फिर भी साम्राज्यवाद से आज़ादी की अब भी दरकार है, पूँजीवाद का…
गढकवि जीवानन्द श्रीयाल जिनकी आज, 94 वीं जयंती है। उन्होंने अपनी चार बेटियों का नाम रखा। भाषा, वााणी, हिन्दी और…
उनके कंधो पर दो अर्थियां थी. मृतकों के शरीर पर कफ़न नहीं डाला गया था बल्कि उनकी कमीजें खोल दी…