उत्तरकाशी, 22 दिसम्बर : हर साल सर्दियां शुरू होते ही भागीरथी नदी पर अस्थाई पुलिया बनाकर जान जोखिम में डालकर आवाजाही करना स्यूंणा गांव के लोगों की नियति बन गई है। सर्दियों में बनाई गई पुलिया बरसात में नदी का पानी बढ़ते ही बह जाती है और ग्रामीणों को फिर जंगल के रास्ते से करीब दो किमी की पैदल दूरी तय कर तेखला में गंगोत्री हाईवे पर पहुंचना पड़ता है। जबकि पुलिया से यह दूरी महज 200 मीटर रह जाती है।
विकासखंड भटवाड़ी का स्यूंणा गांव जिला मुख्यालय से महज चार किमी दूरी पर स्थित है। गांव में करीब 35 से अधिक परिवार रहते हैं। यहां बीते कई सालों से ग्रामीण स्थाई पुल निर्माण की मांग कर रहे हैं। पिछले साल ग्रामीणों ने पुल निर्माण की मांग को लेकर कलक्ट्रेट में प्रदर्शन भी किया था। तब तत्कालीन डीएम ने गांव के लिए इलेक्ट्रॉनिक ट्रॉली लगाने का आश्वासन दिया था लेकिन इस पर आजतक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई।
हर साल ग्रामीण सर्दियों में भागीरथी नदी का जलस्तर कम होने पर पत्थर व लकड़ी से अस्थाई पुलिया बनाकर आवाजाही करते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि पुल नहीं होने के चलते सबसे ज्यादा स्कूली बच्चों, गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों और बीमार लोगों को झेलनी पड़ती है। पुलिया पर ज्यादा लोगों की आवाजाही से अनहोनी का खतरा भी बना रहता है।
शासन-प्रशासन से कई बार पुल निर्माण की मांग की है लेकिन अभी तक पुल नहीं बन पाया। ऐसे में ग्रामीणों को अस्थाई पुल से जान जोखिम में डालकर आवाजाही करनी पड़ती है। जगमोहन सिंह
आजकल गांव में मकान का निर्माण करवा रहा हूं, लेकिन पुल नहीं होने से लकड़ी की पुलिया से ही सामान गांव तक पहुंचा रहे हैं। थोड़ी चूक होने पर नदी में गिरने का खतरा बना रहता है। जयेंद्र भट्ट
स्थाई पुल न होने से सबसे ज्यादा दिक्क्त स्कूली छात्र, गर्भवती व बुजुर्गों को होती है। कई बार भागीरथी पर पुल की मांग कर चुके है, लेकिन सुनने को कोई तैयार नहीं है। संजय
इलेक्ट्रॉनिक ट्रॉली का प्रस्ताव लोनिवि के माध्यम से शासन को भेजा गया है। काफी महंगा होने के चलते बजट मिलने पर ही इलेक्ट्रॉनिक ट्रॉली लगाई जा सकेगी -अभिषेक रूहेला, डीएम, उत्तरकाशी।