देहरादून, 22 दिसम्बर : चीन और नेपाल सीमा से लगे उच्च हिमालय में बड़ी नदियों को छोड़कर अन्य सभी नाले और झरने जम चुके हैं। पिथौरागढ़ जिले के उच्च हिमालय में न्यूनतम तापमान माइनस नौ से माइनस 25 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है। काली, गोरी, कुटी, धौली, मंदाकिनी, रामगंगा सभी नदियां हिमनदों से निकलती हैं। सभी विशाल नदियां हैं।
उच्च हिमालय में पानी जमने से सभी हिमालयी नदियों का जलस्तर अब अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंच चुका है। मई में ग्लेशियर बन चुके नालों, झरनों के पिघलने पर इन नदियों का जलस्तर बढ़ने लगेगा। उच्च हिमालय में नदियों के उद्गम स्थल पर काफी नीचे तक ग्लेशियर बन चुके हैं।
धारचूला की व्यास घाटी में गुंजी का अधिकतम तापमान माइनस तीन और न्यूनतम तापमान माइनस नौ डिग्री सेल्सियस और कुटी का न्यूनतम तापमान माइनस 14 और अधिकतम तापमान माइनस चार है। वहीं, आदि कैलास का न्यूनतम तापमान माइनस 25 डिग्री तक पहुंचने लगा है और अधिकतम तापमान भी माइनस 17 डिग्री के आसपास है।
नावीढांग का न्यूनतम तापमान माइनस 17 और अधिकतम तापमान माइनस सात है। वहीं दारमा घाटी के केंद्र में स्थित दुग्तू और इससे आगे ढाकर, सीपू, तिदांग और दावे का पारा लगातार गिर रहा है। मुनस्यारी की जोहार घाटी के मिलम का न्यूनतम तापमान माइनस 10 और अधिकतम तापमान माइनस पांच डिग्री सेल्सियस है। जोहार घाटी में नाहर देवी से आगे के सभी झरने और नाले जम चुके हैं।