एक महीने तक चले मलमास शुक्रवार तक रहकर खत्म हो जाएगा। शनिवार को नवरात्र शुरू होंगे। इस वर्ष नवरात्र आठ दिन के होंगे। दो नवरात्र एक ही दिन होंगे।
इस बार नवरात्रों का एक दिन कम हो रहा है। अष्टमी और नवमी तिथियां एक ही दिन पड़ने से नवरात्र के आठ दिन के ही होंगे और अगले दिन विजयदशमी मनाई जाएगी।
ज्योतिषाचार्य डॉ. प्रतीक मिश्रपुरी ने बताया कि 17 अक्तूबर को पहला नवरात्र होगा। शास्त्रों के अनुसार सूर्योदय के 10 घड़ी तक या अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापना की जा सकती है, लेकिन प्रतिपदा की प्रथम 16 घड़ी और चित्रा नक्षत्र के साथ वीदृति योग का पूर्व भाग घट स्थापना के लिए वर्जित है। ज्योतिषाचार्य ने बताया कि इस बार प्रतिपदा की 16 घड़ी 17 अक्तूबर को प्रातःकाल 7.20 तक ही है। इसलिए इसके बाद कलश स्थापना की जा सकती है। 7.46 से 9.12 प्रातःकाल कलश स्थापना करना सबसे अच्छा रहेगा।
इस दिन अभिजित मुहूर्त 11.38 से दोपहर 12.26 तक होगा। इस समय भी कलश स्थापना की जा सकती है। प्रतीक मिश्रपुरी ने बताया कि 25 अक्तूबर को नवमी सुबह 7.42 तक है, उसके बाद दशमी है।
26 अक्तूबर को दशमी सुबह 9 बजे तक ही है। विजयदशमी, अपराजिता का पूजन दोपहर में होता है और रावण का दहन शाम को होता है। इसलिए दशहरा 25 अक्तूबर को मनाया जाएगा।
शारदीय नवरात्र 2020 कल शनिवार से शुरू हो रही है. इस नवरात्र का विशेष महत्व है. कल के दिन मां दुर्गा का आगमन स्वर्ग से धरती पर होगा. हिंदू धर्म में इन नौ दिनों का बहुत अधिक महत्व होता है. नवरात्र में देवी के नौ रूपों की पूजा धूमधाम से की जाती हैं. हर एक दिन देवी के अलग-अलग रूप की उपासना करने से भक्त को आशीर्वाद मिलता है. मां दुर्गा के भक्तों को इसकी तैयारी एक दिन पहले ही करनी होगी. आइए यहां जानते है कि मां दुर्गा की पूजा करने के लिए किन-किन चीजों की जरूरत पड़ेगी जिससे मां दुर्गा की पूजा करने में किसी भी सामग्री की कमी नहीं होगी…
नारियल की खरीदारी जरूर करें
पवित्र और शुभ कार्यों का आरंभ करने में नारियल को जरूर रखा जाता है. मान्यता है नारियल में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का वास होता है. ऐसे में नवरात्रि पर कलश स्थापना के साथ लाल कपड़े में नारियल जरूर रखें.
घटस्थापना की विधि और पूजन सामग्री
एक मिट्टी का कलश लें. उसमें मिट्टी की एक मोटी परत बिछाएं. फिर जौ के बीज डालकर उसमें मिट्टी डालें. इस कलश को मिट्टी से भरें. इसमें इतनी जगह जरूर रखें कि पानी डाला जा सके. फिर इसमें थोड़े-से पानी का छिड़काव करें.
कलश स्थापना के लिए सामग्री और विधि
एक कलश लें. इस पर स्वस्तिक बनाएं. फिर मौली या कलावा बांधें. इसके बाद कलश को गंगाजल और शुद्ध जल से भरें. इसमें साबुत सुपारी, फूल और दूर्वा डालें. साथ ही इत्र, पंचरत्न और सिक्का भी डालें. इसके मुंह के चारों ओर आम के पत्ते लगाएं. कलश के ढक्कन पर चावल डालें. देवी का ध्यान करते हुए कलश का ढक्कन लगाएं. अब एक नारियल लेकर उस पर कलावा बांधें. फिर कुमकुम से नारियल पर तिलक लगाकर नारियल को कलश के ऊपर रखें. नारियल को पूर्व दिशा में रखें. नवरात्र के दौरान रोजाना इस पर फूलों का हार चढ़ाएं और तिलक लगाएं.
मां को पसंद है गुड़हल का फूल
दुर्गा देवी मां का प्रिय पुष्प गुड़हल है. गुड़हल का फूल चढ़ाने से भक्तों पर असीम अनुकंपा होती हैं. देवी पुराण में मां दुर्गा पर गुड़हल का पुष्प चढ़ाना बहुत लाभदायक है. गुड़हल के पुष्प में मां दुर्गा का विशेष वास माना जाता है.
नवरात्रि में मां दुर्गा की नौ अलग-अलग स्वरूपों की होती है पूजा, जानें मां को प्रसन्न करने के लिए किस दिन किन चीजों का लगाएं भोग…
पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है. मां शैलपुत्री को सफेद चीज पसंद है. इस दिन सफेद चीजों का भोग लगाया जाता है और अगर यह गाय के घी में बनी हों तो व्यक्ति को रोगों से मुक्ति मिलती है और हर तरह की बीमारी दूर होती है.
दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है मां ब्रह्मचारिणी को मिश्री, चीनी और पंचामृत का भोग लगाया जाता है. इन्हीं चीजों का दान करने से लंबी आयु का सौभाग्य भी पाया जा सकता है. इस दिन दूध से बनी चीजों का लगाए भोग
तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. मां चंद्रघंटा को दूध और उससे बनी चीजों का भोग लगाएं और और इसी का दान भी करें. ऐसा करने से मां खुश होती हैं और सभी दुखों का नाश करती हैं.
चौथे दिन मां कुष्मांडा को मालपुए का भोग लगाएं. इसके बाद प्रसाद को किसी ब्राह्मण को दान कर दें और खुद भी खाएं. इससे बुद्धि का विकास होने के साथ-साथ निर्णय क्षमता भी अच्छी हो जाएगी.
पंचमी तिथि के दिन पूजा करके भगवती दुर्गा को केले का भोग लगाना चाहिए और यह प्रसाद ब्राह्मण को दे देना चाहिए. ऐसा करने से मनुष्य की बुद्धि का विकास होता है.
षष्ठी तिथि के दिन देवी के पूजन में मधु का महत्व बताया गया है. इस दिन प्रसाद में मधु यानि शहद का प्रयोग करना चाहिए. इसके प्रभाव से साधक सुंदर रूप प्राप्त करता है.
सप्तमी तिथि के दिन भगवती की पूजा में गुड़ का नैवेद्य अर्पित करके ब्राह्मण को दे देना चाहिए. ऐसा करने से व्यक्ति शोकमुक्त होता है.
अष्टमी के दिन मां को नारियल का भोग लगाएं. नारियल को सिर से घुमाकर बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें. मान्यता है कि ऐसा करने से आपकी मनोकामना पूर्ण होगी.
नवमी तिथि पर मां को विभिन्न प्रकार के अनाजों का भोग लगाएं जैसे- हलवा, चना-पूरी, खीर और पुए और फिर उसे गरीबों को दान करें. इससे जीवन में हर सुख-शांति मिलती है.
जानिए मंत्र पढ़ते हुए पूजा करने की विधि और पूजन सामग्री
आचमन के लिए जल लें. श्री दुर्गा देवी वस्त्रम समर्पयामि – वस्त्र, उपवस्त्र चढ़ाएं।
श्री दुर्गा देवी सौभाग्य सूत्रम् समर्पयामि-सौभाग्य-सूत्र चढाएं.
श्री दुर्गा-देव्यै पुष्पमालाम समर्पयामि-फूल, फूलमाला, बिल्व पत्र, दुर्वा चढ़ाएं.
श्री दुर्गा-देव्यै नैवेद्यम निवेदयामि-इसके बाद हाथ धोकर भगवती को भोग लगाएं.
श्री दुर्गा देव्यै फलम समर्पयामि- फल चढ़ाएं.
तांबुल (सुपारी, लौंग, इलायची) चढ़ाएं- श्री दुर्गा-देव्यै ताम्बूलं समर्पयामि। मां दुर्गा देवी की आरती करें.
‘श्री जगदम्बे दुर्गा देव्यै नम:।’ दुर्गादेवी-आवाहयामि! – फूल, चावल चढ़ाएं.
‘श्री जगदम्बे दुर्गा देव्यै नम:’ आसनार्थे पुष्पानी समर्पयामि।- भगवती को आसन दें।
श्री दुर्गादेव्यै नम: पाद्यम, अर्ध्य, आचमन, स्नानार्थ जलं समर्पयामि। – आचमन ग्रहण करें.
श्री दुर्गा देवी दुग्धं समर्पयामि – दूध चढ़ाएं.
श्री दुर्गा देवी दही समर्पयामि – दही चढा़एं.
श्री दुर्गा देवी घृत समर्पयामि – घी चढ़ाएं.
श्री दुर्गा देवी मधु समर्पयामि – शहद चढा़एं
श्री दुर्गा देवी शर्करा समर्पयामि – शक्कर चढा़एं.
श्री दुर्गा देवी पंचामृत समर्पयामि – पंचामृत चढ़ाएं.
श्री दुर्गा देवी गंधोदक समर्पयामि – गंध चढाएं.
श्री दुर्गा देवी शुद्धोदक स्नानम समर्पयामि – जल चढ़ाए.
हवन सामग्री लिस्ट
हवन कुंड, आम की लकड़ी, पांच मेवा, घी, लोबान, काले तिल, चावल, जौ, धूप, गुगल, लौंग का जौड़ा, कमल गट्टा, सुपारी, कपूर जरूर रखें.
माता रानी की इस पूजन विधि को कृपया सिर्फ 9 भक्तों तक जरुर पहुँचायें …
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