यमकेश्वर (पौड़ी गढ़वाल), आजकल दिल्ली और उत्तराखंड के शिक्षा मंत्रियों के बीच हवाई जंग चल रही है पिछले दिनों उत्तराखंड दौरे पर आये दिल्ली सरकार के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने स्कूलों की दशा और वहां की व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए पिछले 20 सालों से उतराखंड चल रही शिक्षा व्यवस्था पर दोनों राष्ट्रीय दलों पर तंज कसते हुए आम जन -मानस के विश्वास पर कुठाराघात का आरोप लगाया था, जिसके बाद उत्तराखंड के बाहुबली शिक्षा मंत्री ने उन्हें खुली बहस की चुनोती भी दे रखी है ।अब ये बहस कब होगी ? होगी भी की नहीं ये तो भविष्य के गर्भ में छुपा है मगर बजट का रोना रोते हमारे कर्णधारों को सीमित साधनों में कुछ करने की जिजीविषा हो तो वह एक बार यमकेश्वर ब्लॉक के धारकोट ग्राम में स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय को देखने जरुर जाएँ । जहाँ की दो शिक्षिकाओं ने अपनी मजबूत इच्छाशक्ति के चलते विद्यालय का जो कायाकल्प किया, वह आज पूरे उत्तराखंड में चर्चा का विषय बन चुका है। कोरोना काल की अवधि में जब सारे अध्यापक अपने घरों में थे तब ये दोनो अध्यापिकायें अपने स्कूल का सौन्दर्यीकरण में व्यस्त थी। इन दोनों अध्यापिकाओं ने मात्र सरकार द्वारा दी गयी विशेष अनुदान राशि का सदपयोग ही नहीं किया बल्कि अपने स्तर से यथासंभव संसाधन जुटाये।
उनके द्वारा किये गए कार्यों की सूचना धारकोट के देहरादून में रहने वाले व्यवसायी व् सामाजिक कार्यकर्ता अरुण शर्मा के माध्यम से स्कूली शिक्षा व् पेयजल की स्वछता पर कार्यरत संस्था स्पेक्स (specs) को मिली, जिसके बाद संस्था ने विद्यालय की प्रधानाध्यापिका श्रीमती रेखा शर्मा से संपर्क कर उनके स्कूल में आकर उन्हें सम्मानित करने की इच्छा जाहिर की। जिसके फलस्वरूप दिनांक 30.12.20 को संस्था के सचिव डा0 बृज मोहन शर्मा अपने साथ उत्तराखंड के मशहूर जनगीतकार साथी सतीश धौलाखंडी व् वरिष्ठ पत्रकार अम्बुज शर्मा को लेकर उक्त विद्यालय में पहुँचे जहाँ उन्होंने भोजनमाता समेत दोनों अध्यापिकाओं को सम्मानित किया। इस अवसर पर
प्रधानाध्यापिका श्रीमती रेखा शर्मा ने बताया कि उन्हें वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए सरकार द्वारा 2 लाख 80 हजार रूपये के बजट का प्रावधान किया गया था। अनुदान इस साल जनवरी में प्राप्त हुआ। सरकार से जो अनुदान मिला उसका उपयोग हमने स्कूल के रंगरूप बदलने में सही तरीके से किया। उसके बाद हमने ब्लॉक एजूकेशन ऑफिसर को अपने स्कूल की तस्वीरें भेजी, उसके बाद हमे रूपातंरित विद्यालय कायाकल्प योजना के तहत यह अनुदान मिला। पौड़ी जिले में सिर्फ तीन स्कूलों को ही यह वित्तीय मदद मिली थी । इस वित्तीय मदद से हमने स्कूल के भवन के मरम्मत और सौन्दर्यीकरण किया जिसका कार्य वर्तमान में भी जारी है।
उन्होंने ये भी बताया कि जैसे ही उन्होंने कार्य किया कोविड 19 का दौर शुरू हो गया। इसके बावजूद उन्होंने जून माह में यहीं रह कर कार्य को गतिमान रखा। इसमें उन्हें वि़द्यालय प्रबंधन समिति और अध्यक्ष का भी भरपूर सहयोग मिला। उन्होंने हमें पूरी आजादी दी ताकि हम स्कूल में बच्चों के लिए एक सुंदर अनुकूल वातवारण तैयार कर सके। कार्य करवाने से पूर्व मे हमने विद्यालय प्रबंधन समिति के साथ बैठक की और इसमें स्पष्ट तौर पर बात रखी कि हमने स्कूल में ये कार्य प्राथमिकता के आधार पर करवाने हैं।आगे बताते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान में हमारे विद्यालय में 30 बच्चे अध्ययन कर रहे हैं सभी पर बराबर ध्यान दिया जाता है। हम यहॉ बच्चों को स्कूल के छुट्टी के बाद भी अतिरिक्त कक्षाये लगाते हैं जिसमें हम यह देखते हैं कि बच्चे शब्दों को कैसे समझ रहे हैं, उन्हें कैसे बना रहे हैं, क्या उन्हें शब्दों को समझने में परेशानी तो नहीं हो रही है, बच्चों को व्यक्तिगत रूप से ध्यान देने से सकारात्मक परिणाम भी मिले हैं। प्रधानाध्यापिका और सहायक अध्यापिका के आपसी तालमेल का ही परिणाम है कि दोने साथ मिलकर कार्य योजना बनाती हैं और उस पर साथ ही कार्य करती हैं।
इस अवसर पर रेखा शर्मा द्वारा सामाजिक कार्यकर्ता अरुण शर्मा को याद करते हुए उनके द्वारा स्कूल को किये योगदान के बारे में बताते हुए कहा कि विगत २ वर्षों से उनके गाँव आने के बाद पुरे क्षेत्र का माहौल बदल गया है वह माह में दो बार गाँव आते हैं और स्कूल के बच्चों से बात करते हुए उनकी हर जरुरत को पूरा करते है जिससे बच्चों में भी उत्साह बना रहता है . जनसंवाद द्वारा उनसे फोन पर हुई बातचीत में उन्होंने बताया कि उन्हें भी आज स्कूल आना था मगर अस्वस्थता के चलते नहीं आ पाये आगे यमकेश्वर के युवाओं के बारे में उन्होंने कहा कि उनके उत्साह की कोई कमी नहीं है सभी के अन्दर कुछ करने का जोश तो हैं मगर कमी दिशा की है अधिकांशत लोग आपसी छोटे मोटे विवादों में उलझ कर रह जाते हैं जिससे क्षेत्र का विकास अवरुद्ध हो जाता है भविष्य की योजनाओं पर चर्चा पर उन्होंने गाँव के पेयजल को लेकर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि इसका निदान बिना राजनीतिक हस्तक्षेप के नहीं हो सकता और वह पहले इसी दिशा में कार्यरत हैं ,इसके बाद देखेंगे की आगे वह क्या कर सकते हैं
ग्राम धारकोट के उर्जावान उपप्रधान श्री दिनेश शर्मा जी बताते हैं कि कि दोनो अध्यापिकायें व्यक्तिगत तौर पर बच्चों पर बहुत ध्यान देती हैं, इसी का परिणाम है कि उनकी बेटी मानसी शर्मा जो कि पूर्व इनकी ही छात्रा रही है, इन्ही के प्रयासों के बदौलत उसका चयन हिमज्योति स्कूल देहरादून में हुआ और आज वह दिल्ली में वकालात की पढायी कर रही है, इसके अलावा यहॉ से तीन विद्यार्थियों का चयन राजीव गॉधी नवोदय विद्यालय में हुआ है और सबसे बड़ी बात कि इन दोनो ही अध्यापिकाओं ने अपने बच्चों की प्राथमिक शिक्षा भी अपने इसी स्कूल में करायी.
इस अवसर पर मौजूद रहे खंड शिक्षा अधिकारी शेलेन्द्र अमोली ने गाँव के उपस्थित सभी लोगों से अपील की, कि वह अब हमारे इन स्कूलों को “सरकारी स्कूल” न कह कर “राजकीय स्कूल” कहना शुरू करें और अच्छी शिक्षा के नाम पर पलायन कर चुके लोगों से अपील करी कि वह अपने बच्चों को वापस अपने गाँव के स्कूल में पदायें . आज हमारे यह स्कूल अपने पढाई के तौर तरीकों और पढाने के आधुनिक कौशल के प्रयोग से आदर्श स्कूल बन चुके हैं। यहॉ की प्रधानाध्यापिका श्रीमती रेखा शर्मा और सहायक अध्यापिका श्रीमती सुनीता नेगी के इस कार्य को क्षेत्र के लोग खूब पसंद कर रहे हैं और आज इसकी चर्चा हर जगह हो रही है जिसका उदहारण देहरादून की स्पेक्स संस्था है जो देहरादून से यहाँ आकर सम्मानित कर रहे हैं
कार्यकर्म की शुरुवात जिला पंचायत अध्यक्ष सुश्री आरती गौड़ ने दीप प्रज्वलन से की तथा अध्यता ग्रामप्रधान प्रहलाद सिह द्वारा की गई. कार्यक्रम में पूर्व प्रधान एवं मंडल अध्यक्ष नितिन बडोला,विधायक प्रतिनिधि मुकेश देवरानी, खंड शिक्षा अधिकारी शेलेन्द्र अमोली, ,खंड शिक्षा अधिकारी रुड़की पुरोहित जी,प्रधान संगठन न्यायपंचायत किमसार व् वर्तमान प्रधान अमोला के अनुराग अमोली, पूर्व प्रधान राम जी वाला सुभाष शुक्ला आदि लोग मौजूद थे, कार्यक्रम का सफ़ल संचालन कार्यवाहक संकुल प्रभारी बलबीर सिंह रावत द्वारा किया गया.
कार्यक्रम के दौरान ही ग्रामवासियों ने स्पेक्स संस्था के सचिव डा0 बृज मोहन शर्मा से अपने गाँव की पेयजल की समस्या के बारे में चर्चा की जिस पर उन्होंने यथासंभव प्रयास करने का आश्वासन देते हुए कहा इस विषय पर तो वह कार्य करेंगे ही इसके अतिरिक्त आसपास अन्य के स्कूली बच्चों को संस्था अपने खर्चे पर देहरादून स्थित साइंस मियुजियम को दिखाने व् उनके भोजन आदि की व्यवस्था करवाने को तेयार हैं. कार्यक्रम में बीच में जन-लोकगीतकार सतीश ने .. बढते हुए सिपाही का गीत बनो रे … गीत गाकर अध्यापिकाओं की हौसलाअफजाई की जिसे सभी लोगों ने बहुत पसंद किया.
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