जर्जर हो चुकी पुलिस कॉलोनी
देहरादून, आपदा की दृष्टि से अतिसंवेदनशील उत्तराखंड में भले ही सरकार आम जनता को हिदायतें दे रही है। लेकिन प्रदेश के सरकारी भवन ही आपदा को झेलने के लायक नहीं हैं। चाहे भूकंप हो या फिर पहाड़ी नदियों में आने वाले फ्लैश फ्लड, प्रदेश में बने  सरकारी भवनों के जमींदोज होने की संभावनाएं कहीं ज्यादा है, क्योंकि प्रदेश में 70 से 80 फीसदी सरकारी भवन आपदा के लिहाज से सुरक्षित नहीं हैं।
प्रदेश में 1337 सरकारी भवनों में से 1050 भवन असुरक्षित हैं। बागेशवर जिले में 254 सरकारी भवन हैं, जिनमें सर्वे किए भवनों की संख्या 183 हैं। जिनमें से 156 असुरक्षित है। वहीं चमोली में 888 सरकारी भवन हैं। 295 भवनों का सर्वे किया गया जिनमें 235 असुरक्षित  पाए गए। .पिथौरागढ़ में 593 सरकारी भवन हैं।.जिनमें 178 का सर्वे हुआ है। जिसमें 154 असुरक्षित मिले हैं। रुद्रप्रयाग की बात करे तो 615 सरकारी भवन हैं जिनमें  274 का सर्वे हुआ। .जिनमें  182 असुरक्षित पाए गए।
        उत्तरकाशी में भी 746 सरकारी भवन हैं। जहां 407 का  सर्वे  हुआ, जिसमें 323 असुरक्षित मिले। पिछले 2 साल से ज्यादा समय से वर्ल्ड बैंक के सहयोग से प्रदेश में रिस्क ऐसेसमेंट किया जा रहा था और जिसकी रिपोर्ट में ये बात सामने आई है। आम जनता को नसीहत देने वाली सरकार के भवन ही सुरक्षित नहीं है और बारिश में पहाड़ी नदियों के किनारे बने 80 प्रतिशत भवन पल भर में जमींदोज हो सकते है। विभागीय सचिव अमित नेगी का कहना हैं कि अब नए सिरे से इसे दुरुस्त करने में एक बड़ी रकम लगेगी और विभागों को खुद ही इसका भार उठाना होगा। मॉनसून सीजन में आपदा प्रबंधन विभाग अलर्ट पर हैं। लेकिन जिस तरह से इस रिपोर्ट में खुलासा हुआ है। उससे सरकार की परेशानी और बढ़ सकती हैं। क्योंकि इतने बड़े पैमाने पर बदलाव संभव नहीं हैं। लेकिन जल्द ही इसे लेकर कोई प्लान नहीं बनाया गया तो कोई बड़ा हादसा हो सकता है।