ये वर्ष शहीद नागेन्द्र सकलानी जी की जयंती का शताब्दी वर्ष है। पूर्व की उत्तराखण्ड सरकार द्वारा उनके नाम पर सत्यों में डिग्री कॉलेज खोलने की प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की गई थी, तब हम आशान्वित थे कि भविष्य में वित्तीय स्वीकृति मिलने पर हमारे सकलाना के नौजवान कॉलेज में प्रवेश कर उच्च शिक्षा सकलाना में ही प्राप्त करेंगे। इस सम्बंध में माननीय विधायक जी, उच्च शिक्षा मंत्री जी व मुख्यमंत्री जी को भी सूचित किया गया, बल्कि सकलाना के तत्कालीन पंचायत प्रतिनिधियों के हस्ताक्षतयुक्त संयुक्त मांग पत्र में भी कॉलेज खोलने की मांग प्रमुखता से रख माननीय मुख्यमंत्री जी को सौंपा गया था। हुआ क्या, वही ढाक के तीन पात।
आज अखबार में खबर पढ़ी कि पूर्व की हरीश सरकार द्वारा कॉलेज खोलने सम्बन्धी शासनादेशों को निरस्त कर दिया गया है। क्या सकलाना वासियों को शहीद नागेन्द्र के जन्म शताब्दी वर्ष पर सरकार द्वारा यह तौहफा है ?
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माना कि आपका पूर्व की सरकार से राजनैतिक बैर है किंतु उसकी पूर्ति हमारी न्यायोचित मांग को निरस्त कर क्यों ? वर्षों से सकलाना का वोट प्रतिशत भाजपा के पक्ष में रहा है, क्या यह उसका इनाम है ?
जनहित की अनदेखी कर अहम की राजनीति आखिर कब तक आमजन का नुकसान करेगी।
वर्तमान पंचायत प्रतिनिधियों, माननीय विधायक जी व सांसद महोदया से आग्रह है कि उक्त समाचार का संज्ञान ले शहीद नागेन्द्र सकलानी के नाम पर डिग्री कॉलेज खुलवाने सम्बन्धी प्रशासनिक आदेश को निरस्त होने से बचाने के साथ ही सरकार से बात कर सकारात्मक कार्यवाही करें।
साभार – अखिलेश उनियाल