आज दिनांक 16 नवम्बर को प्रेस क्लब में वरिष्ठ साहित्यकार व पत्रकार श्री सोमवारी लाल उनियाल “प्रदीप” के 79वें जन्म दिन के अवसर पर उनके सद्य प्रकाशित काव्य संग्रह “बचे हैं शब्द अभी” का लोकार्पण किया गया।
लोकार्पण समारोह का शुभारंभ लोकगायक प्रीतम भरतवाण द्वारा अपनी सुमधुर स्वर से माँ सरस्वती की स्तुति के साथ किया गया। कार्यक्रम के अध्यक्ष पद्मश्री लीलाधर जगूड़ी ने कहा कि सहित्य और राजनीति किसी न किसी रूप में एक दूसरे से जुड़े हैं, लेकिन स्थिति यह है कि साहित्यकार राजनीतिक व्यवस्था को लेकर सजग करता है लेकिन मगर कितने राजनेता साहित्य के प्रति कितने जागरूक रहते हैं, यह विचारणीय है। साहित्यकार प्रोफेसर रामविनय सिंह ने श्री उनियाल के काव्य संग्रह को एक सामयिक काव्य दस्तावेज बताते हुए इसे नई साहित्यिक पीढ़ी के लिए बहुउपयोगी बताया। काव्य संग्रह की कविताओं का मूल्यांकन करते हुए साहित्यकार श्री राजेश सकलानी ने कहा कि श्री उनियाल की कविताओं में मौजूदा कोरोना दौर के चित्रण के साथ ही व्यवस्था से सवाल किए गए है जो कि कलमकारों का मूल धर्म है। इसके अलावा जनसंवाद के अध्यक्ष श्री बच्चीराम कौंसवाल, समर भंडारी ने श्री उनियाल के व्यक्तित्व व कृतित्व पर अपने विचार व्यक्त किये। कु. प्रतिभा तथा प्रज्ञा उनियाल ने काव्य संग्रह की कविताओं का वाचन किया गया। कार्यक्रम का संचालन साहित्यकार श्री मुकेश नौटियाल द्वारा किया गया।
कार्यक्रम में मंचासीन अतिथियों में पद्मश्री लीलाधर जगूड़ी, पद्मश्री लोकगायक श्री प्रीतम भरतवाण, साहित्यकार प्रोफेसर रामविनय सिंह, श्री बच्चीराम कौंसवाल, श्री समर भंडारी रहे। इसके अलावा कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत, साहित्यकार राजेन्द्र निर्मल, शिवमोहन सिंह, हर्षमणि भट्ट, जयदीप सकलानी, सतीश धौलाखण्डी, डॉ0 प्रदीप जोशी, आनंद बहुगुणा, मीना शंकर मित्तल, डॉ0 सुनील कैंथोला, शादाब, अनुराधा सिंह समेत अनेकों साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।