देहरादून, वर्तमान समय में शिक्षा में गुणवत्ता राष्ट्रीय और विश्व स्तर पर चिंतन का प्रमुख मुद्दा बन चुका है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से रचनात्मकता एवं दैनिक जीवन से संबंधित समस्याओं के समाधान संबंधी कौशलों का विकास सम्भव होता है। शिक्षा न केवल नागरिक गुणों के विकास के लिए जरूरी है बल्कि समुदाय के सामाजिक और आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करती है। इसलिए आज आवश्यकता है शिक्षा में गुणवत्तापूर्ण सुधार किया जाय।
इन्हीं उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए ‘विद्यालयी शिक्षा में गुणवत्ता के मुद्दे’ विषय पर 25 और 26 मार्च को राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद उत्तराखण्ड द्वारा दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है। यह सेमिनार होटल पर्ल ऐवन्यू रिंग रोड़ लाड़पुर देहरादून में आयोजित किया जायेगा।
निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण सीमा जौनसारी ने बताया कि सेमिनार में हिमाचल प्रदेश, दिल्ली और गुजरात के शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों के द्वारा उनके राज्यों में किए जा रहे शिक्षा संबंधी नवाचारी प्रयासों को साझा किया जाएगा। साथ ही निदेशालय अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण द्वारा उत्तराखण्ड में किए जा रहे नवाचारी प्रयासों को भी शोधपत्रों के माध्यम से प्रस्तुत किया जाएगा। ज्ञातब्य है कि उत्तराखण्ड में गतिविधि पुस्तिका, एबेकस प्रशिक्षण, बालिका पंचायत, पाठ्यपुस्तकों में क्यू.आर.कोड, इंग्लिश स्पीकिंग कार्यक्रम, मासिक परीक्षा, मिशन कोशिश, राज्य उपलब्धि सर्वेक्षण, शंका निवारण दिवस, प्रश्न बैंक, प्रतिभा दिवस, साइंस विद फन, शिक्षक प्रशिक्षकों का इंडक्शन प्रशिक्षण, विद्यालयों में ग्रैफिटी कला, जिज्ञासा बालसखा कार्यक्रम, प्रवेशोत्सव, समर कैंम्प, प्रार्थना सभा हेतु साहित्य आदि नवाचारी कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इन कार्यक्रमों के आयोजन से विद्यार्थियों की रचनात्मक क्षमताओं में वृद्धि होने के साथ ही उनको अभिव्यक्ति के अवसर भी प्राप्त हो रहे हैं। जैसे कि मासिक परीक्षा के माध्यम से शिक्षण को परिणामोन्मुखी बनाया जा रहा है। इसी प्रकार बच्चों की गणितीय क्षमताओं के विकास की दृष्टि से अबेकस कार्यक्रम महत्वपूर्ण सिद्ध हो रहा है। इस माध्यम से किए जा रहे शिक्षण में बच्चों की काफी रूचि देखी जा रही है। वहीं इंगलिश स्पीकिंग कार्यक्रम के माध्यम से शासकीय विद्यालय में पढ़ाई करने वाले बच्चों में भी दैनिक जीवन में अंगे्रजी भाषा में वार्तालाप करने की क्षमता में वृद्धि हो रही है। इसी प्रकार प्रतिभा दिवस में आयोजित गतिविधियों के द्वारा बच्चों के अंदर छिपी विभिन्न प्रतिभाएं जैसे-पेंटिंग, रचनात्मक लेखन, खेल आदि को मंच मिल रहा है। जिज्ञासा बालसखा के माध्यम से बच्चों को गाइडेन्स एवं काउंसलिंग प्राप्त हो रही है। इसी प्रकार विद्यालयों के सौंदर्यीकरण हेतु ग्रैफिटी आर्ट कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसमें विद्यालय की दीवारों को आकर्षक चित्रों से सुसज्जित किया जा रहा है। निदेशक सीमा जौनसारी ने आगे बताया कि सेमिनार के द्वारा डायट तथा एस.सी.ई.आर.टी.को जहां विद्यालयी शिक्षा में गुणवत्ता उन्नयन हेतु रोड मैप बनाने में मदद मिलेगी वहीं प्रशासनिक एवं प्रबंधकीय कौशलों के मजबूत करने हेतु कारगर कदम उठाने में सहायता मिलेगी। सेमिनार में एस.सी.ई.आर.टी. एवं डायट के संकाय सदस्यों द्वारा भी विद्यालयी शिक्षा में गुणवत्ता से संबंधित मुद्दों पर शोधपत्र प्रस्तुत किए जाएंगे साथ ही विद्यालयी शिक्षा में गुणवत्ता विषयक मुद्दों पर भी चर्चा होगी। सेमिनार में उत्तराखण्ड के 13 डायटों, एस.सी.ई.आर.टी., आमंत्रित विशेषज्ञों सहित लगभग 50 लोग भाग लेंगे।