देहरादून, 21 नवम्बर: अभी चंद रोज पहले ही उत्तराखंड राज्य कैबिनेट की बैठक में जबरन धर्मांतरण के कानून में संशोधित कर इसे और अधिक सख्त बनाने का फैसला लिया गया था, इससे पहले यूपी सरकार ने भी इसके खिलाफ कड़े कानून लागू किए हैं। मध्य प्रदेश जैसे कई राज्य तो बहुत पहले धर्मांतरण को रोकने के कड़े कानूनों की व्यवस्था कर चुके हैं। बीते कुछ दिनों में उत्तर प्रदेश में व्यापक स्तर पर जबरन धर्मांतरण के मामले सामने आए हैं जिन पर कठोर कानूनी कार्रवाई की गई है। अकेले बरेली में 60 से अधिक नाबालिक बच्चों को बहलाकृफुसलाकर धर्मांतरण कराया जाना यह बताता है कि यह समस्या वाकई उतनी ही अधिक गंभीर है जितनी कि इस पर देश की सर्वोच्च अदालत द्वारा चिंता जताते हुए इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती बताया गया है। सर्वोच्च न्यायालय ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को न सिर्फ सतर्क किया है अपितु इस जबरन धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए उसके द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी भी मांगी गई थी। भारतीय संविधान द्वारा अनुच्छेद 25 में धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार नागरिकों को दिया गया है उसका अर्थ आस्था परिवर्तन है जिसका आधार स्वैच्छिक होना जरूरी है लेकिन किसी को भी प्रलोभन और लालच देकर या फिर जोर जबरदस्ती मतान्तरण कराना नहीं है। लेकिन कुछ धर्म प्रचारकों व तथाकथित धर्म गुरुओं द्वारा इसकी आड़ में कम उम्र के बच्चों की सोच बदलकर या कहा जाए उन्हें बहला-फुसलाकर अथवा उन्हें जोर-जबर्दस्ती धर्मांतरण के लिए मजबूर किये जाने का षड्यंत्र लंबे समय से देश में जारी है। लव जिहाद शब्द का चलन में आना इसी समस्या की एक कड़ी है। खास बात यह है कि सोशल मीडिया और डेटिंग एप तथा वेब सीरीज ने इस समस्या को बढ़ाने में आग में घी का काम किया है। वर्तमान दौर में निजी स्वतंत्रता की चाहत की अंधी दौड़ में शामिल युवाओं को यह पता ही नहीं चल पाता है कि कहां और कब उनसे कोई बड़ी गलती हो गई और जब पता चलता है तब तक सब कुछ खत्म हो चुका होता है। उत्तराखंड सरकार द्वारा अभी कैबिनेट बैठक में जबरन धर्मांतरण को संज्ञेय अपराध की श्रेणी में लाने यानी कि गैर जमानती अपराध माने जाने तथा 10 साल तक सजा का प्रावधान किया गया है। अभी राजधानी दून में ईसी रोड स्थित एक मकान में धर्मांतरण का खेल चलाए जाने का भंडाफोड़ हुआ है। आरोप है कि यहां एक पादरी द्वारा धन व जमीन का लालच देकर धर्म परिवर्तन कराने का काम किया जा रहा था खैर मामले का खुलासा होने पर अब इस धर्मगुरु के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जा चुका है। सभी धर्मों धर्माचारियों को अपने धर्म का प्रचार प्रसार करने का अधिकार है। अगर किसी व्यक्ति को अपने वर्तमान से अन्य कोई धर्म अच्छा लगता है तो स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन कर सकता है लेकिन किसी धर्म को दोयम दर्जे का बताना या उसकी बुराई गिना कर किसी अन्य धर्म को अपनाने के लिए प्रेरित करना कानूनी अपराध है। उत्तराखंड के डीजीपी का कहना है कि प्रदेश में सरकार द्वारा लाए गए धर्मांतरण कानून का सख्ती से अनुपालन किया जाएगा यह एक अच्छा संदेश है। भारत जैसे बहुधर्मी राष्ट्र में धार्मिक स्वतंत्रता के साथकृसाथ सभी धर्मो के बीच संतुलन भी जरूरी है।