देवभूमि उत्तराखंड की पावन भूमि में ऐसे अलौकिक धाम हैं जहां आकर न केवल मन की शांति मिलती है बल्कि सच्चे मन की मुरादें भी पूरी होती हैं। गुरुद्वारा रीठासाहिब न सिर्फ सिख संगतों का अटूट आस्था का केंद्र है। चंपावत जिले में लधिया व रतिया नदी के संगम की बीच गुरुद्वारा रीठा साहिब स्थित है। कहा जाता है कि गुरुनानक देव अपने जीवनकाल में यहां आए थे। जिसके बाद यह पावन स्थल सिख संगत के साथ ही देश-दुनिया के लोगों के लिए अपार आस्था का केंद्र बन गया।
देश विदेश में मीठे रीठे के लिए प्रसिद्ध गुरुद्वारा रीठासाहिब में तीन दिवसीय जोड़ मेले आगाज (आज) शनिवार को होगा। जिसके लिए गुरुद्वारा प्रबंधक ने गुरुद्वारे को दुल्हन की तरह सजाया है। गुरुद्वारे के दिवान हाल की विशेष रूप से सजावट की गई है। जिसमें फूल मालाओं के साथ अत्याधुनिक विद्युत उपकरण लगाए गए है। यह मेला 14 से 16 मई तक चलेगा। जिसमें विशाल लंगर का आयोजन किया जाएगा। जिसमें देश विदेश से सैंकड़ों की संख्या में जत्थेदारों, संगतों व श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद लगाई जा रही है।हर वर्ष देश के विभिन्न क्षेत्रों से हजारों की संख्या में श्रद्धालु जोड़ मेले में दर्शनों को पहुंचते है। शुक्रवार को गुरुद्वारे में पहुंचे सैकड़ों श्रद्धालुओं ने मत्था टेका। गुरुद्वारे में अखण्ड पाठ के साथ भजन कीर्तन व अनुष्ठान किए जा रहे है।
गुरुद्वारा प्रबंधक बाबा श्याम सिंह ने बताया कि श्रद्धालुओं को हर संभव सुविधा उपलब्ध कराने के लिए गुरुद्वारा कमेटी व क्षेत्रीय लोगों द्वारा सहयोग किया जा रहा है। शनिवार से होने वाले सालाना जोड़ मेले के लिए शुक्रवार को पंजाब, करनाल, दिल्ली, गाजियाबाद, लुधियाना, देहरादून, काशीपुर, सितारगंज, जसपुर, नानकमत्ता सहित विदेशों से कई प्रवासी भारतीय के पहुंचने का सिलसिला देर सायं तक जारी रहा। श्रद्धालुओं के खाने रहने आदि की व्यवस्था गुरुद्वारे में की गई है। रीठा साहिब जोड़ मेले में 15 मई मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की आने की उम्मीद लगाई जा रही है। आधिकारिक रूप से मुख्यमंत्री के कार्यक्रम को पुष्टि नहीं हुई। उम्मीद जताई जा रही है तामली मंच में कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री रीठा साहिब आ सकते है। देश- दुनिया से बड़ी संख्या में आने वाले सिख श्रद्धालुओं को प्रसाद में मीठा रीठा दिया जाता है। सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक जी की आध्यात्मिक शक्ति से कड़वे रीठे मीठे हो गए थे लेकिन कड़वे रीठे को मीठे बनाने वाले इस क्षेत्र के लोगों की जिंदगी में मिठास नहीं है। सुविधाओं की कमी ने उनके जीवन में ये कड़वाहाट घोली है।
गुरुद्वारे में शनिवार से तीन दिनी जोड़ मेला शुरू होगा। आधारभूत सुविधाओं वाले इस तीर्थस्थल की समस्याओं की लंबी फेहरिस्त से यह आध्यात्मिक नगरी विकास से अछूती है।वर्ष 1505 में रीठा साहिब में गुरु नानक जी पधारे थे। अमृतवाणी के दौरान शिष्य मरदाना को भूख लगने पर वहां कड़वे रीठे खाने को दिए। नानक जी की आध्यात्मिक साधना से इन रीठों का स्वाद छुआरे जैसा मीठा हो गया। गुरुद्वारे में लंगर चलने से भोजन और रहने की दिक्कत नहीं हैं, लेकिन इस खूबसूरत क्षेत्र में समस्याएं बेशुमार हैं। न पार्किंग है और न हेलीपैड की सुविधा है।रीठा साहिब से सूखीढांग सड़क का डामर भी नहीं हुआ है। मंजूरी के बाद डिग्री कॉलेज भी नहीं खुल सका। जुलाई 2017 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने रीठा साहिब में कार पार्किंग निर्माण की घोषणा की थी। 212.93 लाख रुपये की डीपीआर बनाए जाने के बावजूद पार्किंग का काम शुरू नहीं हो सका है। एटीएम भी उखड़ा रीठा साहिब (चंपावत)। रीठा साहिब में देशभर से लोगों की आवाजाही बनी रहती है लेकिन यहां स्थानीय लोगों से लेकर श्रद्धालुओं तक के लिए एटीएम की कोई सुविधा नहीं है। ग्रामीणों का कहना है कि आठ वर्ष पहले पंजाब एंड सिंध बैंक का एटीएम खुला लेकिन ये एटीएम कभी चल नहीं सका। अब इसे बंद कर दिया गया है। केएमवीएन की गैस सिलिंडर रिफिलिंग की सुविधा भी यहां नहीं है। और तो और स्वच्छ भारत अभियान से भी ये इलाका दूर है। लाखों श्रद्धालुओं के आने के बावजूद यहां सार्वजनिक शौचालय नहीं हैं तमाम असुविधाओं के बीच रीठा साहिब में एक काम जरूर हो रहा है। यहां बाढ़ सुरक्षा योजना का काम किया जा रहा है। 3.66 करोड़ रुपये से सिंचाई विभाग रतिया और लधिया नदी के तट पर 576 मीटर लंबी सुरक्षा दीवार बना रहा है।गुरुद्वारे आ चुकी हैं अनेकों हस्तियां
रीठा साहिब (चंपावत)। राष्ट्रपति रहे ज्ञानी जैल सिंह ने देश के गृह मंत्री के रूप में 1981 में रीठा साहिब गुरुद्वारे में मत्था टेक चुके हैं। उत्तराखंड के पहले राज्यपाल रहे सरदार सुरजीत सिंह बरनाला ने 2002 में गुरुद्वारे में शीश नवाया। पिछले साल राज्य के मुख्य सचिव और इसी महीने पंजाब के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक ने भी दर्शन किए।पवित्र गुरुद्वारे से जुड़े रीठा साहिब में आधारभूत सुविधाओं की कमी से श्रद्धालुओं को दिक्कत होती है। हेलीपैड से लेकर कई जरूरी प्रबंध किए जाने से सुविधाएं भी बढ़ेंगी और स्थानीय रोजगार भी। डीएम चंपावत के उपचुनाव की वजह से आचार संहिता लगी है। इसलिए अभी रीठा साहिब के विकास और आधारभूत ढांचे को संवारने के लिए संचालित योजनाओं पर टिप्पणी ठीक नहीं है। इतना जरूर है कि लधिया घाटी के इस महत्वपूर्ण क्षेत्र को सुविधाओं से जोड़ा जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि डीडीहाट (पिथौरागढ़) मेरी जन्मस्थली है। खटीमा (ऊधमसिंह नगर) कर्मस्थली है और अब इन दोनों के बीच सेतु बना चंपावत उनकी कर्म और धर्मस्थली बनेगी।
ये लेखक के निजी विचार हैं !
डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला (दून विश्वविद्यालय)
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