कथाकार ओमप्रकाश बाल्मिकी की पुण्यतिथि पर देहरादून की साहित्यिक संस्था, संवेदना द्वारा एक सभा का आयोजन रायपुर रोड़ से ईश्वर विहार को जाने वाली ओमप्रकाश वाल्मीकि सरणी में किया गया। 30 जून 1950 में जन्मे कथाकार एवं कवि ओमप्रकाश ने सदियों का सन्ताप, जूठन, तब तुम क्या करोगे, सलाम, दलित साहित्य का सौंदर्य शास्त्र आदि कई पुस्तको की रचना की। वर्ष 2011 में ओमप्रकाश वालिमिकी रक्षा उत्पादन के संस्थान ओ एल एफ, देहरादून से सेवा निवृत्त हुए और 17 नवम्बर 2013 को कैंसर ग्रस्त होने के बाद उनका निधन हुआ।
डॉ जितेंद्र भारती, डा राजेश पाल, राजेश सकलानी, कथाकार अरुण कुमार असफल, मदन शर्मा, जीतेन ठाकुर, प्रमोद सहाय, रामभरत भारद्वाज, प्रेम साहिल, भार्गव चन्दोला, दिनेश चंद्र जोशी, विजय गौड़, अनिल कुमार, अतुल कुमार आदि ओमप्रकाश बाल्मिकी के मित्र और पाठक कार्यक्रम के दौरान उपस्थित रहे। ओमप्रकाश वाल्मीकि की कविताओं का पाठ किया गया एवं मित्रों ने अपनी स्मृतियों के साथ वालिमिकी जी के निजी, साहित्यिक एवं वैचारिक आयामों पर विस्तार से चर्चा की। पूर्व में सम्वेदना संस्था द्वारा चिहिन्त किए गए रायपुर रोड़ पर स्थित तपोवन नदी पर बने पुल, जहां से गुजरने वाली गली ओमप्रकाश बाल्मिकी के घर की ओर निकलती है, उस पुलिया को ओमप्रकाश बाल्मिकी सेतु के नाम से पुकारने की बात को फिर से दोहराया।
ओमप्रकाश वाल्मीकि की एक कविता का अंश
यदि तुम्हें,
धकेलकर गांव से बाहर कर दिया जाय
पानी तक न लेने दिया जाय कुएं से
दुत्कारा फटकारा जाय चिल-चिलाती दोपहर में
कहा जाय तोड़ने को पत्थर
काम के बदले
दिया जाय खाने को जूठन
तब तुम क्या करोगे?
साभार – भार्गव चंदोला