जम्मू-कश्मीर से धारा-370 खत्म होने से वहां कई महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं। ये परिवर्तन हमारे-आपके अधिकारों के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं। जानें- इससे क्या होगा बदलाव ?
जम्मू-कश्मीर से धारा-370 हटाने के बहुप्रतीक्षित फैसले पर केंद्र सरकार ने मुहर लगा दी है। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद केंद्र सरकार ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 खत्म होने की सूचना संसद में दी। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पहले राज्यसभा और फिर लोकसभा में अनुच्छेद-370 को खत्म करने की जानकारी दी। 10 बिंदु में जानें- जम्मू-कश्मीर से धारा-370 खत्म होने का क्या मतलब है और इससे आपको क्या अधिकार मिलेगें।
अनुच्छेद-370 खत्म होते ही राजनीतिक हलकों में हंगामा मचा हुआ है। जहां कुछ राजनेता इसे एक देश-एक संविधान बता रहे हैं। वहीं ज्यादातर विपक्षी दल इसका विरोध कर रहे हैं। जानकारों का भी मानना है कि अनुच्छेद-370 खत्म होने के बाद जम्मू-कश्मीर सही मायनों में भारत का अभिन्न अंग हो गया है। देश के अन्य राज्यों के लोगों के लिए ये बहुत बड़ी खुशखबरी है, जिसका इंतजार देश को आजादी के बाद से था।

*अनुच्छेद-370 खत्म होने से होगा ये 10 परिवर्तन*

1?. अब जम्मू-कश्मीर में देश के अन्य राज्यों के लोग भी जमीन लेकर बस सकेंगे।
2?. कश्मीर का अब अलग झंडा नहीं होगा। मतलब वहां भी अब तिरंगा शान से लहराएगा।
3?. अनुच्छेद-370 के साथ ही जम्मू-कश्मीर का अलग संविधान भी इतिहास बन गया है। अब वहां भी भारत का संविधान लागू होगा।
4?. जम्मू-कश्मीर में स्थानीय लोगों की दोहरी नागरिकता समाप्त हो जाएगी।
5?. जम्मू-कश्मीर के दो टुकड़े कर दिए गए हैं। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख अब अलग-अलग राज्य होंगे।
6?. दोनों नए राज्य जम्मू-कश्मीर व लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश होंगे।
7?. जम्मू-कश्मीर में विधानसभा होगी, लेकिन लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी। मतलब जम्मू-कश्मीर में राज्य सरकार बनेगी, लेकिन लद्दाख की कोई स्थानीय सरकार नहीं होगी।
8?. जम्मू-कश्मीर की लड़कियों को अब दूसरे राज्य के लोगों से भी शादी करने की स्वतंत्रता होगी। दूसरे राज्य के पुरुष से शादी करने पर उनकी नागरिकता खत्म नहीं होगी।
9?. अनुच्छेद-370 में पहले भी कई बदलाव हुए हैं। 1965 तक जम्मू और कश्मीर में राज्यपाल की जगह सदर-ए-रियासत और मुख्यमंत्री की जगह प्रधानमंत्री हुआ करता था।
10?. अनुच्छेद-370 को खत्म करने की मंजूरी राष्ट्रपति ने पहले ही दे दी थी। दरअसल ये अनुच्छेद पूर्व में राष्ट्रपति द्वारा ही लागू किया गया था। इसलिए इसे खत्म करने के लिए संसद से पारित कराने की आवश्यकता नहीं थी।