दिनांक 29- जनवरी को सुभाष रोड़ स्थित लॉर्ड वेंकटेश हाल मे प्रातः 11-45 पर पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष (डी ए वीं महाविद्यालय) व वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी एवं भजपा सरकार मे रहे पूर्व राज्य मन्त्री युवा तेज तर्रार नेता रविन्द्र जुगरान एक साधारण समारोह मे कुछ लोगो के साथ आप पार्टी मे सदस्यता लेकर करेगे नई पारी क़ी शुरुवात।
कौन है रविन्द्र जुगरान
सन 1990 में डीएवी (पीजी) से अपने रानीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले रविंद्र जुगरान,रब्बू 1994 में जब यह पर पर्वतीय भूभाग करवट बदल रहा था तो उस समय इनका योगदान कभी नहीं भुलाया जा सकता ! ओबीसी आरक्षण से शुरु होकर किस तरह से वह आंदोलन पृथक राज्य में बदला…. इसमें जुगरान को 17 बार जेल भी जाना पड़ा ,चाहे छात्र संघर्ष समिति हो या उत्तराखंड राज्य की मांग, उनका योगदान हर जगह रहा है। कुछ एक घटनाओं को छोड़ दिया जाए तो आंदोलन में उनका योगदान अविस्मरणीय रहा है उनका वह आक्रमक स्वभाव उस समय के भ्रष्ट कर्मचारी व अधिकारियों को आज भी याद होगा।
सन 1998 लोकसभा चुनाव में संघर्ष समिति द्वारा दिया गया नारा…राज्य नहीं तो चुनाव नहीं
उनके लिए बेहद कटु अनुभव वाला रहा इस चुनाव के बाद कि उनकी सेकंड लाइन उनसे दूर हो गई और धीरे-धीरे वह आंदोलन की राह में अकेले पड़ते चले गए आज भी अधिकांश लोगों का यह मानना रहा है उत्तराखंड जैसे छोटे राज्यों को रविंद्र जुगरान जैसे ईमानदार नेता की जरूरत है । लेकिन धनबल और बाहुबल के बीच सिमट चुकी आज की राजनीति मैं वह अलग-थलग पड़ गये । राज्य गठन के 20 साल बाद भी उनकी प्रासंगिकता आज भी कायम है…..
आज की तारीख में जब कोई भी व्यक्ति बिना चरण वंदना के राजनीत में खड़ा नहीँ हो सकता ऐसे में वो अपने आप में एक मिसाल भी हैं,वह अपने आप में आंदोलन की पूरी किताब थे मगर दोनों राष्ट्रीय दलों ने उनको सिर्फ एक पन्ने में समेट दिया ।आज भी अधिकांश लोगों का मानना है इस राज्य में कोई तीसरा विकल्प बनाना है तो उसमें जुगराण जैसे तेजतर्रार व आक्रमक नेता की जरूरत पड़ेगी ।
आपको याद दिलाते चले क़ि रविन्द्र जुगरान राज्य बनने से पूर्व ही भाजपा मे पूर्व सांसद मनोहर कांत ध्यानी के द्बारा भाजपा मे शामिल हो गये थे एवं संगठन मे युवा मोर्चा के उपाध्यक्ष रहे उसके बाद खंडूड़ी व निशंक सरकार मे युवा कल्याण के उपाध्यक्ष व राज्य आंदोलनकारी सम्मान परिषद के अध्यक्ष रह चुके है। अपनी बेबाकी और युवाओं के लिए लड़ने वाले रविन्द्र जुगरान भाजपा मे रहते हुए भी राज्य हितों को लेकर भाजपा की नीतियों का भी खुलकर विरोध करते रहें हैं। खुलकर कई नीतिओ पर राज्य हित को लेकर हमेशा मुखर रहते है अभी तक हाई कोर्ट में लगभग 18 -20 जनहित याचिकाएं दाख़िल कर चुके हैं
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