700 करोड़ की छात्रवृत्ति घोटाले का मुख्य आरोपी संयुक्त निदेशक गीताराम नौटियाल आखिरकार सात महीने बाद एसआईटी के हत्थे चढ़ ही गया।नौटियाल ने निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक सभी दरवाजे खटखटाये यहाँ तक कि अपने बचाव में जनजाति आयोग को गुमराह कर एक चिट्ठी भी लिखवा लाया था, जिस पर कोर्ट ने गीताराम को बुरी तरह लताड़ते हुए 25 हजार का जुर्माना भी लगाया।
वर्ष 2011 में हरिद्वार के जिला समाज कल्याण अधिकारी रहे गीताराम नौटियाल हरिद्वार के बाद देहरादून में भी जिला समाज कल्याण अधिकारी रहा है। इस बीच विकास नगर से लेकर देहरादून के पाश इलाकों जैसे बसंत विहार,डालनवाला में भी इसकी कोठियां व सहस्त्रधारा रोड से लेकर हरिद्वार तक जमीनें होने की खबरें एसआईटी की जानकारी में आईं हैं अब वह इसकी संपत्ति की जांच में जुट गई है कि आखिरकार छात्रवृत्ति के पैसों से इसने कहाँ कहाँ संपत्ति जोड़ी है। उत्तराखंड के अलावा राज्य के बाहर भी संपत्ति होने की खबरें सामने आ रही है।
उसके बाद बचाव के सभी रास्ते बंद हो जाने पर आखिरकार गीताराम को एसआईटी के सम्मुख सरेंडर होना ही पड़ा ।अपने तांत्रिक भाई की ब्यूरोक्रेट्स व नेताओं पर अच्छी पकड़ के चलते नौटियाल एसआईटी को सात महीनो तक चकमा देता रहा ।ब्यूरोक्रेसी में देहरादून में बैठे कई अधिकारी गीता राम के भाई पंडित नौटियाल के खासम खास बताए जाते हैं जिस कारण वह काफी समय से गिरफ्तारी से बच पाया। अब जबकि गिरफ्तारी हो चुकी है तो गीताराम का निलंबन भी तय है।
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