उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी मंच ने अपनी सात सूत्रीय मांगों को लेकर राजधानी देहरादून में जुलूस निकालकर सीएम आवास कूच किया। सीएम आवास कूच के दौरान राज्य आंदोलनकारियों की पुलिस से तीखी नोक-झोंक हुई।
सीएम आवास कूच करने से रोके जाने पर राज्य आंदोलनकारी पुलिस से नोक-झोंक करते हुए

राज्य आंदोलनकारी परेड ग्राउंड में एकत्रित हुए और वहां पर सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया। उसके पश्चात आंदोलनकारियों ने जुलूस निकालकर सीएम आवास के लिए कूच किया। सुभाष रोड पर पुलिस ने बैरीकेडिंग लगाकर प्रदर्शनकारियों को रोकने की कोशिश की, इस दौरान उनकी पुलिस के साथ तीखी नोक-झोंक हुई। कुछ राज्य आंदोलनकारी वहां से पुलिस को चकमा देते हुए सीएम आवास के लिए निकल गए। पुलिस भी उनके पीछे दौड़ पड़ी। हाथीबड़कला रोड पर पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोक दिया, इस दौरान वहां पर आंदोलनकारियों की पुलिस से तीखी नोक-झोंक हुई।

बैरीकेडिंग हटाते हुए

राज्य आंदोलनकारियों का कहना था  कि उत्तराखण्ड राज्य की मांग के पीछे हमारा उद्देश्य अपने नौनिहालों के लिए रोजगार ही था क्योकि हमारे बेरोजगारों को उत्तर प्रदेश में नौकरी हेतु कितना जूझने के बाद भी हताशा ही हाथ लगती थी। उत्तराखण्ड के मूल निवासियों के हितो कि रक्षा के लिए सरकार को जल्द से जल्द विधान सभा के माध्यम से कानूनी रूप देने का काम करना चाहिए। जिससे उत्तराखण्ड प्रदेश की अलग राज्य की अवधारणा सार्थक हो सके। उनका कहना था कि उत्तराखण्ड बने 18 वर्ष हो गये और 8 मुख्यमंत्री बनने के बाद भी आज तक मुजफ्रफरनगर की वीभत्स घटना के लिये कोई ईमानदार पहल नही की और न ही परिवारों की सुध ली। उन्हें किस प्रकार प्रदेश से बाहर गवाही देने जाना पडता है।
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राज्य आंदोलनकारियों को मिलने वाले 10 प्रतिशत क्षैतिज आरणण उच्च न्यायालय से निरस्त होने के बाद सरकार चुप्पी साधे रही। सरकार ने राज्य आन्दोलकारी सम्मान परिषद का कार्यालय ही समाप्त कर दिया इससे उनमें रोष है। राज्य बनने के बाद जिस प्रकार हमारे राज्य में भ्रष्टाचार ने अपनी जडे़ं जमा दी है निश्चित ही उससे हमारी देव भूमि की छवि धूमिल हुई है। पृथक राज्य की मांग के समय से ही प्रदेश की राजधानी गैरसैण तय कर दी थी, परन्तु आज 18 वर्षो के बाद भी हमारी सरकारे अपनी स्थाई राजधानी तय नही कर पाई जो बहुत ही दुखद है। राज्य सरकार द्वारा अभी हाल ही में पहाडी क्षेत्रों में भू-कानून में बदलाव कर जो छूट दी गई वह इस प्रदेश के लिए घातक व अवधारणा को समाप्त कर देगा। उत्तराखण्ड राज्य में गठन के बाद जो परिसिमन हुआ उससे हमारे पहाडों की सीटें भी कम हुॅंई है जबकि मैदानी क्षेत्रों में सीटें बढने विकास सतंुलन तो बिगडा ही साथ ही पहाडी राज्य की परिकल्पना समाप्त हो रही है।

रैली में पूर्व राज्य मंत्री रविंद्र जुगरान,जयदीप सकलानी,पृथ्वी सिंह नेगी, अंबुज शर्मा ,जेपी पाण्डे, सुरेन्द्र कुकरेती,प्रदीप कुकरेती,रामलाल खण्डूरी,सुदेश सिंह,क्रांति कुकरेती,नवनीत गुंसाई, उर्मिला शर्मा, दर्शनी रावत, सुरेश नेगी, अमित जैन, प्रेम सिंह नेगी, विनीत त्यागी, अतुल शर्मा,योगेश भट्ट,सतेंद्र भंडारी, जगमोहन नेगी, वेद प्रकाश शर्मा, विनोद असवाल,गुरु नौटियाल ,डी एस ,गुसाईं, राकेश नौटियाल , चन्द्रकांता मलासी, रामेश्वरी चौहान, प्रेमा नेगी, सुशीला जोशी, ललित जोशी, शांति कण्डवाल, यशवंत सिंह, प्रेमा नेगी, सुरेन्द्र कुमार सिंह,मोहन खत्री,धर्मेंद्र रावत,हरी सिंह मेहर, आदि सैकडों आंदोलनकारी शामिल रहे।