pradooshan niyantran bord ke prastaav par savaal khade

देहरादून, बीते दिनों उत्तराखंड पर्यावरण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा सरकार को भेजे गए पुराने कमर्शियल वाहनों को बाहर करने वाले प्रस्ताव को लेकर कमर्शियल वाहन स्वामियों में काफी रोष है। वाहन स्वामियों का कहना है कि ऐसा करने से कई लोगों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा। वहीं, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के इस प्रस्ताव को लेकर आरटीआई एक्टिविस्ट विजयवर्धन डंडरियाल ने कहा कि सिर्फ कमर्शियल वाहन पर ही कार्रवाई क्यों की जा रही है। क्या अन्य वाहनों से प्रदूषण नहीं फैलता। बढ़ते प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए एनजीटी के निर्देश पर उत्तराखंड पर्यावरण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) ने सड़क पर दौड़ रहे 15 साल पुराने कमर्शियल वाहनों को सड़क से बाहर करने का प्रस्ताव सरकार को भेजा था। इस प्रस्ताव में चार शहर देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश और काशीपुर के नाम शामिल हैं। लेकिन केंद्र सरकार से मंजूरी मिलने के बाद ही ये कार्रवाई अमल में लायी जाएगी। आंकड़ों की बात करें तो देहरादून, काशीपुर, हरिद्वार और ऋषिकेश में वर्तमान में करीब 21 हजार कमर्शियल वाहन सड़क पर दौड़ रहे हैं। जिसमें ट्रक, सिटी बस समेत अन्य वाहन शामिल हैं। गौरतलब है कि वर्तमान में राज्य एक्ट के अनुसार डीजल वाहन 20 साल तक सड़क में दौड़ सकते हैं। लेकिन 15 साल बाद इन वाहनों का फिटनेस के आधार पर दोबारा रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य है। वहीं, आरटीआई एक्टिविस्ट विजयवर्धन डंडरियाल ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के इस प्रस्ताव पर कई सवाल खड़े किए हैं। पीसीबी के इस प्रस्ताव पर सवाल खड़े करते हुए उन्होंने कहा कि आखिर कॉमर्शियल वाहनों को ही टारगेट क्यों किया जा रहा है। क्या इन शहरों में दौड़ रहे अन्य वाहनों से प्रदूषण नहीं फैलता। इसके अलावा क्या जो 15 साल पुराने कमर्शियल वाहन पड़ोसी राज्यों से प्रदेश में प्रवेश करेंगे उन वाहनों के खिलाफ भी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।