देहरादून, भाजपा की राज्य सरकार के दो वर्ष के कार्यकाल को पूर्ण रूप से असफल बताते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्री प्रीतम सिंह ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड की भाजपा सरकार अपने दो वर्ष के कार्यकाल में हर मोर्चे पर विफल साबित हुई है।
राज्य की सत्ता में आते ही भाजपा सरकार ने सबसे पहले गरीब की रोटी पर डाका डालने का काम किया कांग्रेस षासन में शुरू की गई राज्य खाद्यान्न योजना के अन्तर्गत एपीएल कार्ड धारकों को 5 रू0 किलो गेहूं और 9 रू0 प्रति किलो चावल का प्रावधान था परन्तु भाजपा ने राज्य की में आते ही उसके दाम बढ़कर 9 रू0 प्रति किलो गेहूूं और 15 रू0 किलो चावल कर दिया तथा चावल की मात्रा भी 10 किलो से घटा कर 2 किलो कर दी गई। कांग्रेस सरकार के शासनकाल में गरीब व्यक्ति को चीनी 13 रू0 60 पैसे प्रति किलो मिलती थी जो सब्सिडी समाप्त होने के बाद अब गरीब जनता को 45 रू0 प्रति किलो खरीदनी पड़ रही है तथा मिट्टी का तेल एवं राशन की चीनी पूर्णतः बन्द कर दी गई।
प्रीतम सिंह ने कहा कि 2017 के विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रदेश के किसानों से ऋण माफी व ब्याज मुक्त कर्ज देने का वादा किया था तथा गन्ना किसानों का 15 दिन के अन्दर बकाया भुगतान का वादा किया था परन्तु न तो किसानों का कर्ज माॅफ किया गया और न ब्याज मुक्त ऋण ही दिया गया है। गन्ना किसानों का बकाया भुगतान भी अभी तक नहीं हो पाया है। उन्होंने कहा कि इन दो सालों में बैंक व साहूकारों के कर्ज के बोझ से दबे 15 किसान आत्महत्या कर चुके हैं।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि भ्रष्टाचार पर जीरो टाॅलिरेंस का दावा करने वाली उत्तराखण्ड सरकार द्वारा एन.एच.-74 घोटाले की जांच सी.बी.आई. से कराने की घोषणा के बावजूद मामले में एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाई है। सरकार के मुखिया ने सी.बीआई. जांच की बात कह कर अपने कदम पीछे खींचे हैं। एनएच-74 मामले में जो एसआईटी जांच कर रही है वह पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा गठित की गई थी जिसके बाद दो आईएएस अधिकारी निलम्बित किये गये थे उनमें से एक की बहाली भी हो चुकी है। एन.आर.एच.एम. घोटाला, छात्रवृत्ति घोटाला, सिडकुल घोटाला सहित कई घोटालों की लम्बी फेहरिस्त है। लोकायुक्त बिल को पास न कराना जैसे कई अन्य मामले राज्य की भाजपा सरकार के भ्रष्टाचार पर जीरो टाॅलिरेंस की पोल खोल रहे हैं।
प्रीतम सिंह ने कहा कि राज्य सरकार की आबकारी नीति पूर्ण रूप से शराब माफिया को संरक्षण देने, व शराब की तस्करी को बढ़ावा देने वाली तथा उत्तराखण्ड के गांवों में हर घर तक शराब पहुंचाने वाली है। उन्होंने कहा कि धर्म नगरियों में भी जहां शराब प्रतिबन्धित थी वहां शराब की दुकाने खोली गई। हरिद्वार जिले में जहरीली शराब की घटना के कारण 200 लोगों को असमय मौत का ग्रास बनना पड़ा तथा भाजपा की राज्य सरकार की संवदनहीनता के कारण इतना बड़ा नरसंहार हुआ। भय व भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश का नारा देने वाली भाजपा की सरकार में राज्य की कानून व्यवस्था पूर्ण रूप से पटरी से उतर चुकी है। राज्य में हत्या, लूट, बलात्कार चेन स्नैचिंग, चोरी, डकैती, टप्पेबाजी जैसे संगीन अपराधों की बाढ़ सी आ गई है। खनन पर बार-बार कांग्रेस सरकार को कोसने वाली भाजपा के षासन में खनन माफियाओं के हौसले इतने बुलंद हैं कि उसका विरोध करने वालों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ रहा है। रामनगर में वन कर्मी की निर्मम हत्या इस का ज्वलंत उदाहरण है। आज राज्य की जनता में भय का वातावरण व्याप्त है तथा महिलाएं अपने को असुरक्षित महसूस कर रही हैं।
प्रीतम सिंह ने कहा कि आज प्रत्यके मामले में उच्च न्यायालय नैनीताल द्वारा सरकार को समय-समय पर दर्जनों बार फटकार लग चुकी है, यहां तक कि नगर निकाय के चुनाव भी उच्च न्यायालय के निर्देषों के बाद ही प्रदेष में संभव हो पाये। अतिक्रमण अभियान के तहत माननीय उच्च न्यायालय के आदेषों की पूर्ण रूप से अवहेलना की गई तथा वैद्य निर्माणों को भी तोड दिया गया जिससे प्रदेष की जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। कांग्रेस सरकार द्वारा 10 अगस्त, 2016 को मलिन बस्तियों को मालिकाना हक देने के सम्बन्ध में अधिनियमध्कानून लागू किया गया जिसे भाजपा सरकार द्वारा दरकिनार कर मलिन बस्तियों में कई हजार नोटिस वितरित किये गये जिससे एक दहषत का माहौल उत्पन्न करने की कोशिश की गई। बाद में तीन साल का एक अध्यादेष लाकर मलिन बस्तियों से खिलवाड किया गया।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा राज्य के बेरोजगार नौजवान इस बात से आशान्वित थे कि उन्होंने राज्य में भारतीय जनता पार्टी के प्रचंड बहुमत की सरकार बनाई है और यह सरकार उनकी बेरोजगारी के मुद्दे का हल करेगी और ढूंढ ढूंढ कर बेरोजगार नौजवानों को रोजगार देगी लेकिन 2 वर्षों में राज्य में किसी भी विभाग में न तो भर्ती खुली है और न ही रोजगार के साधन उपलब्ध हो पाये हैं यहाँ तक कि राज्य में पूर्व से स्थापित बाजपुर चीनी मिल जैसे कई औद्योगिक संस्थान बन्द हो चुके हैं जिससे हजारों लोगों को अपनी रोजी-रोटी से हाथ धोना पड़ा है।
प्रीतम सिंह ने कहा कि शिक्षाविभाग में लगातार तरह-तरह के प्रयोग किये जा रहे हैं, लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता, विद्यालयों में शिक्षकों की कमी, जर्जर होते विद्यालय भवनों, शोचालय के प्रबन्ध को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाये गये हैं। गेस्ट टीचरों की भर्ती नहीं हो पाई है और न शिक्षकों के खाली पदों पर नियुक्तियां नहीं हो पा रही हैं। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत पिछले दो साल से भुगतान नहीं हो रहा है तथा इसके बजट में कटौती कर दी गई है। शिक्षा विभाग की स्थानान्तरण नीति फेल हो चुकी है। शिक्षकों के स्थानान्तरण में मनमानी की जा रही है। श्रीनगर स्थित एनआईटी काॅलेज स्थानान्तरित कर दिया गया है। प्रीतम सिंह ने कहा कि राज्य में पूरी तरह से ध्वस्त स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के चलते तथा चिकित्सालयों के खस्ताहाल, डाॅक्टरों की कमी की वजह से मात्र शक्ति को सड़कों पर तथा शोचालयों में प्रसव करने को मजबूर होना पड़ा रहा है। स्वास्थ्य विभाग खुद मुख्यमंत्री के अधीन है लेकिन स्वास्थ्य व्यवस्था राम भरोसे है। बजट जारी नहीं होने की बजह से 108 जैसी सेवा बन्द हो गई है। 65 गाडियां खरीदी गई परन्तु वे खडी हैं। श्रीनगर मेडिकल काॅलेज, देहरादून मेडिकल काॅलेज, अल्मोड़ा मेडिकल काॅलेज तथा रूद्रपुर मेडिकल काॅलेजों में निर्माण कार्य नहीं हो पाये हैं। उन्होंने कहा कि अपने दो वर्ष कार्यकाल में राज्य सरकार हर मोर्चे पर विफल रही है तथा कांग्रेस शासन में शुरू की गई जनहित की कई योजनाएं बन्द कर दी गई हैं। उन्होंने कहा कि राज्य की जनता अब समझ चुकी है तथा लोकसभा चुनाव में जरूर भाजपा को इसका सबक सिखायेगी।