चीनी सेना ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर चल रहे तनाव के बीच ही लद्दाख के पैंगॉन्ग झील वाले इलाके में अपनी स्थिति मजबूत करनी शुरू कर दी है. द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक उसने फिंगर 4 नाम की जगह पर एक हेलीपैड का निर्माण शुरू कर दिया है. इसके अलावा चीनी सैनिकों की संख्या पैंगॉन्ग झील के दक्षिणी किनारे पर अचानक बढ़ गई है.
इसे देखते हुए आशंकाएं जताई जा रही हैं कि चीन नियंत्रण रेखा को भारत की तरफ खिसकाने की रणनीति पर आगे बढ़ रहा है. जानकारों के मुताबिक इससे वह यह संकेत भी दे रहा है कि इलाके में नई यथास्थिति अब यही है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने भी इन नए घटनाक्रमों की पुष्टि की है. विशाल पैंगॉन्ग झील का कुछ हिस्सा भारत में पड़ता है और कुछ तिब्बत में. एलएसी इससे होकर गुजरती है.
उधर, भारत ने चीन को चेतावनी दी है कि एकपक्षीय रूप से यथास्थिति बदलने की कोशिश के गंभीर नतीजे होंगे. पीटीआई के साथ एक साक्षात्कार में चीन में भारत के राजदूत विक्रम मिस्री ने कहा कि इससे न सिर्फ सीमा पर शांति प्रभावित होगी बल्कि द्विपक्षीय संबंधों के लिहाज से भी इसके दूरगामी परिणाम होंगे. उनके मुताबिक भारत को उम्मीद है कि तनाव कम करने के लिए चीन अपनी ज़िम्मेदारी समझते हुए एलएसी के अपनी तरफ वापस चला जाएगा.
गलवान घाटी में शहीद हुए 21 जवान को सरकार की नाकामी नहीं कह सकते : शरद पवार
बीती 15 जून को गलवान घाटी में चीन के साथ हिंसक झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे. पीटीआई के मुताबिक शनिवार को इस मसले पर महाराष्ट्र के सतारा में शरद पवार ने मीडिया से खुलकर बातचीत की. उन्होंने कहा, ‘यह पूरा प्रकरण संवेदनशील प्रकृति का है. गलवान घाटी में चीन ने उकसावे वाला रुख अपनाया. उन्होंने हमारी सड़क पर अतिक्रमण करने की कोशिश की और धक्कामुक्की की. यह किसी की नाकामी नहीं है.’ देश के पूर्व रक्षा मंत्री शरद पवार ने आगे कहा, ‘हम यह नहीं कह सकते कि यह दिल्ली में बैठे रक्षा मंत्री की नाकामी है, (क्योंकि) वहां भारतीय जवान गश्त कर रहे थे. झड़प हुई इसका मतलब है कि हमारे जवान चौकन्ने थे. अगर आप वहां नहीं होते तो आपको पता भी नहीं चलता कि कब चीनी सैनिक आए और गए. इसलिए मुझे नहीं लगता कि इस समय नाकामी का आरोप लगाना सही है.
पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच 15 जून को एक हिंसक झड़प हुई थी. इसमें भारत के 21 सैनिक शहीद हो गए थे. चीन के भी 43 सैनिकों के हताहत होने की खबर आई थी. इसके बाद से शांति बहाली के लिए दोनों देशों के बीच सैन्य कमांडर स्तर की बातचीत का दौर जारी है. हालांकि इस बीच चीन कई बार पूरी गलवान घाटी पर दावा कर चुका है जिसे भारत ने खारिज किया है. चीन ने इस इलाके में सैन्य मौजूदगी में भी भारी बढ़ोतरी की है.
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