संस्कृति और तकनीक के अदभुत संगम वाली “भव्य रामलीला” का उत्तराखंड में पहली बार होगा मंचन – अभिनव थापर

देहरादून, 8 अक्टूबर: श्री रामकृष्ण लीला समिति टिहरी 1952, देहरादून द्वारा गढ़वाल की ऐतिहासिक राजधानी पुरानी टिहरी की 1952 से होने वाली प्राचीन रामलीला को टिहरी के जलमग्न होने के बाद देहरादून में पुर्नजीवित करने का संकल्प लिया है और इस हेतु देहरादून के टिहरी-नगर के आजाद मैदान, अजबपुर कलां, दून यूनिवर्सिटी रोड़, देहरादून में 11 दिन की भव्य रामलीला का आयोजन शारदीय नवरात्रों में 15 से 25 अक्टूबर 2023 तक किया जाएगा।

समिति के अध्यक्ष अभिनव थापर ने कहा की टिहरी गढ़वाल की ऐतिहासिक रामलीला 1952 से पुरानी टिहरी के आजाद मैदान में 2002 तक टिहरी के डूबने तक होती रही और टिहरी के जलमग्न होने के बाद इसका मंचन कुछ समय नई टिहरी में भी किया गया मगर करोना के बाद वहां भी बंद हो गया। अब टिहरी विस्थापितों ने इसको देहरादून में पुनर्जीवित करने का निर्णय किया है। इससे टिहरी गढ़वाल के इतिहास को पुनर्जीवित करने का मौका मिलेगा और आने वाली पीढ़ियों के लिए मनोरंजन से अपने इतिहास और सनातन धर्म की परंपराओं के साथ जुड़ने का अवसर भी मिलेगा।

समिति के सचिव अमित पंत ने जानकारी देते हुए कहा कि इस रामलीला के सीधे प्रसारण की भी व्यवस्था की जा रही है। साथ ही नई तकनीक के डिजिटल स्क्रीन व साउंड के माध्यम से मंचन की व्यवस्था की जाएंगी। वयोवृद्ध कलाकार बचेंद्र कुमार पांडे ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि 1972 उन्होंने इस रामलीला में रावण के पात्र की भूमिका निभाई थी। उसके बाद नौकरी लगने के कारण उन्हें टिहरी छोड़ना पड़ा। अब पुनः 50 साल बाद मंच पर दशरथ का पात्र निभाएंगे। इसके अलावा गढ़वाली फिल्मों की गायिका शिवानी नेगी और पूनम सकलानी भी इस रामलीला में अभिनय करेंगे। दर्शकों को इस रामलीला में संस्कृति और तकनीक का संगम देखने को मिलेगा।

उल्लेखनीय है कि इस रामलीला में चौपाई, कथा,संवाद,मंचन आदि सब पुरानी टिहरी की 1952 से चली आ रही प्रसिद्ध व प्राचीन रामलीला के जैसा ही होगा, जिससे टिहरी से जुड़े लोगों को देहरादून में भी उसी अपनत्व का अहसास होगा। वार्ता में अध्यक्ष अभिनव थापर, सचिव अमित पंत, डॉ नितेंद्र डंगवाल, गिरीश चंद्र पांडेय, नरेश कुमार, गिरीश पैनुली, बचेंद्र कुमार पांडे, मनोज कुमार जोशी, पूनम सकलानी, अनुराग पंत, अश्विनी पांडे आदि ने भाग लिया।