अरब देशों ने नफरत फैलाने वालों को उन्ही की भाषा मे जवाब देना शुरू कर दिया है। जिस सोशल मीडिया के जरिये नफरत की चरस बोई गई थी अब वो फसल तैयार हो गई है। इस वक़्त जो भारतीय मुसलमान अरब देशों की इस कार्यवाही से खुश हो रहे हैं वो ये समझ लें कि अरब देशों से जवाबी कार्यवाही तब शुरू हुई जब उनकी महिलाओं के लिए अमर्यादित और अभद्र टिप्पणी की गई बस अपने पक्ष को मजबूत करने के लिए उन्होंने आप लोगो का सहारा लिया है। लिंचिंग से लेकर देशद्रोही कहा गया पूरी मुस्लिम बिरादरी को और हम जैसे लोग जो आपके साथ खड़े थे हमें तो अलग अलग उपाधियों से नवाजा ही गया और आगे भी नवाजते रहेंगे कोई फर्क नही पड़ता। तमाम मुद्दे थे जिनपर ये अरब देश चुप ही थे उन्होंने आपके लिए आवाज नही उठाई और आज भी अगर आप ये सोचते हैं कि आपके लिए आवाज उठी है तो मुझे यही लगता है कि ये भ्रम है। बहरहाल बात ये है कि ये देश जितना हिंदुओ का है उतना ही मुसलमानों का भी है और हर उस धर्म के मानने वाले का है जो यहां का नागरिक है। ….. (क्या है ये मामला जानने के लिए यहाँ क्लिक करें )
हमारे यहां मुस्लिम समुदाय विशेष तौर पर जो मेहनतकश तबका है अपनी आवाज खुद से उठाने का प्रयास ही नही करता हर वक़्त मौन और मजहबी गुरुओं के आस पास मंडराता रहा। नतीजा ये हुआ कि मुट्ठीभर नेता और कुछ मुस्लिम धर्म गुरुओं ने अपने आपको मुसलमानों का सर्वे सर्वा मान लिया। परिणामस्वरूप आज मुस्लिम आबादी का बड़ा हिस्सा शिक्षा, स्वास्थ्य और मुख्यधारा धारा से दूर है।
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मेरा कहने का मकसद इतना ही है कि इस भरोसे मत रहो कि कोई आएगा और आपके हक़ के लिए लड़ेगा। पहले भी कहा था आज भी कहती हूँ अगर मुखयधारा से जुड़ना है तो अपनी अच्छी शिक्षा, स्वास्थ्य की और ध्यान दीजिए अपने अंदर वैज्ञानिक सोच विकसित करिए। बच्चों को मजहबी तालीम दीजिये वो आपका निजी मामला है लेकिन आधुनकि दुनिया से कदमताल करने के लिए उनके लिए धरातल बनाना आपकी जिम्मेदारी भी है। कोई रहनुमा बनकर आएगा और आपके लिए लड़ेगा इस भरोसे मत रहिये।
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