• दिल्ली के शेख सराय में चालान कटने पर युवक ने बाइक जलाई
  • दस हजार की स्कूटी और 25 हजार का चालान होगा तो यही होगा
  • उत्तराखंड सड़क हादसे बदतर सड़कों के कारण, तो क्या लोनिवि अधिकारियों को दोगे फांसी?

मोटा भाई नितिन गडकरी जी, आपने चालान के जो नियम लागू करवाएं हैं वो आम आदमी के लिए एक प्रतिशत भी सही नहीं हैं। एक ओर देश में बेरोजगारी बढ़ रही है। इंजीनियर दस हजार की नौकरी करने को बाध्य हैं। वकील को केस नहीं मिल रहे हैं। युवाओं को नौकरी नहीं मिल रही है। उत्तराखंड में कुल आबादी के दस प्रतिशत युवा बेरोजगार हैं। मंदी के कारण जनता की रोजी-रोटी खतरे में है। केवल नेता ही हैं जिनका वेतन और भत्ते इस आर्थिक सुस्ती में बढ़ रहे हैं। यहां अपने त्रिवेंद्र चचा वर्तमान तो ठीक, अपना बुढ़ापा भी सुरक्षित करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्रियों के पक्ष में आर्डिनेंस ले आएं हैं। एक ओर आप हमारा खजाना अपनी जिद पूरी करने के लिए कश्मीर पर लुटा रहे हैं तो दूसरी ओर हम गरीबों को मार डालने पर तुले हुए हैं। मोटा भाई, देश की 93 प्रतिशत जनता की रोज की लड़ाई पेट से शुरू होती है और पेट पर खत्म हो जाती है। मोटा भाई आपके पास तो निशंक भैजी हैं जो आपका चालान भर देंगे। पर गरीब आदमी के पास रोटी के ही लाले हैं। आप तर्क दे रहे हो कि एक्सीडेंट में कितने मर रहे हैं, मैं आपसे पूछता हूं कि आप गारंटी लो, कि इसके बाद एक्सीडेंट नहीं होंगे, लोग नहीं मरेंगे। उत्तराखं डमें तो जो भी सड़क हादसे होते हैं तो उसमें आपका सडक और परिवहन विभाग का ही बड़ा हाथ है तो क्या आप सड़क निर्माण या मरम्मत न करने वाले अधिकारियों को फांसी की सजा दोेगे ? यदि हां तो आपका चालान मंजूर है, नही तो यह तय है कि मोदी चचा की सरकार की मति मारी गई है और वो देश के अंधे विश्वास का नाजायज लाभ ले रहे हैं। आप तो नादिशाह और चंगेज खान से भी अधिक बेरहम साबित हो रहे हो। मोटा भाई, प्लीज ऐसा न करो, गरीबों की खाल न खींचो।

 

साभार – गुणानंद जखमोला