देहरादून 29 दिसम्बर : उत्तराखंड के आगामी विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी अब ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी राजनीतिक जमीन को मजबूती देने में जुट गई है। इसके लिए पार्टी अब ग्राम प्रधानों, पूर्व प्रधानों और पिछले चुनाव में प्रधान पद पर हार गए प्रत्याशियों पर फोकस कर रही है। बीजेपी ने इसके साथ ही राज्य के सभी विधानसभा क्षेत्रों में बूथ स्तर पर तैनात कार्यकर्ताओं को स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों तक पहुंचने का भी नया टास्क दिया है।
उत्तराखंड में इस वक्त कुल 7791 ग्राम पंचायत और इतने ही ग्राम प्रधान हैं। इसके अलावा पूर्व प्रधानों और पिछले पंचायत चुनाव में हार झेलने वाले प्रधान पद के प्रत्याशियों की भी बड़ी संख्या है। इनमें बीजेपी के विचाधारा वाले प्रधानों और पूर्व प्रधान की अच्छी खासी तादाद है। ऐसे में पार्टी ने आगामी विधानसभा चुनाव में इन्हें अपने वर्कफोर्स के रूप में इस्तेमाल करने की योजना बनाई है। बीजेपी की रणनीति स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के सदस्यों से भी संपर्क साधने की है। काबिलेगौर है कि प्रदेश में ग्राम्य विकास विभाग के तहत गठित एसएचजी की संख्या 33 हजार से ज्यादा है। इन एसएचजी से हजारों की संख्या में महिलाएं जुड़ी हैं. उन्हें लेने की तैयारी में है। इस दिशा में उनसे तेजी से संपर्क साधा जा रहा है। स्थानीय संसाधनों पर आधारित कई उत्पाद तैयार करने वाले इन समूहों के माध्यम से ग्रामीण स्तर पर महिलों को रोजगार भी मिला है। कोरोना संकट के कारण इन समूहों का रोजगार प्रभावित हुआ तो सरकार ने उन्हें आर्थिक सहायता भी उपलब्ध कराई है। ऐसे में इनके जरिये राज्य की आधी आबादी को साधना चाहती है