देहरादून, प्रख्यात रंगकर्मी सफदर हाशमी के बलिदान दिवस पर बुधवार को विभिन्न प्रगतिवादी जन संगठनों ने उन्हें याद किया। 1 जनवरी 1989 को सफदर हाशमी की उस समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जब वे गाजियाबाद में एक नुक्कड़ नाटक कर रहे थे उनके साथ राम बहादुर नामक एक दशक की की की नामक एक दशक की की दशक की की गोलियों का शिकार हो गया था।

गांधी पार्क में आयोजित एक कार्यक्रम में भारतीय जन नाट्य संघ देहरादून की ओर से जामुन का पेड़ नाटक प्रस्तुत किया गया। जनसंवाद समिति द्वारा सतीश धौलाखंडी के नेतृत्व में जनगीतों के माध्यम से वर्तमान दौर की विसंगतियों पर तंज किया गया। इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि सत्ता प्रतिष्ठान हमेशा जनता की आवाज को कुचलने का प्रयास करता रहा है. सफदर हाशमी को इसीलिए गोली मारी गई क्योंकि वे जनता के मुद्दों को आवाज दे रहे थे। वक्ताओं ने कहा आज हम फिर उसी दौर में पहुंच गए हैं हैं जहां जनता की आवाज को कुचलने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं।

कार्यक्रम में जनसंवाद समिति, इप्टा, एसएफआई, भारत ज्ञान विज्ञान समिति, दृष्टि नाट्य मंच आदि संस्थाओं से जुड़े वीके डोभाल, कुलदीप मधवाल, गजेंद्र वर्मा, जयदीप सकलानी, अंबुज शर्मा,इन्द्रेश मैखुरी, सतीश धौलाखंडी, नितिन मलेठा, हिमांशु चौहान, त्रिलोचन भट्ट, अतुल भट्ट, कमलेश खंतवाल सहित कई लोग शामिल थे।