–मिनिमली इनवेसिव कार्डियक सर्जरी है कार्डियक सर्जरी का भविष्यः डा. रवि कुमार सिंह
देहरादून, मिनिमली इनवेसिव कार्डियक सर्जरी एवं कार्डियक सर्जरी की आधुनिक तकनीकों के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए मैक्स सुपर स्पेशलटी अस्पताल देहरादून के डाॅक्टरों की टीम ने जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया। इस मौके पर डाॅ. रवि कुमार ने बताया कि भारत में लगभग 32 मिलियन भारतीय दिल की बीमारियों से पीड़ित हैं। पिछले 3-4 सालों के दौरान मिनिमली इनवेसिव कार्डियक सर्जरी या कीहोल सर्जरी बहुत अधिक लोकप्रिय हो गई है। इस तरह की सर्जरी के कई फायदे हैं- इसमें मरीज़ को कम समय के लिए अस्पताल में रुकना पड़ता है, छोटा चीरा लगाए जाने के कारण दर्द कम होता है और मरीज़ जल्दी ठीक होता है। इसके अलावा बड़े चीरे के कारण घाव के निशान होने की संभावना भी नहीं होती।
इस मौके पर सुभाष रोड स्थित एक होटल में आयोजित पत्रकार वार्ता में डा. रवि कुमार सिंह सीटीवीएस सर्जन, डा. संदीप सिंह तंवर वाइस प्रेजीडेन्ट आॅपरेशन्स और यूनिट हैड और डा. राहुल प्रसाद मेडिकल सुप्रीटेन्डेन्ट ने बताया कि कन्वेंशनल बायपास सर्जरी या किसी भी अन्य वाॅल्व सर्जरी में सीने की हड्डी या स्टर्नम पर 10 इंच का चीरा लगाना पड़ता है। लेकिन मिनिमली इनवेसिव कार्डियल सर्जरी पूरी तरह से सुरक्षित है, इसने दिल की सर्जरी के तरीके को पूरी तरह से बदल डाला है। यह दिल की बीमारियों, वाॅल्व सर्जरी या दिल की जन्मजात बीमरियों के इलाज के लिए कोरोनरी बायपास सर्जरी का नया एवं आधुनिक तारीका है। डा. रवि कुमार ने बताया कि इस तकनीक में छाती के बाएं या दाएं हिस्से में 2-3 इंच का चीरा लगाया जाता है। हड्डियों या मांसपेशियों को काटे बिना पसलियों के बीच में से दिल तक पहुंचा जाता है। पारम्परिक सर्जरी की तरह यह सर्जरी पूरी तरह से सुरक्षित है। मिनिमली इनवेसिव कार्डियक सर्जरी के फायदों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘पारम्परिक सर्जरी के विपरीत इस सर्जरी के बाद मरीज़ जल्दी घर जा सकता है, ज़्यादातर मामलों में खून बहने की संभावना भी नहीं होती, इसलिए सर्जरी के बाद खून या फेफड़ों में संक्रमण की संभावना भी बहुत कम हो जाती है। यह सर्जरी मधुमेह के मरीज़ों एवं बुजुर्गों के लिए अनुकूल है, जिनमें संक्रमण से लड़ने की ताकत कम होती है।’’डाॅ संदीप सिंह तंवर, वाईस प्रेज़ीडेन्ट- आॅपरेशन्स एण्ड युनिट हैड, मैक्स सुपर स्पेशलटी अस्पताल, देहरादून ने कहा, ‘‘उत्तराखण्ड में पहली बार एमआईसीए का ऐलान करते हुए हमें बेहद खुशी का अनुभव हो रहा है। इसमें मरीज़ जल्दी ठीक होता है। उसे अस्पताल में कम समय के लिए रुकना पड़ता है, जिससे इलाज के खर्च में भी कमी आती है। क्षेत्र में दिल की बढ़ती बीमारियों को देखते हएु हमने इस सेवा की शुरूआत की है। हम उत्तराखण्ड के निवासियों को विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैक्स अस्पताल देहरादून में हम एंजियोप्लास्टी और एंजियोग्राफी जैसी प्रक्रियाएं सफलतापूर्वक कर रहे हैं। हमारे पास कार्डियक एमरजेन्सी केयर के लिए सभी आधुनिक उपकरण और अनुभव टीम है। हमारे विशेषज्ञ मुश्किल से मुश्किल मामलों में मरीज़ का इलाज करने में सक्षम हैं और कई कीमती जिंदगियां बचा चुके हैं। हम हमेशा से अपने अनुभवी डाॅक्टरों, प्रशिक्षित स्टाॅफ, आधुनिक नैदानिक, चिकित्सा एवं गहन देखभाल सेवाओं के साथदेहरादून के निवासियों को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराते रहे हैं।’’