मेरे निशाँ - हैं कहाँ ?

हर परिवार के घर में दो एक पुरानी माला टंगी फोटो मृत मां,बाप या दादा की होती है,जिन्हे बचाकर रखा जाता है।कुछ घरों में हिंदु दादा या बाप के साथ कंधे पर बाहं रखे उनके किसी दाढी वाले प्यारे मुसलमान दोस्त की सडी सी ब्लेक एंड व्हाइट फोटो भी दिवार पर सुरक्षित टंगी होती है।इसलिए कि परिवार के लिये वह उसकी जडें हैं, ऐतिहासिक विरासत जैसी। देश भी परिवार जैसा ही होता है,बडी पुरानी विरासत लिये। अगर हम 1526 की बाबरी मस्जिद के खंडहर को,घर की दिवाल पर लगी पुरानी फोटो की तरह उसे एंटीक बिल्डिंग के रूप मे बचा के रख लेते तो क्या फर्क पडता ? मने बहुत गुस्सा ही था, तो उसपर एक सूचना पटट लगा देते कि-“ये उस कमीने विदेशी बाबर की निशानी है,जिसने मंदिर तोडकर यह मस्जिद यहां जबरन बनायी..पाकिस्तान जैसे मूर्ख देश को ही देखिये,जिसके पास दुनिया की मोहन जोदड़ो,वैदिक जैसी सबसे प्राचीन सभ्यतायें हैं और गुरू नानक की सिख्खी परम्परा की मूल जडें फैली हैं,पर मुस्लिम कटटरपंथ के मारे उन गधों ने 1947 के बाद दुनिया को बताना शुरु किया कि उनका इतिहास दसवीं शताब्दी के बाद शुरू हुआ और मौहम्मद गजनवी और गोरी जैसे उनके प्रथम इतिहास पुरुष थे। जियाउल हक जैसे कटटरपंथी चूतिये के राज में उसने अधिकतर प्राचीन मंदिरों को तोड डाला। वो तो नवाज शरीफ को अक्ल आयी और वह अपने प्राचीन इतिहास की ओर लौटे। नवाज शरीफ ने ही इतिहास में नथ्थी किया कि लाहौर और कसूर जैसे शहर राम के बेटों लव और कुश ने बसाये थे और तक्षशिला और गुरुनानक पाकिस्थान की ऐतिहासिक विरासत है। शरीफ ने ही मरी हिल स्टेशन के गोहरा गली में पुराने चर्च को बचाने के लिए कई नयी मजारें और बाजार तुडवा दिये।यधपि हम शुरुआती पाकिस्तान की राह पर बहुत बाद में बावरी ध्वंस के बाद धीमे धीमे चलने शुरु हुए।लेकिन अब हम तेजी से इस ओर कदमताल कर रहे हैं।महात्मा गांधी की तस्वीर पर गोली दागने से गांधी को मिटाने की यह कुत्सित मनोवृति गधे पाकिस्तान की राह चलने की इच्छा जाहिर करती है। गांधी को भारत से गायब करोगो तो अपने देश के पास दुनिया को बताने को क्या बचेगा ?
ताजमहल को शिवालय घोषित कर विश्व के अजूबे में शामिल हमारे देश की वैश्विक साख का क्या होगा? अकबर का इतिहास मिटाकर कोन सा नया इतिहास गढोगे और दुनिया इसे न माने तो क्या करोगे ?

अंग्रेजों की तरह इतिहास के जिन पात्रों और घटनाक्रमों से घृणा करते हो,खूब करो,पर उन्हे जीवंत बना के उनके पुरातत्व से खूब पैसे कमाओ।अगर पाकिस्तान ही बनने की ठान रखी है तो बनो भैय्या…..???

साभार :-जय प्रकाश उत्तराखंडी