‘‘बहुत सेे लोगों को लगता है कि सांस की बीमारी या खांसी जैसी समस्या का कारण उम्र बढ़ना है।बीमारी की शुरूआती अवस्था में लक्षणों की तरफ़ हमारा ध्यान नहीं जाता।सीओपीडी के लक्षण प्रकट होने में अक्सर सालों लग जाते हैं। व्यक्ति को बीमारी तब महसूस होती है, जब यह एडवान्स्ड अवस्था में पहुंच चुकी होती है। इसके लक्षण हल्के मेे लेकर गंभीर हो सकते हैं, जिसके कारण मरीज़ को सांस लेने में परेशानी होने लगती है।’’ सीओपीडी अक्सर 40 साल सेे अधिक उम्र में होता है, यह बीमारी अक्सर उन लोगों में होती है, जिनमें धूम्रपान का इतिहास हो । उन लोगों में भी सीओपीडी की संभावना अधिक होती है जो लम्बे समय तक रसायनों, धूल, धुंआ या खाना पकाने वाले ईंधन के संपर्क में रहते हैं। भारत में पहाड़ी इलाकों की महिलाएं चारकोल या लकड़ी जलाकर खाना पकाती हैं, ऐसे में वे लम्बे समय तक धुएं के संपर्क में रहती हैं। सीओपीडी के मरीज़ मौसम बदलने पर बीमार पड़जाते हैं। ठंडे मौसम का इन पर बुरा असर पड़ता है। सांस की बीमारी इन मरीज़ों में सैकण्डरी बैक्टीरियल/वायरल/फंगल संक्रमण का कारण बन सकती है।सीओपीडी का कोई इलाज नहीं है, लेकिन दवाओं के द्वारा इनके फेफडों को ज़्यादा नुकसान पहुंचने से बचाया जा सकता है और मरीज़ के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सकता है।
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आजकल युवाओं में पाईप, सिगार, हुक्का, पाॅकेटमरिज़ुआना पाईप से धूम्रपान का चलन बढ़ रहा है अगर आपके आसपास कोई धूम्रपान करता है तो आप भी सीओपीडी का शिकार हो सकते हैं।इस बीमारी में फेफड़ों को नुकसान पहुंचता है, उनका विकास ठीक सेे नहीं हो पाता, फेफड़ों में सूजन आ जाती है।इन सब के चलते फेफड़े अपना काम ठीक तरह से नहीं कर पाते, जिससे आॅक्सीजन लेने और कार्बनडाईआॅक्साईड छोड़ने की क्षमता कम हो जाती है।’’ उन्होंने यह भी कहा, ‘‘शहरों में बढ़ता प्रदूषण दिल और फेफड़ों के लिए घातक है। वायु प्रदूषण का बुरा असर फेफड़ों पर पड़ता है। यह सीओपीडी के मरीज़ों के लिए और भी घातक है। अडवान्स्ड सीओपीडी के मरीज़ों को लम्बे इलाज, आॅक्सीजन एवं बीआईपीएपी सपोर्ट की ज़रूरत पड़ती है, उन्हें बार-बार अस्पताल में भर्ती करना पड़ता है।’’सीओपीडी समेे बचने के लिए किसी भी तरह का धूम्रपान न करें, तंबाकू, जलती लकड़ी, ईंधन, निष्क्रिय धूम्रपान समेे बचें। फलों और सब्ज़ियों सेे भरपूर सेहतमंद आहार लें।
इस अवसर पर डॉक्टर राहुल प्रसाद, मेडिकल सुप्रीटेंडेंट ने कहा मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, देहरादून आज भी प्रदेश में सबसे अधिक सुविधाओं और उन्नत किस्म की टेक्नोलॉजी से युक्त मल्टीस्पेशलटी हॉस्पिटल है जो की प्रदेश में सबसे ज्यादा मरीजों को इलाज करने में अग्रणी है।