उत्तराखंड राज्य का निर्माण एक बड़े जन आन्दोलन के रूप में हुआ है जिस में उत्तराखंड के हर वर्ग में अपनी महत्व पूर्ण भूमिका निभाई। उत्तराखंड के गाँधी के नाम से मशहूर इन्द्रमणि बडूनी ने इस पूरे जनांदोलन को एक दिशा दी और राज्य आंदोलन की कर्मभूमि बना ऋषिकेश जंहा से ये आंदोलन सांस्कृतिक रूप में निकल कर उत्तराखंड के गांव-गांव से दिल्ली दरबार तक पहुंचा । आज उत्तराखंड अपने प्रणेता इंद्र मणी बडोनी की पुण्यतिथि मना रहा है जो सपना इंद्रमणि बडोनी ने इस राज्य के लिए देखा था वह तो चंद सालो में ही अपने मूल उद्येश्य से भटक गया। जो सपने राज्य निर्माण के समय पर थे ,जो आज भी अधूरे है। पहाड़ आज भी बेरोजगारी -पलायन का शिकार, विकास की राह देख रहे है। आज पूरे प्रदेश में इंद्र मणि बडूनी की पुण्यतिथि को संस्कृति उत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। ऋषिकेश बडोनी की कर्मस्थली रहा है यही से राज्य आंदोलन की चिंगारी उठी थी। शहीद स्मारक पर बड़ी संख्या में राज्य आन्दोलनकारी अपने श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहे है।
ऋषिकेश, 18 अगस्त : उत्तराखंड के गांधी व उत्तराखंड राज्य आंदोलन के प्रेरणा स्रोत स्वर्गीय इंद्रमणि बडोनी जी की 24 पुण्यतिथि पर शहीद स्मारक समिति ,ऋषिकेश द्वारा इंद्रमणि चौक पर उनका माल्यार्पण तथा दीपदान कर उनको श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी प्यारे लाल जुगलान, विक्रम भंडारी, पार्षद बृजपाल राणा, रुकम पोखरियाल, पार्षद राकेश सिंह, आशुतोष डंगवाल, राजेंद्र कोठारी, शेर सिंह रावत, सरोजिनी थपलियाल, रेनु नेगी, बीना बहुगुणा, माया पवार, सुंदरी डंगवाल, भूपेंद्र, उमेश कंडवाल, अश्वनी उपाध्याय, हरि सिंह नेगी, महेंद्र बिष्ट ,सोहन राणा, संजय सकलानी, मनोज डबराल, ब्रिज बहुगुणा, संतोष कुकरेती आदि मौजूद थे।
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